पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई के बाद पीटीआई का विरोध प्रदर्शन समाप्त

पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई के बाद पीटीआई का विरोध प्रदर्शन समाप्त

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  • Publish Date - November 27, 2024 / 11:04 AM IST,
    Updated On - November 27, 2024 / 11:04 AM IST

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, 27 नवंबर (भाषा) पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित डी चौक और उसके आसपास के इलाकों में आधी रात को सुरक्षाकर्मियों की कार्रवाई के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया। खान की पार्टी पीटीआई ने सुरक्षाकर्मियों की कार्रवाई को “फासीवादी सैन्य शासन” में किया गया “नरसंहार” का प्रयास करार दिया।

पुलिस सूत्रों ने कहा कि लगभग 450 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने कहा कि सुरक्षा बलों ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को मारने के इरादे से प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई।

इससे पहले मंगलवार शाम को, पीटीआई समर्थकों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों से झड़प हुई, जिसके बाद वे रविवार को शुरू हुए इस्लामाबाद मार्च के तहत डी-चौक पर धरना देने में सफल रहे। पुलिस के साथ समर्थकों की झड़प में छह सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गये।

खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर के साथ पेशावर से इस्लामाबाद तक मार्च का नेतृत्व करने वालीं खान की पत्नी बुशरा बीबी ने कहा कि प्रदर्शनकारी तब तक नहीं हटेंगे जब तक खान को जेल से रिहा नहीं किया जाता। हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें क्षेत्र से हटाने के अपने प्रयास जारी रखे।

डी-चौक के आसपास राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय, संसद और उच्चतम न्यायालय स्थित हैं।

आधी रात के आसपास, पुलिस और रेंजर्स ने ब्लू एरिया व्यापार क्षेत्र को खाली करने के लिए एक अभियान चलाया।

पीटीआई ने कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सरकार पर हिंसा का इस्तेमाल करने और उसके सैकड़ों कार्यकर्ताओं की हत्या के प्रयास का आरोप लगाया।

पीटीआई ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “शहबाज-जरदारी-आसिम गठबंधन के नेतृत्व वाले क्रूर, फासीवादी सैन्य शासन के तहत सुरक्षा बलों के हाथों पाकिस्तान में नरसंहार का प्रयास किया गया। देश में खून-खराबा हो रहा है।”

पिछले वर्ष अगस्त से जेल में बंद 72 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री ने 24 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए ‘‘अंतिम आह्वान’’ किया था। यह आह्वान उन्होंने 13 नवंबर को किया था।

खान ने कथित तौर पर जनादेश की चोरी, लोगों की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और संविधान के 26वें संशोधन के पारित होने की निंदा की थी। संविधान के 26वें संशोधन पर उन्होंने कहा था कि इसने ‘‘तानाशाही शासन’’ को मजबूत करने का काम किया है।

खान पिछले साल से रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं और उनकी पार्टी के अनुसार, उन पर 200 से अधिक मामले दर्ज हैं।

भाषा जोहेब मनीषा

मनीषा