‘क्वाड’ एवं द्विपक्षीय बैठकें: मोदी ने शांति एवं सुरक्षा को लेकर भारत की प्रतिबद्धताएं सामने रखीं

‘क्वाड’ एवं द्विपक्षीय बैठकें: मोदी ने शांति एवं सुरक्षा को लेकर भारत की प्रतिबद्धताएं सामने रखीं

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  • Publish Date - September 22, 2024 / 03:07 PM IST,
    Updated On - September 22, 2024 / 03:07 PM IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 22 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के सदस्य देशों के शासन प्रमुखों के साथ बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय बैठकों में वैश्विक विकास, शांति एवं सुरक्षा को लेकर भारत के विचारों एवं प्रतिबद्धताओं को सामने रखा।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने न्यूयॉर्क में रविवार को बैठकों की जानकारी देते हुए यह बात कही।

मोदी ने शनिवार को डेलावेयर के विलमिंगटन में ‘क्वाड’ के शासन प्रमुखों के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें कीं।

मिस्री ने न्यूयॉर्क में संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज की इन सभी बैठकों ने प्रधानमंत्री को वैश्विक विकास, शांति और सुरक्षा के लिए भारत के विचारों और प्रतिबद्धताओं को सामने रखने का अवसर दिया।’’

प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति बाइडन की मेजबानी में विलमिंगटन में हुई ‘क्वाड’ नेताओं की बैठक में भाग लेने के बाद रविवार को न्यूयॉर्क पहुंचे।

बाइडन ने द्विपक्षीय बैठक के लिए अपने निजी आवास में मोदी की मेजबानी की जो दुर्लभ बात है। ‘क्वाड’ शिखर सम्मेलन विलमिंगटन के ‘आर्कमेरे अकेडमी’ में आयोजित किया गया।

मिस्री ने कहा, ‘‘कई बैठकों में सामने आए व्यापक विषय… इन सभी कार्यक्रमों में दिए गए समग्र संदेश ये हैं कि भारत का जोर विकास संबंधी अपने उद्देश्यों की दिशा में आगे बढ़ते हुए संघर्ष और विभाजन को कम करने, हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों का लाभ उठाने तथा सुशासन की शुरुआत करने में प्रौद्योगिकी और डिजिटल क्रांति की भूमिका को उजागर करने, प्रौद्योगिकी के विघटनकारी विशेषताओं को अच्छे उद्देश्यों में बदलने पर है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘द्विपक्षीय बैठकों में भी नेताओं के साथ बातचीत में ये सभी विषय प्रतिबिंबित हुए।’’

अमेरिका के साथ द्विपक्षीय बैठक की अत्यंत विशेष बात भारत के 297 पुरावशेषों की वापसी रही जिनमें से कुछ द्विपक्षीय बैठक के दौरान बाइडन के आवास पर प्रदर्शित किए गए।

मिस्री ने कहा कि ‘क्वाड’ शिखर सम्मेलन और इससे जुड़ी अन्य बैठकों में प्रधानमंत्री ने विकास के लिए हिंद-प्रशांत में कई साझेदारों के साथ संवाद, संपर्क और सहयोग के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सुनकर बहुत अच्छा लगा कि अन्य ‘क्वाड’ नेताओं ने भारत के कार्यों की सराहना की और भारत की उनसे अपेक्षाएं भी सुनीं, जो वास्तव में काम जारी रखने और उस मजबूत विश्वास को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित करता है जो भारत ने अपने साझेदारों से कमाया है।’’

उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों में प्रौद्योगिकी के पहलुओं पर चर्चा की गई।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी के गलत उपयोग को रोकने और इसके अच्छे उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधानमंत्री ने ‘क्वाड’ का नेतृत्व करते हुए शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने तथा वैश्विक कल्याण हेतु एक ताकत के रूप में ‘क्वाड’ को मजबूत करने की प्रतिबद्धता के लिए राष्ट्रपति बाइडन को हार्दिक धन्यवाद दिया।

मिस्री ने कहा, ‘‘दरअसल, प्रधानमंत्री ने आज ‘क्वाड’ का अत्यंत विचारोत्तेजक तरीके से उल्लेख किया। उन्होंने इसे ‘क्विक यूनीफाइड असिस्टेंस डिलिवरी’ (क्वाड) यानी त्वरित एकीकृत सहायता वितरण कहा।…’’

मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया तनाव और संघर्ष से जूझ रही है, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों वाले इन चार ‘क्वाड’ साझेदारों का एक साथ आना मानवता के लिए महत्वपूर्ण है।

मिस्री ने प्रधानमंत्री के हवाले से बताया कि ‘क्वाड’ हिंद-प्रशांत देशों के प्रयासों का पूरक बनने, बरकरार रहने, सहायता करने और साझेदारी करने के लिए यहां है।

उन्होंने कहा, ‘‘नेताओं ने पिछले वर्ष ‘क्वाड’ द्वारा की गई प्रगति का जायजा लिया और अगले वर्ष के लिए एक महत्वाकांक्षी एजेंडा निर्धारित किया।’’

उन्होंने कहा कि भारत 2025 में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

शिखर सम्मेलन की प्रमुख घोषणाओं में ‘क्वाड कैंसर मूनशॉट’ शामिल है, जो कैंसर और विशेषकर ‘सर्विकल’ कैंसर से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक अभूतपूर्व साझेदारी है।

साझेदारों ने पहली बार ‘क्वाड एट सी शिप ऑब्जर्वर मिशन’ की भी शुरुआत की। उन्होंने चारों देशों के बीच हवाई मार्ग के जरिए लोगों और वस्तुओं को लाने-ले जाने की साझा क्षमता बढ़ाने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कार्रवाई को तेज करने के मकसद से साजो-सामान संबंधी सामूहिक ताकत का लाभ उठाने के लिए ‘क्वाड इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क पायलट’ परियोजना की शुरुआत की घोषणा की।

क्षेत्रीय भागीदारों के सहयोग से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बंदरगाह संबंधी टिकाऊ और लचीले बुनियादी ढांचे के विकास के लिए समूह की विशेषज्ञता का लाभ उठाने हेतु ‘क्वाड पोर्ट्स ऑफ द फ्यूचर पार्टनरशिप’ की गई।

मिस्री ने कहा कि एक सहयोग ज्ञापन पत्र की घोषणा की गई है जिसके तहत एक विविध और प्रतिस्पर्धी बाजार को भुनाने और सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं में ‘क्वाड’ लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए ‘क्वाड’ साझेदारों की पूरक शक्तियों का लाभ उठाया जाएगा।

कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई जिनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित बहुपक्षीय शासन प्रणाली में सुधार की आवश्यकता भी शामिल रही।

बाइडन के साथ प्रधानमंत्री की बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने आईपीईएफ (समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा) के स्तंभ तीन और स्तंभ चार संबंधी समझौतों का आदान-प्रदान किया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने द्विपक्षीय औषधि नीति ढांचे पर समझौते और उससे संबंधित समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए।

बैठक में दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी के निरंतर विस्तारित हो रहे एजेंडे पर चर्चा की, जिसने मानवीय प्रयास के किसी भी पहलू को अछूता नहीं छोड़ा है।

मिस्री ने कहा, ‘‘उन्होंने प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, अंतरिक्ष, रक्षा और सुरक्षा में हमारे संवाद तथा क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिति में सहयोग पर चर्चा की।’’

मोदी ने पिछले चार साल में भारत-अमेरिका साझेदारी को मजबूत करने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए बाइडन को धन्यवाद दिया।

जापान में इस महीने के अंत में होने वाले चुनावों को देखते हुए मोदी की प्रधानमंत्री किशिदा के साथ वार्ता विदाई बैठक जैसी रही।

मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों में किशिदा के योगदान की अत्यंत खुले दिल से सराहना की। भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी की अगले साल 10वीं वर्षगांठ भी है और इस बात पर सहमति बनी कि इसे उचित तरीके से मनाया जाना चाहिए।

अल्बनीज के साथ बैठक का विवरण साझा करते हुए मिस्री ने कहा कि 2025 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी की भी पांचवीं वर्षगांठ होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘ईसीटीए के तहत की गई प्रगति और दोनों देशों के बीच व्यापार पर इसके प्रभाव का उल्लेख किया गया तथा दोनों पक्षों द्वारा एसआईसीए जैसे और भी महत्वाकांक्षी आर्थिक सहयोग समझौतों को पूरा करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर भी चर्चा की गई।’’

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश