(बारबरा जैकलीन सहकियान और क्रिस्टेल लैंगली, कैंब्रिज विश्वविद्यालय; चुन शेन और जियानफेंग फेंग, फुदान विश्वविद्यालय)
शंघाई, सात जनवरी (द कन्वरसेशन)मनुष्य स्वाभाविक रूप से सामाजिक होता है। हम संबंध, संचार और साझा अनुभवों के साथ बड़े होते हैं, जो हमारी पहचान को आकार देने और अपनेपन की भावना को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। फिर भी, तेजी से डिजिटल और तेज गति वाली दुनिया में, अकेलेपन और सामाजिक अलगाव की भावनाएं चिंताजनक रूप से आम हो गई हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक ये भावनाएं व्यापक हैं। लगभग 25 प्रतिशत वृद्ध लोग सामाजिक अलगाव का अनुभव करते हैं और पांच से 15 प्रतिशत किशोर अकेलेपन के शिकार होते हैं।
ये आंकड़े अहम हैं क्योंकि प्रकाशित अध्ययनों से पता चला है कि सामाजिक अलगाव और अकेलापन बीमारी और मृत्यु के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। दरअसल, 2022 में प्रकाशित हमारे अपने अध्ययन में पाया गया कि वृद्ध लोगों में सामाजिक अलगाव से डिमेंशिया होने का खतरा 26 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। हमने यह भी पाया कि अकेलापन अवसाद से जुड़ा हुआ है।
हम सामाजिक अलगाव व अकेलेपन तथा स्वास्थ्य के बीच संबंध के पीछे अंतर्निहित जैविक प्रक्रियाओं को समझकर अपने पिछले अध्ययन का अनुसरण करना चाहते थे। अकेलापन हमारे शरीर और मन के लिए इतना बुरा क्यों है?
प्रोटीन का अध्ययन
हमने प्रोटिओमिक्स नामक प्रोटीन के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया। ऐसा इसलिए क्योंकि हम जानते हैं कि प्रोटीन जीन अभिव्यक्ति में भूमिका निभाते हैं, इस प्रक्रिया द्वारा जीन में कूटबद्ध जानकारी जैविक गतिविधि में बदल जाती है। प्रोटीन को केंद्र में रखकर दवाएं विकसित करने के लिए अध्ययन किया जाता है।
‘नेचर ह्यूमन बिहेवियर’ पत्रिका में प्रकाशित और कैंब्रिज विश्वविद्यालय और फुदान विश्वविद्यालय के सहयोग से किये गए अध्ययन में हमने ‘ब्रिटिश बायोबैंक’ के 42,062 प्रतिभागियों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया और 2,920 प्लाज्मा प्रोटीन का अध्ययन किया।
हमने प्रोटीन और अकेलेपन एवं सामाजिक अलगाव के बीच संबंध की जांच की। हमने पाया कि प्रोटीन व अकेलेपन और सामाजिक अलगाव अहम रूप से जुड़े हैं। यह भाव सूजन के साथ-साथ एंटीवायरल और प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं से भी जुड़ा है।
विशेष रूप से, हमारे अध्ययन से संकेत मिला कि अकेलेपन के कारण मस्तिष्क में व्यक्त पांच विशिष्ट प्रोटीनों (जिन्हें जीएफआरए1, एडीएम, एफएबीपी4, टीएनएफआरएसएफ10ए और एएसजीआर1 के रूप में जाना जाता है) के स्तर में वृद्धि हो सकती है। दूसरे शब्दों में, हमने जिन प्रोटीनों को अकेलेपन से संबंधित माना, वे सभी ‘सकारात्मक रूप से संबद्ध’ थे। इसका अर्थ यह है कि जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं, उनमें प्रोटीन का स्तर उन लोगों की तुलना में अधिक होता है जो अकेलापन महसूस नहीं करते।
हमने अपने प्रतिभागियों के स्वास्थ्य का करीब 14 साल के आंकड़ों का अध्ययन किया। इससे पता चला कि आधे से ज्यादा प्रोटीन हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज, स्ट्रोक और मौत से जुड़े थे।
हमारे निष्कर्षों के आधार पर, अच्छे सामाजिक संबंध रखने और अकेलापन महसूस न करने से कुछ हानिकारक प्रोटीनों के स्तर में कमी आने से स्वास्थ्य को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, प्रोटीन अकेलेपन और स्वास्थ्य के बीच संबंध को आंशिक रूप से ही समझा सकता है। सामाजिक तनाव जैसे अन्य संभावित कारण भी इसमें भूमिका निभा सकते हैं।
हमारी जानकारी के अनुसार, यह पहला उदाहरण हो सकता है जो इंगित करता है कि इन पांच प्रमुख प्रोटीन की संभावित वजह से अकेलापन किस प्रकार रुग्णता और मृत्यु दर को प्रभावित करता है।
सामाजिक प्रभाव
सामाजिक अलगाव और अकेलापन सभी उम्र और लिंगों को प्रभावित करता है और बड़ी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। यह अध्ययन यह समझने में मदद करता है कि जैविक स्तर पर यह कैसे होता है।
यह दर्शाता है कि सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से दूसरों से जुड़ना कितना महत्वपूर्ण है, उदाहरण के लिए स्वैच्छिक या टीम खेल। यह स्वास्थ्य परिणामों के लिए महत्वपूर्ण अंतर्निहित जैविक प्रक्रियाओं पर सामाजिक अलगाव और अकेलेपन के प्रभावों को कम कर सकता है।
प्रौद्योगिकी हालांकि संपर्क में बने रहने के नए तरीके उपलब्ध कराती है, लेकिन कभी-कभी यह सतही संपर्कों को जन्म देती है, जिससे हम पहले से कहीं अधिक अलग-थलग महसूस करते हैं। डिजिटल संपर्क से घिरे होने के बावजूद भी अकेलेपन का एहसास होने का विरोधाभास गहरे, सार्थक सामाजिक संबंधों के महत्व को रेखांकित करता है।
आमने-सामने की मुलाकात के दौरान आप बिना कहे भी बहुत सी भावनाओं को महसूस करते हैं जो अक्सर बेहतर संबंधों को बढ़ावा देती है। दरअसल एक अध्ययन से पता चला है कि आमने-सामने बातचीत करने वाले भागीदारों का कंप्यूटर के माध्यम से बातचीत करने वाले लोगों की तुलना में अधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सामाजिक संपर्क अंततः हमारी भलाई के लिए आवश्यक है क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को बेहतर करता है। सामाजिक संपर्क तनाव को कम करते हैं, रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। वे संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को मजबूत करते हैं और मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। इसके अलावा, वे समानुभूति और समझ को बढ़ावा देने, हमारे दिमाग को मजबूत करने और भावनात्मक लचीलापन बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं।
स्पष्टतः, एक समृद्ध समाज को बढ़ावा देने के लिए हमें एक दूसरे के साथ सार्थक संबंध बनाने की आवश्यकता है।
(द कन्वरसेशन) धीरज नरेश
नरेश
नरेश
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