मेलबर्न। Trial of ‘Magic Mushroom’ : प्रयोगशाला में चूहों को ‘साइकेडेलिक’ दवाएं देना वैज्ञानिकों के लिए यह पता लगाने में मददगार साबित हो सकता है कि इसका उपयोग मनुष्यों में ‘एनोरेक्सिया नर्वोसा’ के इलाज के लिए कैसे किया जा सकता है। ‘साइलोसाइबिन’ समेत ‘साइकेडेलिक’ दवाओं का उपयोग खाने के प्रति अनिच्छा संबंधी मानसिक स्वास्थ्य विकार ‘एनोरेक्सिया’ के उपचार में कारगर साबित हुआ है। हालांकि, यह हर व्यक्ति पर काम नहीं करता है। साइलोसाइबिन, मस्तिष्क को सक्रिय करने वाला एक ऐसा यौगिक है जिसका उत्पादन ‘मैजिक मशरूम’ से होता है।
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Trial of ‘Magic Mushroom’ : एनोरेक्सिया नर्वोसा एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है, जिसके कारण लोग वजन बढ़ने के चलते शरीर के भद्दा दिखने के डर से भोजन की मात्रा को कम कर देते हैं। यह उम्मीद की जाती है कि ‘साइलोसाइबिन’ ऐसे विचारों और व्यवहार की सोच को बदलने में मददगार हो सकता है। हालांकि, साइलोसाइबिन उपचार के बाद सभी लोगों में चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण सुधार नहीं होते हैं, विशेष रूप से एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित लोगों में इसका असर हर व्यक्ति पर नहीं होता है। इसके पीछे का कारण अभी भी पता नहीं है और इसलिए वैज्ञानिक जैविक कारणों को बेहतर ढंग से समझने का प्रयास रहे हैं कि क्यों ‘साइकेडेलिक’ दवाएं कुछ के लिए फायदेमंद हो सकती हैं जबकि कुछ के लिए असरकारक नहीं हैं।
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Trial of ‘Magic Mushroom’ : प्रयोगशाला में पशुओं पर किए जाने वाले अध्ययन वैज्ञानिकों को हमारे शरीर पर दवा के प्रभाव और ये व्यवहार को कैसे बदल सकते हैं, दोनों को समझने में मदद कर सकते हैं। मोनाश विश्वविद्यालय के शोधकर्ता प्रचलित पशु मॉडल के जरिये एनोरेक्सिया नर्वोसा से संबंधित साइलोसाइबिन के विशिष्ट जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान को समझने की कोशिश कर रहे हैं। पशु मॉडल के जरिये सामने आया है कि ‘साइलोसाइबिन’ से कुछ विशेष प्रभाव पड़ते हैं, जिससे यह पता चल सकता है कि एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए यह किस तरह उपयोगी हो सकता है।