प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर के ‘4जी’ नेतृत्व की सराहना की, देश को विश्व की प्रेरणा बताया

प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर के ‘4जी’ नेतृत्व की सराहना की, देश को विश्व की प्रेरणा बताया

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  • Publish Date - September 5, 2024 / 03:38 PM IST,
    Updated On - September 5, 2024 / 03:38 PM IST

(गुरदीप सिंह)

(तस्वीरों के साथ जारी)

सिंगापुर, पांच सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिंगापुर के चौथी पीढ़ी के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त करते हुए देश की उल्लेखनीय प्रगति की बृहस्पतिवार को सराहना की तथा इसे दुनिया भर के विकासशील देशों के लिए एक आदर्श बताया।

सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के साथ बातचीत के दौरान मोदी ने इस समृद्ध देश के प्रधानमंत्री को बधाई दी।

उन्होंने कहा, ‘‘आपके प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद यह हमारी पहली मुलाकात है। मेरी ओर से आपको बहुत-बहुत बधाई। मुझे पूरा भरोसा है कि 4जी (चौथी पीढ़ी के नेताओं) के नेतृत्व में सिंगापुर और भी तेजी से प्रगति करेगा।’’

वोंग ने मई में सिंगापुर के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। अर्थशास्त्री से नेता बने वोंग (51) ने 72 वर्षीय ली सीन लूंग का स्थान लिया जो दो दशक तक सिंगापुर के प्रधानमंत्री रहे थे। ये दोनों ही नेता सत्तारूढ़ ‘पीपुल्स एक्शन पार्टी’ (पीएपी) से संबंधित हैं जो पांच दशकों से अधिक समय से सिंगापुर की आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ा रही है। पूर्व उपप्रधानमंत्री वोंग प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में पीएपी नेताओं की चौथी पीढ़ी की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ब्रुनेई की अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा समाप्त करने के बाद वोंग के निमंत्रण पर इस दक्षिण-पूर्व एशियाई देश की अपनी पांचवीं आधिकारिक यात्रा के तहत बुधवार को यहां पहुंचे थे।

मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि सिंगापुर महज एक साझेदार देश नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक विकासशील देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत में भी कई ‘सिंगापुर’ बनाना चाहते हैं और मुझे खुशी है कि हम इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं। हमारे बीच जिस मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन की व्यवस्था हुई है, वह एक पथ-प्रदर्शक तंत्र है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कौशल, डिजिटलीकरण, गतिशीलता, उन्नत विनिर्माण, सेमीकंडक्टर और एआई (कृत्रिम मेधा), स्वास्थ्य सेवा, स्थिरता और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोगात्मक पहलों की पहचान की गई है।’’

मोदी ने कहा कि सिंगापुर भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के लिए बहुत अहम है।

उन्होंने कहा, ‘‘लोकतांत्रिक मूल्यों में हमारी साझा आस्था हमें जोड़ती है। मुझे अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में सिंगापुर आने का अवसर पाकर बहुत खुशी हो रही है।’’

भारत और सिंगापुर के बीच रणनीतिक साझेदारी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘पिछले 10 साल में हमारा व्यापार दोगुने से भी अधिक हो गया है। आपसी निवेश लगभग तीन गुना बढ़कर 150 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है। सिंगापुर पहला देश था जिसके साथ हमने ‘यूपीआई पर्सन टू पर्सन’ ( यूपीआई के माध्यम से दो व्यक्तियों या व्यक्तिगत खातों के बीच राशि का हस्तांतरण) भुगतान सुविधा शुरू की।’’

उन्होंने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग में हुई प्रगति पर विस्तार से बात करते हुए कहा कि पिछले 10 साल में सिंगापुर के 17 उपग्रहों को भारतीय धरती से प्रक्षेपित किया गया है। उन्होंने कहा कि कौशल विकास से लेकर रक्षा क्षेत्र तक सहयोग में तेजी आई है और ‘सिंगापुर एयरलाइंस’ और ‘एयर इंडिया’ के बीच समझौते से संपर्क सुविधा मजबूत हुई है।

मोदी ने कहा, ‘‘हम अपने संबंधों को एक ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर तक ले जा रहे हैं। सिंगापुर में रहने वाले भारतीय मूल के 3.5 लाख लोग हमारे संबंधों की मजबूत नींव हैं…हम सिंगापुर में सुभाष चंद्र बोस, आजाद हिंद फौज और ‘लिटिल इंडिया’ को मिले स्थान और सम्मान के लिए सिंगापुर के हमेशा आभारी रहेंगे।’’

भारत एवं सिंगापुर 2025 में अपने संबंधों की 60वीं वर्षगांठ मनाएंगे। मोदी ने इस अवसर को भव्य तरीके से मनाने के लिए दोनों देशों से एक कार्य योजना बनाने में सहयोग करने का आह्वान किया।

मोदी ने कहा, ‘‘मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत का पहला तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र जल्द ही सिंगापुर में खोला जाएगा। महान संत तिरुवल्लुवर ने दुनिया का मागदर्शन करने वाले अपने विचार सबसे प्राचीन भाषा तमिल में व्यक्त किए थे। उनकी रचना ‘तिरुक्कुरल’ लगभग 2,000 साल पहले लिखी गई थी, फिर भी इसमें व्यक्त किए गए विचार आज भी प्रासंगिक हैं।’’

प्रधानमंत्री ने तिरुवल्लुवर के इन शब्दों को उद्धृत किया- ‘‘नयानोडु नानरी पुरींड पयानुदैयार पंबू परट्टुं उलगु’’ (दुनिया उन लोगों की सराहना करती है जो न्याय की समझ और दूसरों की सेवा करने के भाव के लिए जाने जाते हैं)।

उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि सिंगापुर में रहने वाले लाखों भारतीय भी इन विचारों से प्रेरित हैं और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में योगदान दे रहे हैं।

मोदी ने कहा कि उन्होंने सिंगापुर में शांगरी-ला वार्ता के दौरान हिंद-प्रशांत को लेकर भारत के दृष्टिकोण को पेश किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘हम क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सिंगापुर के साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे। मुझे दिए गए सम्मान और गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए मैं एक बार फिर दिल से धन्यवाद देता हूं।’’

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश