(मिलाद हघानी, यूएनएसडब्ल्यू सिडनी)
सिडनी, छह जनवरी ( द कन्वरसेशन ) अगर कोई हमें फुटपाथ पर या मॉल में टक्कर मार देता है, तो हम आम तौर पर उसे माफ कर देते हैं, या उससे माफ़ी मांग लेते हैं या एक तरफ हट जाते हैं। तब हम उस पर चीखते-चिल्लाते नहीं, उसका पीछा नहीं करते, या उस पर हमला नहीं करते हैं।
लेकिन कार में बैठते ही सब कुछ बदल जाएगा। रोज़मर्रा की ज़िंदगी में शांत दिखने वाले लोग आपा खो बैठते हैं, हॉर्न बजाने लगते हैं, या दूसरों पर चिल्लाने लगते हैं और कभी-कभी अजनबियों के पीछे भागने लगते हैं। काम या घर पर होने वाली समस्याएँ अचानक दूसरों पर गुस्से के रूप में फूट सकती हैं।
‘रोड रेज’ दुर्घटना का जोखिम बढ़ाता है। ‘रोड रेज’ की घटनाओं के शिकार लोगों के साथ अक्सर कार में बच्चे भी होते हैं।
ड्राइविंग हमारे अंदर की बुराइयों को क्यों सामने लाती है? और सबसे महत्वपूर्ण बात, हम इसके बारे में क्या कर सकते हैं?
‘रोड रेज’ आम बात है :
हाल के सर्वेक्षणों से पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया में सड़क पर रोष आम बात है। सितंबर 2024 में, बीमाकर्ता ‘एनआरएमए’ के सर्वेक्षणों से पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया में सड़क पर रोष आम बात है।
सितंबर 2024 में, एनआरएमए ने दो राज्यों में अपने 1,464 सदस्यों के सर्वेक्षण की रिपोर्ट दी, जिसमें पाया गया कि कई लोगों ने ‘रोड रेज’ की घटनाएँ देखी हैं। इनमें पीछे से लापरवाहीपूर्वक गाड़ी चलाते हुए आगे निकलना (71 फीसदी), ड्राइवर द्वारा दूसरे ड्राइवरों को परेशान करना (67 फीसदी), दूसरे ड्राइवरों को गुस्से से इशारा करना (60 फीसदी), जानबूझकर दूसरे वाहनों के सामने आना (58 फीसदी), दूसरे ड्राइवर से लड़ने के लिए ड्राइवर का अपनी कार से बाहर निकलना (14 फीसदी), पीछा करना (10 फीसदी), शारीरिक हमला (4 फीसदी) जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
एक अन्य बीमाकर्ता, ‘बजट डायरेक्ट’ ने पिछले साल 825 लोगों के सर्वेक्षण की रिपोर्ट दी थी, जिसमें पाया गया था कि लगभग 83 फीसदी लोगों ने सड़क पर चिल्लाने, गाली देने या असभ्य इशारों का अनुभव किया था। इन मामलों में 2021 से 18 फीसदी की वृद्धि हुई।
सर्वेक्षण में 87 फीसदी महिलाओं ने बताया कि उन्होंने सड़क पर अन्य लोगों से चिल्लाने, गाली देने या असभ्य इशारों का सामना किया है। ड्राइवर के गुस्से के सामान्य कारणों में पीछे से गाड़ी चलाते हुए आगे निकलना, कथित तौर पर अशिष्टता आदि शामिल हैं।
आक्रामक ड्राइविंग का आचरण युवा पुरुष ड्राइवरों में अधिक आम है।
‘रोड रेज’ एक वैश्विक समस्या है। अध्ययनों से पता चलता है कि जापान, अमेरिका, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन जैसी जगहों पर ‘रोड रेज’ आम है।
सड़क पर गुस्सा होने की आशंका किसमें अधिक होती है?
हममें से कुछ लोगों के गाड़ी चलाते समय गुस्सा होने की आशंका दूसरों की तुलना में अधिक होती है। शोधकर्ता ‘ड्राइविंग एंगर स्केल’ नामक एक परीक्षण उपकरण के माध्यम से इसका पता लगाते हैं।
इस परीक्षण से किए गए कई अध्ययनों से पता चलता है कि जो ड्राइवर सामान्य रूप से अधिक गुस्से में होते हैं, उनके उस गुस्से को आक्रामकता में बदलने की अधिक आशंका होती है। वे जल्दी परेशान हो जाते हैं, अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रखते, अधिक जोखिम लेते हैं, और परिणामस्वरूप, क्रोध से दुर्घटनाओं की आशंका अधिक होती है।
शोध से पता चलता है कि महिला ड्राइवरों को पुरुष ड्राइवरों जितना ही गुस्सा आता है, लेकिन उनके द्वारा नकारात्मक तरीके से कार्य करने की आशंका कम होती है।
मैं सड़क पर अपने क्रोध को कम करने के लिए क्या कर सकता हूँ?
हम जोखिम को समझते हैं क्योंकि सड़क पर की गई गलतियों या गलत फ़ैसलों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
शोध बताते हैं कि संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी से ली गई तकनीकें मदद कर सकती हैं।
यह समझना जरूरी है कि आपको कब गुस्सा आता है। अन्य लोगों के व्यवहार के लिए वैकल्पिक स्पष्टीकरण ढूंढने का प्रयास करना, सतर्कता और विश्राम तथा गुस्से से बचने का प्रयास करना चाहिए।
अमेरिकन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन यह भी सुझाव देता है कि आप खुद को अधिक विचारशील ड्राइवर बनाकर सड़क पर होने वाली घटनाओं को कम कर सकते हैं। हमेशा अपने संकेतक का उपयोग करें, दूसरों को परेशान करने से बचें और अन्य कारों से सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
जब अन्य ड्राइवर गुस्से में हों तो शांत रहने की कोशिश करें और तनाव कम करने के लिए अपनी यात्रा में अतिरिक्त समय दें। अगर गुस्से में गाड़ी चलाना एक आम समस्या है, तो सहायता या क्रोध प्रबंधन संसाधनों पर विचार करें।
क्रोध के बारे में सोचना, टालना या इसके बारे में जागरूक होना बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। अक्सर कोई व्यक्ति अपने मन में क्रोध पैदा करने वाली घटनाओं को बार-बार दोहराता है, जिससे उसकी निराशा बढ़ती है और शांत रहना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति से बचना जरूरी है।
अगली बार जब आप गाड़ी चलाएँ, तो याद रखने की कोशिश करें कि दूसरा ड्राइवर, साइकिल चालक या पैदल यात्री भी कोई व्यक्ति ही है। छोटी-मोटी गलतियों को माफ करना ही बेहतर होता है। आइए, सड़क पर भी धैर्य और समझ लाने की कोशिश करें।
(द कन्वरसेशन)
मनीषा अविनाश
अविनाश