पुतिन ने अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को तोड़ने के लिए समानांतर स्विफ्ट प्रणाली बनाने पर जोर दिया

पुतिन ने अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को तोड़ने के लिए समानांतर स्विफ्ट प्रणाली बनाने पर जोर दिया

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  • Publish Date - October 19, 2024 / 07:37 PM IST,
    Updated On - October 19, 2024 / 07:37 PM IST

(जी सुधाकर नायर)

मॉस्को, 19 अक्टूबर (भाषा) रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स समूह को पश्चिमी प्रतिबंधों से मुक्त स्विफ्ट जैसी सीमा-पार भुगतान प्रणाली की संभावनाएं तलाशनी चाहिए।

उन्होंने साथ ही अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को खत्म करने के लिए निवेश परियोजनाओं के वित्तपोषण में राष्ट्रीय डिजिटल मुद्राओं के इस्तेमाल पर जोर दिया।

रूस की मेजबानी में आयोजित ब्रिक्स नेताओं के 16वें वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले पुतिन ने यह भी कहा कि एक साझा ब्रिक्स मुद्रा के लिए अभी समय नहीं आया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 10 देशों का समूह डिजिटल मुद्रा के उपयोग की संभावना तलाश रहा है जिसके लिए उनका देश भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

फरवरी 2022 में यूक्रेन के साथ शुरू हुए संघर्ष के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस पर व्यापक रूप से प्रतिबंध लगाए हैं। रूस ब्रिक्स केंद्रीय बैंकों के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े वाणिज्यिक बैंकों के नेटवर्क पर आधारित एक नई भुगतान प्रणाली बनाकर वैश्विक वित्तीय प्रणाली को दरकिनार करना चाहता है।

ब्रिक्स सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं के ताने-बाने और स्वरूप में अंतर के कारण नयी आरक्षित मुद्रा बनाने में सतर्क रुख अपनाने की वकालत करते हुए पुतिन ने कहा कि इन देशों को राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग, नए वित्तीय साधनों और स्विफ्ट के अनुरूप एक व्यवस्था के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 22 से 23 अक्टूबर तक रूस के तातारस्तान के कजान में होने वाले इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शामिल होने के बाद यह समूह का पहला शिखर सम्मेलन होगा। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के मूल सदस्य देश हैं।

पुतिन ने मॉस्को से करीब 50 किलोमीटर दूर नोवो-ओगारियोवो में अपने आधिकारिक आवास पर शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में ब्रिक्स सदस्य देशों के वरिष्ठ संपादकों से कहा, ”इस समय यह (ब्रिक्स मुद्रा) एक दीर्घकालिक संभावना है। इस पर विचार नहीं किया जा रहा है। ब्रिक्स सतर्क रहेगा और उत्तरोत्तर काम करेगा, आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ेगा। अभी समय नहीं आया है। ”

रूस के राष्ट्रपति ने यह टिप्पणी ब्रिक्स के आरक्षित मुद्रा बनाने की योजना के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब की। माना जाता है कि पश्चिम के भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक गठजोड़ के जवाब में ब्रिक्स समूह की परिकल्पना की गई।

एक प्रश्न का उत्तर देते हुए पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स अब राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ाने तथा ऐसे उपकरणों के निर्माण की संभावना का अध्ययन कर रहा है जो इस तरह के काम को सुरक्षित बना सकें। साथ ही उन्होंने कहा कि विशेष रूप से ब्रिक्स देश इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग की संभावना पर विचार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ”हम राष्ट्रीय मुद्राओं और निपटान प्रणालियों के उपयोग का विस्तार करने की संभावना पर विचार कर रहे हैं, और ऐसे उपकरण तैनात करना चाहते हैं, जो इसे पर्याप्त रूप से सुरक्षित बना सकें।”

पुतिन ने कहा कि समूह को एक ‘टूलकिट’ तैयार करनी होगी जोकि संबंधित ब्रिक्स संस्थानों की निगरानी में रहेगी।

उन्होंने कहा, ”यह हमारी प्रत्यक्ष सक्रिय भागीदारी के साथ वैश्विक दक्षिण के विकास में एक और बहुत अच्छा कदम हो सकता है। हम (कज़ान) शिखर सम्मेलन के दौरान इस संबंध में बात करेंगे। हम पहले से ही चीनी, भारतीय मित्रों व ब्राजील के लोगों के साथ परामर्श कर रहे हैं। इसके अलावा, हम दक्षिण अफ्रीका के साथ भी एक दौर का विचार-विमर्श कर चुके हैं।”

ब्रिक्स की संभावित मुद्रा के बारे में पुतिन ने कहा कि सदस्य देशों को बिना जल्दबाजी के धीरे-धीरे काम करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि इन देशों की आबादी और संरचना को देखते हुए, यह एक दीर्घकालिक संभावना है और अगर इन मसलों पर विचार नहीं किया गया तो यूरोपीय संघ (ईयू) में एक मुद्रा लागू करते समय हुई समस्याओं से भी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा।

