दक्षिण अफ्रीका में वैज्ञानिकों ने सील में रेबीज के पहले मामले का पता लगाया

दक्षिण अफ्रीका में वैज्ञानिकों ने सील में रेबीज के पहले मामले का पता लगाया

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  • Publish Date - September 20, 2024 / 06:55 PM IST,
    Updated On - September 20, 2024 / 06:55 PM IST

केप टाउन , 20 सितंबर (एपी) दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने ‘सील’ में रेबीज के प्रकोप की पहचान की है और ऐसा माना जा रहा है कि पहली बार समुद्री स्तनधारियों में यह वायरस फैला है।

‘सील’ ज्यादातर आर्कटिक और अंटार्कटिक के जल में पाई जाती है, जो काफी ठंडा होता है।

सरकारी पशु चिकित्सक डॉ. लेस्ली वैन हेल्डेन ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका के पश्चिमी और दक्षिणी तट पर विभिन्न स्थानों पर मृत पाई गई कम से कम 24 ‘केप फर सील’ रेबीज से पीड़ित थीं।

रेबीज, स्तनधारियों को प्रभावित करता है और इसका वायरस मनुष्यों में प्रवेश कर सकता है। इसके लक्षण नजर आने के बाद यह लगभग हमेशा घातक होता है। रेबीज लार के माध्यम से फैलता है और आमतौर पर जंतु के काटने से फैलता है।

हेल्डेन और अन्य विशेषज्ञों ने इस सप्ताह कहा कि यह वायरस लंबे समय से जंगली जानवरों जैसे रैकून, कोयोट, लोमड़ी, सियार और पालतू कुत्तों में पाया जाता रहा है। लेकिन इसके समुद्री स्तनधारियों में फैलने का मामला अबतक सामने नहीं आया था।

समुद्री स्तनधारी में रेबीज का एकमात्र ज्ञात मामला 1980 के दशक की शुरुआत में नॉर्वे के स्वालबार्ड द्वीप समूह में एक सील में सामने आया था। शोधकर्ताओं ने कहा कि उस सील को संभवतः एक आर्कटिक लोमड़ी ने संक्रमित किया था, और वहां सील में रेबीज फैलने का कोई साक्ष्य नहीं था।

दक्षिण अफ़्रीका में अधिकारियों ने जून में केप फर सील में रेबीज का पहली बार पता लगाया, जब केप टाउन बीच पर एक कुत्ते को सील ने काट लिया था।

कुत्ता रेबीज से संक्रमित हो गया, जिसके बाद शोधकर्ताओं ने 2021 से पहले से ही एकत्र किए गए 135 सील के शवों के मस्तिष्क के नमूनों में रेबीज की जांच शुरू की। लगभग 20 नए नमूने भी एकत्र किए गए और बाद की जांच में और भी मामलों की पुष्टि हुई।

वैज्ञानिक अब यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि रेबीज सील तक कैसे पहुंचा, क्या यह उनके बीच व्यापक रूप से फैल रहा है और इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है।

एपी सुभाष पवनेश

पवनेश