(के जे एम वर्मा)
बीजिंग, 16 दिसंबर (भाषा) पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने के लिए 21 अक्टूबर को हुए समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधों की बहाली पर चर्चा के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि बुधवार को यहां मिलेंगे।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने सोमवार को यहां बताया कि सहमति के अनुरूप केंद्रीय विदेश आयोग के कार्यालय के निदेशक वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 18 दिसंबर को बीजिंग में ‘चीन-भारत सीमा विवाद’ के लिए विशेष प्रतिनिधियों की 23वीं बैठक करेंगे।
ज्ञात सूत्रों के अनुसार, डोभाल महत्वपूर्ण वार्ता में भाग लेने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचेंगे, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिए आगे बढ़ने का रास्ता मिलने की उम्मीद है।
भारत-चीन सीमा विवाद को निपटाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के इस तंत्र ने पिछले कुछ वर्षों में 22 बार बैठकें की हैं। इस तंत्र का गठन 2003 में किया गया था।
विशेष प्रतिनिधियों की यह बैठक पांच साल के अंतराल के बाद होगी। पिछली बैठक 2019 में हुई थी।
हालांकि सीमा विवाद को सुलझाने में सफलता नहीं मिली, लेकिन दोनों पक्षों के अधिकारी इसे दोनों देशों के बीच बार-बार होने वाले तनाव को दूर करने में एक बहुत ही आशाजनक, उपयोगी और आसान उपकरण मानते हैं।
दोनों देशों के बीच रिश्तों पर अप्रैल 2020 से ही बर्फ जमी थी, जब चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की ओर बड़ी संख्या में सैनिकों को भेजा था, जिससे दोनों देशों के बीच सबसे लंबे समय तक सैन्य गतिरोध बना रहा।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में कहा कि पिछले कई हफ्तों से चल रही बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप दिया गया है और इससे 2020 में उठे मुद्दों का समाधान निकलेगा।
इसके बाद, चीनी विदेश मंत्रालय ने 22 अक्टूबर को समझौते की पुष्टि करते हुए कहा, ‘‘दोनों पक्ष प्रासंगिक मामलों के समाधान तक पहुंच गए हैं। चीन इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए भारत के साथ काम करेगा।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 24 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान कजान में मुलाकात की, और इस दौरान उन्होंने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त और पीछे हटने के समझौते का समर्थन किया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने ब्राजील में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की, जिसके बाद चीन-भारत सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की बैठक हुई।
भाषा सुरेश दिलीप
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