रूसी राष्ट्रपति ने केंद्रीय बैंकों के बीच संबंध स्थापित करने और वित्तीय सूचनाओं के आदान-प्रदान की जरूरत पर भी जोर दिया, जो कि अंतरराष्ट्रीय सूचना विनिमय के उन अंतरराष्ट्रीय साधनों से स्वतंत्र हो, जो “राजनीतिक कारणों से कुछ प्रतिबंध लगाते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।”

उन्होंने कहा कि वह ब्रिक्स में स्विफ्ट के जैसी व्यवस्था का उल्लेख कर रहे थे जोकि ”अंतरराष्ट्रीय निपटान सुनिश्चित करती है”। स्विफ्ट मुख्य संदेश नेटवर्क प्रदान करता है जिसके माध्यम से अंतरराष्ट्रीय भुगतान शुरू किए जाते हैं।

पुतिन ने बताया कि रूस अन्य ब्रिक्स सदस्यों के साथ मिलकर पहले से ही स्विफ्ट जैसी वित्तीय संदेश प्रणाली और उच्च विकास वाली निवेश परियोजनाओं के वित्तपोषण में राष्ट्रीय डिजिटल मुद्राओं के उपयोग पर काम कर रहा है।

ब्रिक्स समूह डिजिटल मुद्राओं के साथ-साथ, ब्रिक्स पे प्लेटफॉर्म शुरू करने की तैयारी कर रहा है, जो एक ब्लॉकचेन-आधारित भुगतान प्रणाली है जिसका उद्देश्य इसके (ब्रिक्स के) भीतर सीमा पार लेनदेन को सुविधाजनक बनाना है।

यह उल्लेख करते हुए कि डिजिटल मुद्राएं ब्रिक्स सदस्यों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं दोनों को लाभान्वित कर सकती हैं, पुतिन ने अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने और अधिक आर्थिक स्वतंत्रता हासिल करने के लिए समूह की व्यापक रणनीति पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि अमेरिका को इस पर विचार करने की जरूरत है कि उन्होंने लगातार प्रतिबंध लगाकर रूस के साथ संबंध खराब कर लिए हैं और इसका आखिरकार उन पर नकारात्मक असर होता है। इसलिए पूरी दुनिया सोच रही है कि क्या डॉलर का उपयोग करना उचित है।”

पुतिन ने दावा किया, ”अब निपटान और भंडार, दोनों में डॉलर की मात्रा कम हो रही है। यहां तक ​​कि अमेरिका के पारंपरिक सहयोगी भी अपने डॉलर भंडार को कम कर रहे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि रूस के समस्त विदेशी व्यापार का 95 प्रतिशत राष्ट्रीय मुद्राओं में होता है। ब्रिक्स देश वैश्विक शासन सुधार पर जोर दे रहे हैं, स्थापित संस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए समानांतर संस्थाओं का निर्माण कर रहे हैं तथा डॉलर की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि रूस के सभी विदेशी व्यापार का 95 प्रतिशत राष्ट्रीय मुद्राओं में होता है।

ब्रिक्स देश वैश्विक शासन सुधार के लिए दबाव डाल रहे हैं, स्थापित संस्थानों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए समानांतर संस्थान बना रहे हैं और डॉलर की भूमिका का मुकाबला कर रहे हैं।

इस संबंध में जहां रूस और चीन जैसे देश डॉलर की भूमिका को खत्म करने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं, वहीं भारत का रुख यह रहा है कि वह अमेरिकी डॉलर को निशाना नहीं बनाएगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा कि भारत डॉलर की भूमिका को खत्म करने के एजेंडे में दिलचस्पी नहीं रखता है और भुगतान के रूप में जहां भी अमेरिकी डॉलर को स्वीकार किया जाएगा, भारत वहां इसका इस्तेमाल करेगा।

उन्होंने कहा, ”अमेरिकी डॉलर के प्रति कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं है… हमने कभी भी अमेरिकी डॉलर को सक्रिय रूप से निशाना नहीं बनाया है। यह हमारी आर्थिक, राजनीतिक या रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं है। कुछ अन्य (ब्रिक्स सदस्यों) ने ऐसा किया होगा। हमें स्वाभाविक रूप से चिंता है। हमारे पास अक्सर ऐसे व्यापारिक साझेदार होते हैं, जिनके पास लेनदेन के लिए डॉलर नहीं होते हैं।”

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार ब्रिक्स अपने विस्तार के बाद दुनिया की आधी आबादी, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 38 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार के 40 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है।

भाषा

पाण्डेय पवनेश

पवनेश