सिंगापुर की अदालत ने भारतीय मूल के पूर्व मंत्री को 12 माह जेल की सजा सुनाई

सिंगापुर की अदालत ने भारतीय मूल के पूर्व मंत्री को 12 माह जेल की सजा सुनाई

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  • Publish Date - October 3, 2024 / 12:53 PM IST,
    Updated On - October 3, 2024 / 12:53 PM IST

( गुरदीप सिंह )

सिंगापुर, तीन अक्टूबर (भाषा) सिंगापुर उच्च न्यायालय ने भारतीय मूल के पूर्व परिवहन मंत्री एस ईश्वरन को दो व्यापारियों से करीब 403,300 सिंगापुर डॉलर के उपहार प्राप्त करने के सात साल पुराने मामले में बृहस्पतिवार को 12 माह जेल की सजा सुनाई।

ईश्वरन व्यापारियों अपना दोस्त बताते थे।

ईश्वरन (62) ने 24 सितंबर को मुकदमे की सुनवाई के पहले दिन उपहार प्राप्त करने और न्याय में बाधा डालने से जुड़े चार आरोपों में अपना जुर्म कबूल किया। अभियोजन पक्ष के 56 गवाहों के बयान दर्ज कराने के लिए इस सुनवाई को लंबा चलना था लेकिन इसे संक्षिप्त कर दिया गया।

न्यायमूर्ति विंसेंट हुंग ने सजा सुनाते हुए कहा कि उन्होंने सजा के अनुरोध पर अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष दोनों की दलील पर गौर किया, लेकिन ‘‘अंततः दोनों पक्षों के रुख से सहमत नहीं हो पाए।’’

न्यायमूर्ति हुंग ने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक संस्थाओं में भरोसा और विश्वास प्रभावी शासन का आधार है।

न्यायमूर्ति ने कहा कि पूर्व मंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लगभग 403,300 सिंगापुरी डॉलर (313,200 अमेरिकी डॉलर) के उपहार स्वीकार किए।

न्यायमूर्ति ने कहा कि अहम बात यह है कि ईश्वरन ने सार्वजनिक बयान देकर आरोपों को झूठा बताया था।

‘द स्ट्रेट्स टाइम्स’ की खबर में न्यायमूर्ति के हवाले कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में ईश्वरन ने कहा था कि उन्होंने आरोपों को खारिज किया है और वे निर्दोष हैं, तथा उन्हें विश्वास है कि उन्हें बरी कर दिया जाएगा। इसलिए, मेरे लिए यह विश्वास कर पाना मुश्किल है कि उन्हें पश्चाताप है।’’

न्यायमूर्ति हुंग ने कहा कि अपराधी का लोक सेवक के रूप में पद जितना ऊंचा होगा, उसकी दोषसिद्धि का स्तर उतना ही अधिक होगा।

ईश्वरन के अधिवक्ता दविंदर सिंह ने आठ-सप्ताह से अधिक की सजा न दिए जाने की दलील दी थी, जबकि डिप्टी अटार्नी जनरल ताई वेई श्योन्ग ने छह से सात माह की सजा अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि दोनों पक्षों की दलील से हटकर सजा देना उचित है।’’ उन्होंने कहा कि अगर अभियोजन पक्ष या बचाव पक्ष की दलील को स्वीकार करने के आधार पर सजा दी जाती है तो यह ‘‘स्पष्ट रूप से अपर्याप्त सजा’’ होगी।

भाषा खारी मनीषा

मनीषा