(एम. जुल्करनैन)
लाहौर, 13 सितंबर (भाषा) पाकिस्तान की एक अदालत ने शुक्रवार को पंजाब सरकार को लाहौर के एक चौराहे का नाम स्वतंत्रता संग्राम के नायक शहीद-ए-आजम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने के संबंध में अदालती आदेश का अनुपालन नहीं करने पर शुक्रवार को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिये ‘‘अंतिम मौका’’ दिया।
लाहौर में शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के अदालत के आदेश पर पंजाब सरकार द्वारा अमल न किये जाने पर उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शम्स महमूद मिर्जा ने भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को ‘‘इस मामले पर जवाब देने का अंतिम मौका’’ दिया।
पंजाब के सहायक महाधिवक्ता साद बिन गाजी अदालत में पेश हुए और जवाब देने के लिए और समय मांगा।
न्यायमूर्ति ने अपने आदेश में कहा, ‘‘पंजाब के सहायक महाधिवक्ता के अनुरोध पर, (पंजाब) सरकार को इस मामले पर जवाब देने का आखिरी मौका दिया जाता है।’’
याचिकाकर्ता के वकील खालिद जमान खान काकर ने अदालत को बताया कि इस मामले में पहले ही काफी देरी हो चुकी है और इस पर तुरंत फैसला किया जाना चाहिए।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि आठ नवंबर तय की।
फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी ने शादमान चौक का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने में सरकार के विफल रहने पर अवमानना याचिका दायर की थी।
कुरैशी ने कहा कि लाहौर उच्च न्यायालय ने 2018 में सरकार को शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने का आदेश दिया था, जहां उन्हें 1931 में फांसी दी गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन प्रांतीय और जिला दोनों सरकारों ने जानबूझकर लाहौर उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया, इस प्रकार अवमानना हुई।’’
भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी और उस समय देश अविभाजित था।
भारतीय उपमहाद्वीप में स्वतंत्रता सेनानी का न केवल सिखों और हिंदुओं द्वारा बल्कि मुसलमानों द्वारा भी सम्मान किया जाता है।
भाषा देवेंद्र प्रशांत
प्रशांत