मस्तिष्क की चोट से ग्रस्त लोगों के फर्जी प्रेम का शिकार होने का अधिक जोखिम

मस्तिष्क की चोट से ग्रस्त लोगों के फर्जी प्रेम का शिकार होने का अधिक जोखिम

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  • Publish Date - November 27, 2024 / 04:33 PM IST,
    Updated On - November 27, 2024 / 04:33 PM IST

(केट गाउल्ड, मोनाश यूनिवर्सिटी)

मेलबर्न, 27 नवंबर (द कन्वरसेशन) धोखाधड़ी और ठगी के अनेक तरीकों में फर्जी रोमांस या प्रेम के बहाने घोटाला करना भी शामिल है, जिसमें ठग नकली पहचान दिखाकर आपका विश्वास और पैसा हासिल करने के लिए दोस्ती करते और नजदीकी बढ़ाते हैं।

पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के लोगों को इस तरह के गोरखधंधे से 20.1 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का नुकसान हुआ था।

लेकिन ऐसे ‘रोमांस घोटालों’ का भावनात्मक प्रभाव कई बार धन गंवाने से भी बदतर हो सकता है। जो लोग ठगे जाते हैं, उन्हें शर्मिंदगी का अनुभव हो सकता है और उन्हें यह स्वीकार करने में कठिनाई हो सकती है कि रिश्ता वास्तविक नहीं था।

जिन लोगों को किसी आघात या कार दुर्घटना आदि की वजह से मस्तिष्क में चोट लगी है, वे ऐसे घोटालों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। सहकर्मियों के साथ मेरे शोध से पता चलता है कि वे अक्सर घोटालों के बारे में कम जानते हैं।

लेकिन हमारी परियोजना में पता चला है कि जब मस्तिष्क की चोट से ग्रस्त लोग अपने अनुभव साझा करते हैं, तो लाभ भी होता है। इससे जागरुकता पैदा हो सकती है, बदनामी से कलंक लगने की स्थिति को कम किया जा सकता है और भविष्य में घोटालों को रोकने में मदद मिल सकती है।

कुछ समूह अधिक संवेदनशील होते हैं:

किसी को भी ठगा जा सकता है। लेकिन कुछ समूह अधिक जोखिम में हैं, जिनमें मस्तिष्क की चोट जैसी दिव्यांगता वाले लोग शामिल हैं।

हमने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में 101 चिकित्सकों का सर्वेक्षण किया जो मस्तिष्क की चोटों से ग्रस्त लोगों का इलाज करते हैं। आधे से ज्यादा (53 प्रतिशत) चिकित्सकों के मरीज ऐसे थे जो साइबर घोटाले से प्रभावित थे। इनमें सबसे सामान्य था ‘रोमांस घोटाला’।

रोमांस घोटाले में क्या होता है?

इस तरह की अवैध गतिविधि में घोटालेबाज (या कभी-कभी कई लोग) किसी व्यक्ति को फर्जी रिश्ते में फंसाकर उसका शोषण करते हैं। इसका मकसद फर्जी तरीके से पैसा हासिल करना होता है। धोखाधड़ी करने वाला कोई भी व्यक्ति शिकार की तलाश में लोगों से जुड़ने के लिए ऑनलाइन डेटिंग प्लेटफॉर्म या सोशल मीडिया, गेमिंग और यहां तक कि ऑनलाइन खरीदारी वेबसाइट का भी इस्तेमाल कर सकता है।

ये लोग लंबे समय तक ‘लव बॉम्बिंग’ (शुरुआत में ही या बार-बार प्यार होने का खुलासा), ग्रूमिंग और हेरफेर जैसे तरीकों का उपयोग करके विश्वास और मजबूत भावनात्मक लगाव पैदा करते हैं। वे लोगों को उन पर भरोसा दिलाने के लिए समान रुचियां और यहां तक कि समान प्रकार दर्द साझा करते हैं।

इसी तरह की एक धोखाधड़ी से बचने वाले मस्तिष्क की चोट से ग्रस्त एक व्यक्ति ने बताया, ‘‘मेरे सोचने का तरीका कुछ हद तक सीधा नहीं था क्योंकि मुझे केवल प्यार, पैसा और वो सारी चीजें दिखाई देती थीं जो मैं चाहता था, इसलिए मुझे बाकी सभी छोटी चीजों की चिंता नहीं थी।’’

धोखेबाज की पहचान आमतौर पर बहुत आकर्षक और भरोसेमंद लगती है; लेकिन अक्सर नकली होती है, किसी वास्तविक व्यक्ति से चुराई गई या कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा पैदा की गई होती है। ