कोलंबो, 15 नवंबर (भाषा) श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी ‘नेशनल पीपुल्स पावर’ (एनपीपी) ने शुक्रवार को संसदीय चुनाव में जीत दर्ज करते हुए संसद में दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया। श्रीलंका के निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित चुनाव परिणामों से यह जानकारी मिली।
श्रीलंका के निर्वाचन आयोग की वेबसाइट द्वारा जारी चुनाव परिणामों के अनुसार, मलीमावा (कम्पास) चिह्न के तहत चुनाव लड़ने वाली एनपीपी ने 225 सीट में से 159 पर जीत दर्ज की।
श्रीलंका में साजिथ प्रेमदासा की पार्टी समागी जना बालवेगया 40 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। बृहस्पतिवार को हुए चुनाव में 2010 के बाद से सबसे कम मतदान हुआ।
एनपीपी ने उत्तरी जाफना जिले में जीत हासिल कर भी इतिहास रच दिया।
तमिल अल्पसंख्यकों की सांस्कृतिक राजधानी उत्तरी जाफना जिले में एनपीपी (देश के दक्षिणी हिस्से में प्रमुख सिंहली बहुसंख्यक पार्टी) ने पारंपरिक तमिल राष्ट्रवादी पार्टियों पर पूरे जिले में विजय प्राप्त की।
इससे पहले कभी सिंहली बहुल कोई पार्टी जाफना में नहीं जीती है। पुरानी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) ने पहले जाफना में एक सीट जीती थी।
एनपीपी ने जाफना जिले में 80,000 से अधिक मतों से जीत हासिल की और बृहस्पतिवार को हुए मतदान की अंतिम गणना में पुरानी तमिल पार्टी 63,000 से कुछ अधिक मतों से पीछे रह गई।
पार्टी की यह जीत राष्ट्रपति दिसानायके की चुनाव-पूर्व टिप्पणियों के अनुरूप है, जिन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी को सभी समुदायों द्वारा एक सच्ची राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। एनपीपी नेता दिसानायके ने कहा, ‘‘एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने और विभाजित करने का युग समाप्त हो गया है, क्योंकि लोग एनपीपी को अपना रहे हैं।’’
एनपीपी को 68 लाख या 61 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं, जिससे उसने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त बना ली है।
श्रीलंका में चुनाव ऐसे समय में हुए जब वहां आक्रामक सूक्ष्म-अर्थव्यवस्था की नीति के कारण मुद्रा में गिरावट आई थी और स्थिरीकरण का संकट आ गया था।
आईएमएफ कार्यक्रम के तहत लगाए गए अलोकप्रिय उपायों में उच्च व्यक्तिगत आय कर भी शामिल था, जो मध्यम वर्ग के वेतन भोगियों की आय को खर्च होने से पहले ही छीन लेता था, जिससे वे गरीबी मार झेल रहे थे।
एनपीपी को उम्मीद है कि अगले सप्ताह आईएमएफ के साथ बातचीत में वह कुछ करों में कटौती पर बातचीत कर सकेगी।
यह चुनाव तय समय से एक साल पहले हुआ, क्योंकि दिसानायके ने सितंबर में राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद संसद को बर्खास्त कर दिया था।
नयी संसद का सत्र अगले सप्ताह शुरू होने वाला है।
भाषा सुरभि रंजन
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