टीका लगवा चुकी गर्भवती महिलाओं से नवजातों को भी मिलती है एंटीबॉडी : अध्ययन

टीका लगवा चुकी गर्भवती महिलाओं से नवजातों को भी मिलती है एंटीबॉडी : अध्ययन

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  • Publish Date - September 23, 2021 / 05:20 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:59 PM IST

वाशिंगटन, 23 सितंबर (भाषा) जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान कोविड-19 रोधी मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (एमआरएनए) टीके की खुराक लेती हैं वे अपने शिशुओं को उच्च स्तर की एंटीबॉडी देती हैं। एक अध्ययन में यह सामने आया है।

अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 रोधी टीकों की प्रभाविता सही एंटीबॉडी और संक्रमण से लोगों को बचाने में सक्षम रक्त प्रोटीन का उत्पादन करने की उनकी क्षमता पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि क्या यह सुरक्षा माताएं जन्म से पहले अपने शिशुओं तक पहुंचा सकती है, यह अब भी एक सवाल बना हुआ है।

‘अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गाइनोकोलॉजी मैटरनल-फीटल मेडिसिन’ में बुधवार को प्रकाशित अध्ययन उन 36 नवजातों पर किया गया जिनकी माताओं ने गर्भावस्था के दौरान फाइजर या मॉडर्ना के कोविड-19 रोधी टीके की खुराक ली थी।

अमेरिका में एनवाईयू ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के अगुवाई वाले दल ने पाया कि 100 प्रतिशत शिशुओं में जन्म के समय सुरक्षात्मक एंटीबॉडी थे।

एनवाईयू लैंगोन में हैसनफेल्ड चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में सहायक प्रोफेसर और अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका जेनिफर एल लाइटर ने कहा कि हालांकि नमूने का आकार छोटा है लेकिन यह प्रोत्साहित करने वाला है कि यदि महिलाएं टीका लगवाती हैं तो नवजात शिशु में एंटीबॉडी का स्तर अधिक होता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह नतीजा प्रासंगिक है क्योंकि सार्स-सीओवी2 वायरस के खिलाफ बनने वाली प्राकृतिक एंटीबॉडी कई लोगों के लिए पर्याप्त रूप से सुरक्षात्मक नहीं होती।

अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के ताजा आंकड़ों से यह पता चलता है कि प्रसव पूर्व टीके की सुरक्षा के बढ़ते सबूतों के बावजूद महज 23 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने टीके की खुराक ली।

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जिन महिलाओं ने अपनी गर्भावस्था के बाद के आधे समय के दौरान टीके की दोनों खुराक ली उनके गर्भनाल के रक्त में एंटीबॉडी का उच्चतम स्तर पाया गया। उन्होंने बताया कि इससे यह साक्ष्य मिलता है कि माताओं से नवजातों को जन्म से पहले रोग प्रतिरोधक क्षमता मिलती है।

एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में प्रोफेसर एश्ले एस रोमन ने कहा, ‘‘अध्ययन में गर्भावस्था के दौरान टीकों की महत्ता और माताओं तथा शिशुओं दोनों में गंभीर बीमारी होने से रोककर एक बार में दो जिंदगियां बचाने पर जोर दिया गया है। अगर शिशुओं का जन्म एंटीबॉडी के साथ होता है तो इससे वह अपने जीवन के पहले कई महीनों तक सुरक्षित रह सकते हैं और यह ऐसा समय होता है जब वे बीमार पड़ने के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं।’’

अध्ययन में पाया गया कि टीके की खुराक लेने वाली माताओं में गर्भावस्था के दौरान कोई खतरा, जन्म के समय जटिलताएं या भ्रूण को कोई हानि नहीं होती।

भाषा

गोला माधव

माधव