काबुल, 14 अगस्त (एपी) तालिबान ने शनिवार को दो और प्रांतों पर कब्जा कर लिया और अफगानिस्तान की राजधानी के बाहरी इलाके तक पहुंच गया है। वहीं उसने उत्तरी हिस्से के एक बड़े शहर पर चौतरफा हमला किया है जिसकी रक्षा पूर्व क्षत्रप कर रहे हैं। अफगान अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अफगानिस्तान से अमेरिका की पूर्णतया वापसी में तीन सप्ताह से भी कम समय शेष बचा है और ऐसे में तालिबान ने उत्तर, पश्चिम और दक्षिण अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। इसके कारण यह आशंका बढ़ गई है कि तालिबान फिर से अफगानिस्तान पर कब्जा कर सकता है या देश में गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है।
लोगार से सांसद होमा अहमदी ने शनिवार को बताया कि तालिबान ने पूरे लोगार पर कब्जा कर लिया है और प्रांतीय अधिकारियों को हिरासत में ले लिया है। उन्होंने बताया कि तालिबान काबुल के दक्षिण में मात्र 11 किलोमीटर दूर चार असयाब जिले तक पहुंच गया है।
आतंकवादियों ने पाकिस्तान की सीमा से लगते पक्तिया की राजधानी पर भी कब्जा कर लिया। यह जानकारी प्रांत से सांसद खालिद असद ने दी। उन्होंने बताया कि शराना में शनिवार तड़के लड़ाई शुरू हो गई लेकिन स्थानीय लोगों के हस्तक्षेप से संघर्षविराम का समझौता हो गया। उन्होंने बताया कि गवर्नर एवं अन्य अधिकारियों ने आत्मसमर्पण कर दिया और वे काबुल जा रहे हैं।
पड़ोसी पक्तिया प्रांत के एक सांसद सैयद हुसैन गरदेजी ने कहा कि तालिबान ने स्थानीय राजधानी गरदेज के अधिकतर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है लेकिन सरकारी बलों के साथ लड़ाई जारी है। तालिबान ने कहा कि शहर पर उनका कब्जा हो गया है।
उत्तरी बल्ख प्रांत में प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता मुनीर अहमद फरहाद ने बताया कि तालिबान ने शनिवार तड़के मजार-ए-शरीफ पर कई दिशाओं से हमला किया। इसके कारण इसके बाहरी इलाकों में भीषण लड़ाई शुरू हो गई। उन्होंने हताहतों के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी।
इस बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि वह 20 वर्षों की “उपलब्धियों” को बेकार नहीं जाने देंगे। उन्होंने कहा कि तालिबान के हमले के बीच ‘विचार-विमर्श’ जारी है। उन्होंने शनिवार को टेलीविजन के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया। हाल के दिनों में तालिबान द्वारा प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा जमाए जाने के बाद से यह उनकी पहली सार्वजनिक टिप्पणी है।
अमेरिका ने इस हफ्ते कतर में सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता जारी रखी है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने चेतावनी दी है कि बलपूर्वक स्थापित तालिबान सरकार को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
गनी ने कहा, ‘‘हमने सरकार के अनुभवी नेताओं, समुदाय के विभिन्न स्तरों के प्रतिनिधियों और हमारे अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।’’ उन्होंने विस्तार से जानकारी नहीं दी, लेकिन कहा, ‘‘जल्द ही आपको इसके परिणाम के बारे में बताया जाएगा।’’
गनी मजार-ए-शरीफ को बचाने की कोशिशों के तहत बुधवार को शहर गए थे और उन्होंने हजारों लड़ाकों की कमान संभालने वाले अब्दुल राशिद दोस्तम और अता मोहम्मद नूर समेत सरकार से संबद्ध कई मिलिशिया कमांडरों के साथ बैठक की थी।
ये मिलिशिया कमांडर सरकार की ओर हैं, लेकिन अफगानिस्तान में पहले हुई लड़ाइयों में क्षत्रपों को अपने बचाव के लिए पाला बदलने के लिए जाना जाता रहा है। एक पूर्व शक्तिशाली क्षत्रप इस्माइल खान ने हेरात को बचाने की कोशिश की थी। तालिबान ने दो हफ्ते तक चली भीषण लड़ाई के बाद पश्चिमी शहर पर कब्जे के दौरान इस्माइल को पकड़ लिया था।
अपनी सुरक्षा को लेकर मजार-ए-शरीफ के निवासी चिंतित हैं। एक निवासी मोहिबुल्लाह खान ने कहा, ‘‘शहर के भीतर और बाहर हालात खतरनाक हैं।’’ उन्होंने कहा कि कई लोग आर्थिक परेशानियों से भी जूझ रहे हैं।
एक अन्य निवासी कावा बशरत ने कहा, ‘‘शहर में सुरक्षा हालात खराब होते जा रहे हैं। मैं शांति और स्थिरता चाहता हूं। लड़ाई खत्म हो जानी चाहिए।’’
तालिबान ने देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहरों हेरात और कंधार समेत कई स्थानों पर अपना कब्जा कर लिया है। देश के 34 में से 18 प्रांतों पर उसका कब्जा है। तालिबान के तेजी से आगे बढ़ने के कारण पश्चिम-समर्थित सरकार का नियंत्रण काबुल और मजार-ए-शरीफ के साथ-साथ केवल मध्य एवं पूर्व में स्थित प्रांतों पर शेष रह गया है।
विदेशी बलों की वापसी और वर्षों में अमेरिका से मिली सैकड़ों अरब डॉलर की मदद के बावजूद अफगानिस्तान से बलों के पीछे हटने के कारण यह आशंका बढ़ गई है कि तालिबान फिर से देश पर कब्जा कर सकता है या देश में गुटों के बीच संघर्ष चालू हो सकता है, जैसा कि 1989 में सोवियत संघ के जाने के बाद हुआ था।
अफगानिस्तान में तालिबान के तेजी से पैर पसारने के बीच अमेरिकी दूतावास को आंशिक रूप से खाली करने में मदद करने के लिए अमेरिका की मरीन बटालियन का 3,000 कर्मियों का दस्ता शुक्रवार को यहां पहुंचा। शेष जवानों के रविवार को पहुंचने की संभावना है। हालांकि अतिरिक्त सैनिकों के अफगानिस्तान पहुंचने से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अमेरिका सैनिकों की वापसी का काम 31 अगस्त की समयसीमा के भीतर पूरा कर पाएगा या नहीं।
अमेरिकी वायुसेना ने अफगान गठबंधन के समर्थन में कई हवाई हमले किए लेकिन इससे तालिबान के आगे बढ़ने पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा है। एक बी-52 बमवर्षक विमान और अन्य युद्धक विमानों ने देश के हवाई क्षेत्र में उड़ानें भरीं।
इस बीच, तालिबान ने शनिवार को कंधार में एक रेडियो स्टेशन पर कब्जा कर लिया। तालिबान ने एक वीडियो जारी किया जिसमें एक अज्ञात तालिबानी आतंकवादी ने शहर के मुख्य रेडियो स्टेशन को कब्जे में लेने की घोषणा की। रेडियो का नाम बदलकर ‘वॉइस ऑफ शरिया’ कर दिया गया है। उसने कहा कि सभी कर्मचारी यहां मौजूद हैं, वे समाचार प्रसारित करेंगे, राजनीतिक विश्लेषण करेंगे और कुरान की आयतें पढ़ेंगे। ऐसा लगता है कि स्टेशन पर अब संगीत नहीं बजाया जाएगा।
तालिबान कई वर्षों से सचल रेडियो स्टेशन संचालित करता आ रहा है लेकिन प्रमुख शहर में उसका रेडियो स्टेशन पहले कभी नहीं रहा। वह ‘वॉइस ऑफ शरिया’ नाम का स्टेशन चलाता था जिसमें संगीत पर पाबंदी थी।
अमेरिका ने करीब 20 साल पहले 9/11 हमलों के बाद अफगानिस्तान में प्रवेश किया था। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की थी कि अगस्त के अंत तक सभी अमेरिकी बलों को वापस बुला लिया जाएगा। बाइडन की इस घोषणा के बाद ताजा हमले शुरू हुए। तालिबान के दमनकारी शासन की वापसी के डर से बड़ी संख्या में अफगान नागरिक अपने घर छोड़कर भागने पर मजबूर हो गए।
एपी नीरज उमा
उमा