इजराइल के ईरान पर हमले से वास्तव में क्षेत्रीय तनाव में कमी आयी

इजराइल के ईरान पर हमले से वास्तव में क्षेत्रीय तनाव में कमी आयी

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  • Publish Date - October 27, 2024 / 05:32 PM IST,
    Updated On - October 27, 2024 / 05:32 PM IST

(जावेद अली, मिशिगन विश्वविद्यालय)

मिशिगन, 27 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) इजराइल ने 26 अक्टूबर, 2024 को हवाई हमले कर ईरान, इराक और सीरिया में लगभग 20 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इसकी आशंका कई सप्ताह से थी। दरअसल, यह काईवाई अक्टूबर की शुरुआत में तेहरान द्वारा किए गए बैलिस्टिक मिसाइल हमले के बाद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की ओर से बदला लेने की चेतावनी के बाद की गई।

यह कदम उस पैटर्न का अनुसरण करता है जिसमें ईरान और इजराइल बारी-बारी से उस स्थिति को आगे बढ़ाते हैं जो लंबे समय तक एक ‘छाया युद्ध’ था, लेकिन अब यह प्रत्यक्ष टकराव में बदल गया है।

इन प्रतिशोधात्मक हमलों से व्यापक भय उत्पन्न हो गया कि समूचा क्षेत्र और अधिक उग्र चरण में प्रवेश करने को तैयार है।

लेकिन, भले ही यह विरोधाभासी लगे पर मेरा मानना ​​है कि हाल ही में हुए इजराइली हमलों ने तनाव को कम किया है। ऐसा क्यों हुआ, यह समझने के लिए, इजराइली अभियान की प्रकृति और पैमाने का विश्लेषण करना ज़रूरी है। साथ ही हमले के बाद इजराइल, ईरान और अमेरिका में निर्णय लेने वालों के संभावित रुख का भी विश्लेषण करना जरूरी है।

इजराइल द्वारा सुनियोजित हमला

ईरान द्वारा अक्टूबर में किया गया हवाई हमला, ईरान के छद्म समूह हिजबुल्ला के विरुद्ध इजराइली अभियानों की श्रृंखला का प्रतिशोध था। इनमें जुलाई में ईरान के नए राष्ट्रपति के शपथग्रहण की पूर्व संध्या पर तेहरान में हमास के एक उच्च पदस्थ अधिकारी की हत्या तथा सितंबर के अंत में हिजबुल्ला के नेता की हत्या शामिल है।

इसी प्रकार, अप्रैल में ईरान द्वारा इजराइली ठिकानों पर किया गया हवाई हमला, इस वसंत में इजराइली उकसावे के जवाब में किया गया था। इसमें एक अप्रैल को सीरिया के दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमला भी शामिल था, जिसमें दो वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मारे गए थे।

कई पर्यवेक्षकों ने अनुमान लगाया था, या आशंका जताई थी कि ईरान के अक्टूबर के मिसाइल और ड्रोन हमले पर इजराइल की प्रतिक्रिया भारी और दंडात्मक होगी। हालांकि इजराइल के पास निश्चित रूप से ऐसा करने की सैन्य क्षमता है।

लेकिन ईरान में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे या देश की परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाने के बजाय, इजराइल ने इस्लामी गणराज्य की वायु रक्षा और मिसाइल क्षमताओं पर ‘सटीक और लक्षित’ हमले का विकल्प चुना।

इजराइली अभियान का कुछ सीमित दायरा यह दर्शाता है कि यह हमला ईरान के सर्वोच्च नेता और ईरानी सैन्य कमांडरों को एक कड़ा संदेश भेजने के लिए किया गया था। संक्षेप में, इजराइल यह संकेत दे रहा है कि उसके पास ईरान के केंद्र पर हमला करने की क्षमता है परंतु वह पूर्ण-शक्ति से हमले करने से बच रहा है, जिससे ईरान की पहले ही डंवाडोल अर्थव्यवस्था को और अधिक नुकसान पहुंचता।

इजराइल के हमलों के असर का पूर्ण आकलन करने में समय लगेगा, लेकिन प्रारंभिक संकेत हैं कि वे ईरान की समग्र सुरक्षा में कमजोरियों को उजागर करने में सफल रहे। इसका अभिप्राय है कि ईरान या तथाकथित ‘प्रतिरोध की धुरी’ में उसके साझेदार जवाबी कार्रवाई करने का फैसला करते हैं तो इन कमजोरियों के अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों, जैसे तेल और गैस उत्पादन सुविधाओं या यहां तक ​​कि परमाणु ऊर्जा स्थलों को भी निशाना बनाया जा सकता है।

ईरान की सतर्क प्रतिक्रिया

विभिन्न लक्ष्यों पर इजराइल के हमलों की स्पष्ट सफलता के बावजूद, ईरानी नेताओं के बयानों से पता चलता है कि परिचालनात्मक प्रभाव सीमित था।

