आर्कटिक में सिर्फ कुछ दशकों में ही महत्वपूर्ण बदलाव आया है |

आर्कटिक में सिर्फ कुछ दशकों में ही महत्वपूर्ण बदलाव आया है

आर्कटिक में सिर्फ कुछ दशकों में ही महत्वपूर्ण बदलाव आया है

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Modified Date: December 11, 2024 / 04:52 PM IST
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Published Date: December 11, 2024 4:52 pm IST

(ट्विला ए. मून और मैथ्यू एल. ड्रुकेनमिलर, कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय)

कोलोराडो, 11 दिसंबर (द कन्वरसेशन) यदि आप आर्कटिक क्षेत्र में रहने वाले 40 लाख लोगों में से नहीं हैं तो यह आपको दैनिक जीवन से कटा हुआ एक दूरस्थ स्थान जैसा लग सकता है। इसके बावजूद, तापमान में वृद्धि के कारण आर्कटिक में होने वाले बदलाव दुनिया भर में जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

आर्कटिक ग्लेशियर और ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर से पिघला हुआ पानी महासागरों में जाने से तटीय बाढ़ की समस्या का कई समुदायों पर असर पड़ रहा है। आर्कटिक के जंगलों में लगी आग और पिघलते टुंड्रा से निकलने वाली ऊष्मा-अवरोधक गैसें तेजी से हवा में मिल जाती हैं, जिससे पृथ्वी गर्म हो रही है।

टुंड्रा का अर्थ है आर्कटिक क्षेत्र में वृक्षविहीन पर्वतीय क्षेत्र का एक विशाल भूभाग।

असामान्य और प्रतिकूल मौसम की घटनाएं, खाद्य आपूर्ति पर दबाव और जंगली आग और उससे संबंधित धुएं से बढ़ते खतरे, ये सभी आर्कटिक को प्रभावित कर सकते हैं।

हम 10 दिसंबर को जारी 2024 आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड में आर्कटिक पर्यावरण की स्थिति पर जानकारी देने के लिए 11 देशों के 97 वैज्ञानिकों को एक साथ लेकर आये हैं। इनके पास वन्यजीवों से लेकर जंगल की आग और समुद्री बर्फ से लेकर हिम तक की विशेषज्ञता है।

उन्होंने आर्कटिक क्षेत्र में तेजी से हो रहे परिवर्तनों तथा विश्व के प्रत्येक क्षेत्र में लोगों और वन्य जीवन पर पड़ने वाले इसके परिणामों का वर्णन किया।

आज का आर्कटिक एक या दो दशक पहले के आर्कटिक से आश्चर्यजनक रूप से भिन्न दिखता है। पिछले 15 वर्षों से आर्कटिक में बर्फबारी का मौसम ऐतिहासिक रूप से एक से दो सप्ताह कम रहा है, जिससे मौसम का समय और चरित्र बदल रहा है।

हिमपात का छोटा होता मौसम उन पौधों और जानवरों के लिए चुनौती बन सकता है जो नियमित मौसमी बदलावों पर निर्भर रहते हैं। लंबे समय तक बर्फ रहित मौसम के कारण वसंत या गर्मियों में बर्फ पिघलने से जल संसाधन भी कम हो सकते हैं और सूखे की आशंका बढ़ सकती है।

कुल मिलाकर, 2024 में आर्कटिक में 1900 में माप शुरू होने के बाद से दूसरा सबसे अधिक तापमान होगा तथा रिकॉर्ड पर सबसे अधिक बारिश वाली गर्मियां होंगी।

जंगली आग का आकार और तीव्रता भी बढ़ गई है, जिससे वातावरण में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित हो रही है, और जंगली आग लगने का समय भी लंबा हो गया है। इन परिवर्तनों ने टुंड्रा पारिस्थितिकी तंत्र को चरमरा दिया है।

सुसान नटाली और उनके सहयोगियों ने पाया कि आर्कटिक टुंड्रा क्षेत्र अब कार्बन डाइऑक्साइड का स्रोत बन गया है – न कि डूब या भंडारण स्थान। ‘पर्माफ्रॉस्ट’ के पिघलने के कारण यह पहले से ही मीथेन का स्रोत था।

‘पर्माफ्रॉस्ट’ वह जमीन है जो कम से कम दो साल तक पूरी तरह से जमी हुई अवस्था में रहती है।

आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड प्रत्येक वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक का होता है और 2024 आर्कटिक के लिए रिकॉर्ड पर दूसरा सबसे गर्म वर्ष होगा। फिर भी, आर्कटिक में रहने वाले लोगों के लिए यह अनुभव क्षेत्रीय या मौसमी मौसम की मार जैसा हो सकता है।

मौसम पर जलवायु परिवर्तन और मानव निर्मित सड़कों और इमारतों सभी का प्रभाव पड़ रहा है। आर्कटिक क्षेत्र के मूल निवासियों को अपने क्षेत्र का गहन ज्ञान है जो हजारों वर्षों से उन्हें प्राप्त है, जिसके कारण वे एक दुर्गम क्षेत्र में भी बसने में सफल रहे हैं।

हमारा 2024 आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड खतरे को लेकर सतर्क करता रहा है। सभी को याद दिलाता रहा है कि भविष्य के जोखिम को कम करने के लिए – आर्कटिक में और हमारे सभी गृहनगरों में उत्सर्जन को कम करने और भविष्य के लिए सहयोग की आवश्यकता है। हम इस दिशा में एक साथ मिलकर प्रयास कर रहे हैं।

(द कन्वरसेशन)

देवेंद्र प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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