वॉशिंगटन। कोरोना वायरस से अमेरिका में मरने वालों की संख्या 3,400 हो गई है और 1.74 लाख पॉजिटिव केस दर्ज किए गए हैं। मरने वालों की संख्या जहां कोरोना के केंद्र रहे चीन से ज्यादा हो गई है वहीं अगर अमेरिका के सिर्फ 100 साल के इतिहास पर नजर डालें तो यह इस अवधि में सबसे बड़ी मानवीय आपदाओं में से एक है।
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मौत के इस आंकड़े ने 2001 के 9/11 आतंकी हमले (2,996), 1906 के सैन फ्रांसिस्को भूकंप (3389) और 1989 के साइक्लोन (3,000) को भी पीछे छोड़ दिया है जब करीब 3,000 के आसपास मौत हुई थी।
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दुनियाभर में कोरोना वायरस के केस को ट्रैक करने वाली एजेंसियों की मानें तो अभी अमेरिका में संक्रमित लोगों की संख्या 1,74,697 है और महज एक सप्ताह के भीतर ही अमेरिका में यह आंकड़ा 25 हजार से सीधे 1.7 लाख पर पहुंच गया है। अमेरिका के तटीय राज्यों में इन 100 सालों के भीतर कई बार तूफान आए हैं और कई बार जंगल में आग लगने की भी घटनाएं आई हैं।
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अमेरिका में सोमवार को 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, दो दिन पहले ही अमेरिका के टॉप हेल्थ एक्सपर्ट ने ट्रप सरकार को चेताया था कि देश में एक लाख से अधिक लोग कोरोना से मारे जा सकते हैं। इतना कम नहीं था कि यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिगंटन स्कूल ऑफ मेडिसिन ने यह अनुमान जताया है कि 20 अप्रैल तक देश में डेली डेथ केस की संख्या बढ़कर 2000 हो जाएगी जो वाकई में काफी परेशान करने वाले हैं।
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कोरोना से अभी सिर्फ मानवीय क्षति की खबर सामने आ रही है और इसकी अर्थव्यवस्था के नुकसान का आकलन नहीं किया गया है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने अमेरिका की स्थिर परिदृश्य के साथ AAA रेटिंग बरकरार रखी गई है लेकिन साथ ही कहा है कि अगर कोरोना वायरस से देश की हालत बिगड़ती है तो रेटिंग पर असर पड़ेगा। अमेरिका ने विशेषज्ञों के अलर्ट पर ध्यान देते हुए लोगों से घरों के अंदर रहने तो जरूर कहा है लेकिन यूरोपी देशों और भारत की तरह लॉकडाउन का विकल्प अब तक नहीं चुना है। इसकी सबसे बड़ी वजह इकॉनमी को मंदी की मार से बचाना है।