ऋषि सुनक: वह व्यक्ति जिन्होंने ब्रिटेन-भारत के बीच जीवंत सेतु के रूप में इतिहास रचा

ऋषि सुनक: वह व्यक्ति जिन्होंने ब्रिटेन-भारत के बीच जीवंत सेतु के रूप में इतिहास रचा

ऋषि सुनक: वह व्यक्ति जिन्होंने ब्रिटेन-भारत के बीच जीवंत सेतु के रूप में इतिहास रचा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:40 pm IST
Published Date: September 5, 2022 7:58 pm IST

लंदन, पांच सितंबर (भाषा) डेविड कैमरन ने वर्ष 2010 में ब्रिटेन का प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद के वर्षों में विश्वास के साथ घोषणा की थी कि यह कंजर्वेटिव पार्टी होगी जो देश के प्रधानमंत्री पद के लिए पहले ब्रिटिश भारतीय उम्मीदवार की पेशकश करेगी। लेकिन कैमरन को तब यह उम्मीद नहीं रही होगी कि पार्टी के नये सांसदों में से एक को जल्द ही यह मौका मिलेगा।

पूर्व निवेश बैंकर और ऑक्सफोर्ड तथा स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के स्नातक ऋषि सुनक 2015 में यॉर्कशायर के टोरी गढ़ रिचमंड से संसद सदस्य चुने गए थे और फिर वह जल्द ही कनिष्ठ मंत्री से वित्त मंत्री के पदी तक पहुंच गए।

सोमवार को 42 वर्षीय नेता ने पार्टी के भीतर नयी ऊंचाइयों को छुआ, हालांकि वह ब्रिटेन में भारतीय विरासत वाले व्यक्ति के रूप में प्रधानमंत्री पद की दौड़ में पूर्ण सफलता अर्जित नहीं कर पाए। परिणाम अनुमान से अधिक करीब था। सुनक ने अपनी प्रतिद्वंद्वी लिज़ ट्रस को मिले पार्टी सदस्यों के 57 प्रतिशत मतों की तुलना में 43 प्रतिशत वोट हासिल किए।

 ⁠

प्रधानमंत्री पद की दौड़ के लिए लगभग आठ सप्ताह तक चले चुनाव अभियान के दौरान ऋषि सुनक ने कहा था, ‘‘हम जानते हैं कि ब्रिटेन-भारत संबंध महत्वपूर्ण हैं। हम अपने दोनों देशों के बीच जीवंत सेतु का प्रतिनिधित्व करते हैं।’’

द्विपक्षीय संबंधों के लिए उनका दृष्टिकोण ब्रिटेन के लिए भारत में चीजों को बेचने के मौके से परे रहा है और वह चाहते हैं कि ब्रिटेन भी ‘भारत से सीखे’।

उन्होंने कहा, ‘मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हमारे छात्रों के लिए भी भारत की यात्रा करना और सीखना आसान हो, हमारी कंपनियों और भारतीय कंपनियों के लिए एक-दूसरे के साथ काम करना आसान हो क्योंकि यह केवल एकतरफा संबंध नहीं है, यह दो-तरफा संबंध है, और इस तरह का बदलाव मैं उस रिश्ते में लाना चाहता हूं।’

पूर्व वित्त मंत्री से उम्मीद है कि वह अपने स्वयं के निर्वाचकों के साथ 15 लाख से अधिक भारतीय प्रवासियों का समर्थन करते रहेंगे।

यह पूछे जाने पर कि ट्रस से हार के बाद आगे क्या होगा, उन्होंने कहा, ‘मैं संसद के सदस्य के रूप में बना रहने जा रहा हूं … उत्तरी यॉर्कशायर के रिचमंड में अपने निर्वाचकों का संसद सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व करना एक बहुत बड़ा विशेषाधिकार रहा है और जब तक वे मेरे पास रहेंगे, मैं ऐसा करते रहना पसंद करूंगा।’

भविष्य में दूसरी बार चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मुझे इससे उबरने की जरूरत है।’

दो छोटी बेटियों-कृष्णा और अनुष्का के पिता से फिलहाल परिवार के लिए कुछ समय निकालने की उम्मीद है।

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मैंने जो सबसे बड़ा त्याग किया है, वह यह है कि मैं पिछले कुछ वर्षों से एक भयावह पति और पिता रहा हूं। दुर्भाग्य से, मैं पिछले कुछ वर्षों में उनके जीवन में उतना उपस्थित नहीं रह पाया जितना कि मुझे होना था।’’

उनकी पत्नी और इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति तथा लेखक सुधा मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति की आंखों में आंसू दिखे। उनके माता-पिता, सेवानिवृत्त डॉक्टर यशवीर और फार्मासिस्ट उषा सुनक की आंखों में भी आंसू थे।

सुनक ने टेलीविजन पर बहस के दौरान कहा था, ‘‘मेरे ससुर के पास कुछ भी नहीं था, बस एक सपना था और कुछ सौ पाउंड थे जो मेरी सास की बचत ने उन्हें प्रदान किए थे। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी, सबसे सम्मानित कंपनियों में से एक का निर्माण किया जो यहां ब्रिटेन में हज़ारों लोगों को रोज़गार देती है।’’

धर्मपरायण हिंदू सुनक जब सांसद बने थे तो उन्होंने हाउस ऑफ कॉमंस में भगवद्गीता के नाम पर शपथ ली थी।

भाषा नेत्रपाल संतोष

संतोष


लेखक के बारे में