बलूचिस्तान के वरिष्ठ नेता ने प्रांत की समस्याओं की अनदेखी को लेकर संसद से इस्तीफा दिया

बलूचिस्तान के वरिष्ठ नेता ने प्रांत की समस्याओं की अनदेखी को लेकर संसद से इस्तीफा दिया

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  • Publish Date - September 3, 2024 / 08:49 PM IST,
    Updated On - September 3, 2024 / 08:49 PM IST

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, तीन सितंबर (भाषा) पाकिस्तान के वरिष्ठ नेता एवं बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल के प्रमुख सरदार अख्तर मेंगल ने मंगलवार को संसद से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने आरोप लगाया कि अशांत प्रांत बलूचिस्तान की संसद द्वारा लगातार अनदेखी की गई है।

मेंगल (61) को आठ फरवरी के आम चुनाव में उनके गृह क्षेत्र खुजदार से नेशनल असेंबली का सदस्य चुना गया था।

उनका इस्तीफा, हाल के हमलों और पिछले महीनों में लोगों को जबरन गायब किए जाने को लेकर बलूचिस्तान में बढ़ते तनाव के बीच आया है। हालांकि, उनका इस्तीफा अभी स्वीकृत नहीं हुआ है।

बलूचिस्तान के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिये जाने को लेकर निराशा जाहिर करते हुए मेंगल ने संसद भवन के बाहर संवाददाता सम्मेलन के दौरान अपने इस्तीफे की घोषणा की।

मेंगल ने कहा, ‘‘आज, मैंने बलूचिस्तान की समस्या के बारे में नेशनल असेंबली में बोलने का निर्णय लिया लेकिन अशांत प्रांत के विषयों में कोई रूचि नहीं ली जा रही है।’’

अपने प्रांत में स्थिति को लेकर गहरी चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सांसदों ने खुद कहा है कि बलूचिस्तान हमारे हाथ से फिसल रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा कहना है कि बलूचिस्तान हाथ से फिसल नहीं रहा है बल्कि निकल चुका है। बलूचिस्तान में कई लोगों की जान जा चुकी है। इस मुद्दे पर सभी को एकजुट होना चाहिए।’’

मेंगल ने संकट का सामना कर रहे प्रांत पर खुले संवाद की कमी की भी आलोचना की। उन्होंने आग्रह किया, ‘‘जब भी यह मुद्दा उठाया जाता है, इसे दबा दिया जाता है। अगर आप मेरी बातों से असहमत हैं, तो धैर्यपूर्वक सुनें। अगर फिर भी आपको मेरी बातें गलत लगती हैं, तो मुझे कोई भी सजा मंजूर है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप संसद के बाहर मुझे मारना चाहते हैं, तो आगे बढ़ें, लेकिन कम से कम मेरी बात तो सुनें। हमारे पास कोई नहीं है, और कोई हमारी बात नहीं सुनता।’’

बलूचिस्तान में 26 अगस्त को हुई हिंसा में 10 सुरक्षाकर्मियों सहित 50 से अधिक लोग मारे गए।

ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से लगा बलूचिस्तान लंबे समय से हिंसक विद्रोह का केंद्र रहा है। प्रांत को प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और बलूच चरमपंथियों से दोहरा खतरा है।

बलूच विद्रोही समूहों ने पहले भी 60 अरब अमेरिकी डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं को निशाना बनाकर कई हमले किए हैं।

अलगाववादी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) बलूचिस्तान में चीन के निवेश के खिलाफ है और इसने चीन और पाकिस्तान पर संसाधन संपन्न इस प्रांत का दोहन करने का आरोप लगाया है, हालांकि अधिकारियों ने इस आरोप को खारिज कर दिया है।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश