कोलंबो, 29 दिसंबर (भाषा) श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग ने राष्ट्रपति अनुर कुमार दिसानायक को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि उसके सदस्यों को पिछले सप्ताह से एक सैन्य शिविर में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है।
पत्र में कहा गया है, “26 दिसंबर को, श्रीलंका मानवाधिकार आयोग (एचआरसीएसएल) के एक निदेशक समेत अधिकारियों की एक टीम ने उत्तरी प्रांत के मुल्लातिवु में श्रीलंका की वायु सेना के शिविर में इन लोगों की हिरासत की स्थिति की निगरानी करने का प्रयास किया। लेकिन उन्हें इन लोगों तक पहुंचने से रोक दिया गया।”
श्रीलंका की नौसेना ने 20 दिसंबर को कहा था कि उसने उत्तरपूर्वी तट के पास समुद्र में संकटग्रस्त स्थिति में फंसे म्यांमा के 100 से अधिक रोहिंग्याओं को बचाया है।
नौसेना के मुताबिक, स्थानीय मछुआरों ने मुल्लाइथिवु जिले के वेल्लामुल्लीवाइक्कल क्षेत्र में इन्हें देखा था।
सरकार ने बाद में कहा कि उनके आने का कारण मानव तस्करी हो सकता है।
‘द संडे टाइम्स’ ने यहां विदेश उपमंत्री अरुण हेमचंद्र के हवाले से कहा, “जांच से पता चला है कि वे जानबूझकर यहां आए थे और हम उन्हें अवैध आप्रवासी मानते हैं।”
एचआरसीएसएल के पत्र में कहा गया है कि आयोग की शक्तियां और कार्य न केवल श्रीलंकाई नागरिकों तक बल्कि श्रीलंका में हिरासत में लिए गए ‘किसी भी व्यक्ति’ तक विस्तारित हैं।
एचआरसीएसएल ने हिरासत की स्थितियों की निगरानी करने के आयोग के प्रयासों में बाधा डालने के आरोपी आव्रजन महानियंत्रक और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को स्पष्टीकरण देने के लिए 31 दिसंबर को पेश होने के लिए कहा है।
भाषा जोहेब संतोष
संतोष
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