इस्लामोफोबिया की ‘त्रुटिपूर्ण’ परिभाषा के खिलाफ सिख संगठन को ब्रिटेन सरकार का मिला समर्थन

इस्लामोफोबिया की ‘त्रुटिपूर्ण’ परिभाषा के खिलाफ सिख संगठन को ब्रिटेन सरकार का मिला समर्थन

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  • Publish Date - September 29, 2024 / 06:57 PM IST,
    Updated On - September 29, 2024 / 06:57 PM IST

(अदिति खन्ना)

लंदन, 29 सितंबर (भाषा) लेबर पार्टी द्वारा कुछ वर्ष पहले स्वीकार की गई ‘इस्लामोफोबिया’ की ‘‘त्रुटिपूर्ण’’ परिभाषा को कानूनी रूप दिये जाने के खिलाफ अभियान चला रहे एक ब्रिटिश सिख संगठन को ब्रिटेन सरकार के इस कदम से प्रोत्साहन मिला है कि यह प्रस्ताव ब्रिटेन के समानता अधिनियम के अनुरूप नहीं होगा।

‘द नेटवर्क ऑफ सिख ऑर्गेनाइजेशंस’ (एनएसओ) ने इस महीने की शुरुआत में उप प्रधानमंत्री एंजेला रेनर और सरकार में धार्मिक मामलों के मंत्री लॉर्ड वाजिद खान को पत्र लिखकर आगाह किया था कि प्रस्तावित परिभाषा भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास के तथ्यात्मक अवलोकन को भी जोखिम में डाल देगी।

ब्रिटिश मुसलमानों पर सर्वदलीय संसदीय समूह (एपीपीजी) ने 2018 में इस्लामोफोबिया को ‘नस्लवाद के एक प्रकार’ के रूप में परिभाषित किया था जो मुसलमानों के प्रति लक्षित है।

इस सप्ताह एनएसओ को लॉर्ड्स खान के जवाब में कहा गया, ‘जैसा कि आपने उल्लेख किया है, एपीपीजी द्वारा प्रस्तावित परिभाषा समानता अधिनियम 2010 के अनुरूप नहीं है, जो रंग, राष्ट्रीयता और राष्ट्रीय या जातीय मूल के संदर्भ में नस्ल को परिभाषित करता है।’

अपने पत्र में एनएसओ ने चेतावनी दी थी कि ‘विवादित परिभाषा’ को कानून में शामिल किये जाने से ‘स्वतंत्र अभिव्यक्ति और विशेष रूप से ऐतिहासिक तथ्य पर चर्चा करने की क्षमता’ पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

भाषा शुभम सुभाष

सुभाष