ईरान के विदेश मंत्रालय के एक बयान में हमले की निंदा की गयी। इसमें कहा गया कि ईरान को ‘‘आत्मरक्षा का अधिकार है।’’ लेकिन साथ ही यह भी कहा गया कि ईरान ‘‘क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को कायम रखेगा।’’

इन शब्दों को पढ़कर मुझे ऐसा लगता है कि ईरान तुरंत जवाबी कार्रवाई करने तथा तनाव को और बढ़ाने की कोशिश नहीं कर रहा है।

बेशक, इसमें बदलाव हो सकता है। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामनेई या कुद्स फोर्स के कमांडर इस्माइल कानी के आगे के संदेशों से यह स्पष्ट संकेत मिल सकता है कि ईरान जवाबी कार्रवाई करेगा या नहीं और कैसे करेगा।

लेकिन ईरान इस बात से भली-भांति परिचित है कि तनाव बढ़ने से, अमेरिका के नेतृत्व में और अधिक प्रतिबंध लगने तथा इजराइल को बढ़ते समर्थन से उसकी डांवाडोल अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इसलिए वह यह अनुमान लगा सकता है कि इजराइल के साथ तनाव बढ़ने से पूर्व की स्थिति पर लौटना उसके हित में है।

वाशिंगटन में, व्हाइट हाउस सतर्क

इजराइल और ईरान के बीच खुले युद्ध के विपरीत ‘छद्म युद्ध की वापसी का वाशिंगटन में निस्संदेह स्वागत किया जाएगा।

इजराइल में सात अक्टूबर, 2023 को हमास के भीषण हमलों के बाद से, बाइडन प्रशासन दायित्वों और चिंताओं के बीच फंस गया। इनमें दीर्घकालिक सहयोगी इजराइल का समर्थन करना शामिल है, जबकि मित्र अरब सरकारों को अलग-थलग नहीं करना और क्षेत्र में संघर्ष के पूर्ण युद्ध में बदलने को रोकने का प्रयास करना शामिल है।

इस बीच, चुनावी वर्ष में, डेमोक्रेटिक पार्टी विशेष रूप से इजराइल समर्थक यहूदी मतदाता समूह के प्रति अपने समर्थन को संतुलित करने का प्रयास कर रही है, साथ ही वह प्रमुख राज्यों में संभावित रूप से महत्वपूर्ण मुस्लिम मतों को नाराज न करने की जरूरत पर भी ध्यान दे रही है। वह फलस्तीनी युवा मतदाताओं को भी नाराज नहीं करना चाहती है।

क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने से व्हाइट हाउस को इन मामलों में कोई मदद नहीं मिलेगी। राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतन्याहू के साथ दशकों पुराने संबंधों के बावजूद वह परिणाम नहीं निकला है जिसकी उनके प्रशासन को अपेक्षा थी।

वाशिंगटन अपने सहयोगी को गाजा में युद्ध विराम के लिए प्रेरित करने और न ही दक्षिणी लेबनान में हिजबुल्ला और इजराइल के बीच शत्रुता समाप्त करने में सफल हो पाया है।

अमेरिका में पांच नवंबर को होने वाले चुनाव के साथ, मध्य पूर्व में विभिन्न मोर्चों पर बढ़े तनाव का असर यह हो सकता है कि मतदाता उपराष्ट्रपति कमला हैरिस या पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कैसे देखते हैं। विशेष रूप से मिशिगन के चुनाव मैदान में, जहां डेमोक्रेट अरब और मुस्लिम अमेरिकियों का वोट खो सकता है, जो बाइडन प्रशासन के कथित इजराइल समर्थक रुख से नाराज हैं।

संतुलन कैसे स्थापित होगा?

पश्चिम एशिया में आगे क्या होगा, इसका पूर्वानुमान लगाना अब तक सबसे अनुभवी विश्लेषकों के लिए भी संभव नहीं हो पाया है।

यह आकलन करने में कई दिन, सप्ताह या महीने लग सकते हैं कि क्या इजराइल द्वारा किया गया यह नवीनतम हवाई हमला ईरान और इजराइल के बीच तनाव को और बढ़ाएगा या क्षेत्र में तनाव को कम करने वाली परिस्थितियां बनाएगा।

लेकिन यह मानने के अच्छे कारण हैं कि ईरान, इजराइल और अमेरिका के निर्णयकर्ता जानते हैं कि और अधिक तनाव किसी के हित में नहीं है। और हो सकता है कि हालिया हमले ने इजराइल को संतुष्ट कर दिया हो और ईरान को भी यह कहने का मौका मिल गया हो कि जवाबी हमले की कोई जरूरत नहीं है।

(द कन्वरसेशन)

धीरज नरेश

नरेश