नई दिल्ली,10 Apr। Indo-Pak dialogue will open: पाकिस्तान के इतिहास में रविवार का दिन काफी अहम रहा, इमरान खान मुल्क में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता गंवाने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए। 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में इमरान सरकार के खिलाफ 174 सांसदों ने वोट डाला। बहरहाल, इस सत्ता परिवर्तन की गवाह पूरी दुनिया बनी, लेकिन इसके साथ ही एक बार फिर भारत-पाकिस्तान रिश्तों का सवाल सामने आया है।
Indo-Pak dialogue will open: खास बात यह कि सत्ता गंवाने के कुछ दिन पहले ही इमरान ने भारत को सराहा था। सवाल यह है कि भारत के लिहाज से पाकिस्तान में सरकार बदलने के मायने क्या हैं? पाकिस्तान की गणित में भारत हमेशा शामिल रहा है। वहीं, इस बार इमरान खान ने विदेश नीति के लिए भारत की तारीफ की और अपनी विदेश नीति और सुरक्षा नीति को लेकर पाकिस्तान की सेना पर सवाल उठाए। इमरान खान के इस कदम ने भी रावलपिंडी को पहले से भी ज्यादा परेशान कर दिया था।
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माना जा रहा है कि इमरान खान ने नई दिल्ली के लिए राजनीतिक रूप से रास्ते खोलना मुश्किल बना दिया था। क्योंकि वे बीते करीब ढाई सालों से भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर निजी तौर पर हमले कर रहे थे। माना जा रहा है कि उनका सत्ता से बाहर होना नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच कूटनीतिक बातचीत शुरू करने को अपेक्षाकृत आसान बना सकता है।
जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना नई सरकार पर कश्मीर में सफल युद्धविराम के लिए दबाव डाल सकती है। सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भी हाल ही में कहा था कि अगर भारत सहमत होता है, तो कश्मीर मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं।
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4 साल पहले सत्ता से बाहर हुए शरीफ परिवार की शहबाज के रूप में एक बार फिर वापसी हुई है। इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है। उनके भाई और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ लंदन में हैं, लेकिन उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के बाद अपने भाषण में कई बार उन्हें याद किया। खबर है कि शरीफ हमेशा भारत के साथ संबंध सुधारने को लेकर सकारात्मक रहे हैं।
बड़ी बात है कि पाकिस्तान में अब तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। रविवार को भी यही हुआ और चौथे साल में इमरान सरकार को भी बाहर का रास्ता देखना पड़ा। हालांकि, वोटिंग के दौरान इमरान नेशनल असेंबली में मौजूद नहीं थे। विपक्ष ने पीएम के खिलाफ 8 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किया था।