नई दिल्ली। चीन की कायराना हरकत एक बाद फिर से सामने आ गई है। सोमवार रात निहत्थे भारतीय सैनिकों पर गलवान घाटी में पूरी योजना के साथ चीनी सैनिकों ने हमला किया था। लोहे के रॉड और नुकीले डंडों से लैस चीन के कातिल जवानों ने 16 बिहार रेजीमेंट के जवानों के सिर पर प्रहार किया, जिसमें कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू समेत 23 जवान शहीद हो गए।
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हालाकि इस झड़प में चीन के 40 सैनिकों के मारे जाने की भी खबर है। रिपोर्ट के मुताबिक इस संघर्ष में चीन का कमांडिंग ऑफिसर भी मारा गया है। लेह अस्पताल में भर्ती घायल जवानों की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी से हवाले से बताया गया है कि कातिल चीनी सैनिकों ने पहाड़ों की ओट लिए निहत्थे सैनिकों को ढूंढकर उनपर हमले किए। चीन के अचानक हुए हमले से हैरान भारतीय जवानों ने उनका डटकर मुकाबला किया। गुत्थमगुत्था हुए कुछ जवान पहाड़ की ओट तक जा पहुंचे, जिससे वे नीचे गिर गए। उनके साथ चीन जवान भी नीचे गिरे।
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इस हमले में करीब दो दर्जन सैनिक अभी जीवन और मौत से जंग लड़ रहे हैं और करीब 110 को इलाज की जरूरत है। कर्नल संतोष बाबू ने चीनी सेना को पेट्रोल पॉइंट 14 के करीब बनाए गए अस्थायी टेंट को हटाने को कहा था। चुशूल में दोनों देशों के जनरलों के बीच हुई बैठक में इस इलाके को खाली करने पर सहमति बनी थी। लेकिन बावजूद इसके चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा के भीतर पेट्रोल पॉइंट 14 के करीब एक अस्थायी टेंट बना लिया। सैनिकों को इस टेंट को हटाने के निर्देश दिए गए थे।
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चीनी सेना ने इस टेंट को खाली करने से मना कर दिया और रविवार को पथराव की घटना हुई। चीन की सेना भारत को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराने लगी। फिर सोमवार रात दोनों देशों के सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष हुआ। सूत्रों ने बताया कि ऊंचाई पर पॉइंट 14 पर मौजूद चीनी सैनिकों ने बड़े-बड़े पत्थरों को भारतीय पोजीशन की तरफ फेंका। कई भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों का बहादुरी से सामना किया। हालांकि कई के पास अपनी सुरक्षा के लिए मौके नहीं थे।
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भारतीय सैन्य अधिकारियों ने बताया कि चीनी सैनिकों ने बड़ी संख्या में भारतीय जवानों का शव सोमवार सुबह सौंपे। इस खूनी संघर्ष में कितने चीनी सैनिक मारे गए हैं इस बारे में पेइचिंग कुछ नहीं बताया है। लेकिन भारतीय सेना ने दावा किया है कि उन्होंने चीनी सेना की बातचीत सुनी है और चीन के 40 सैनिक मारे गए हो सकते हैं।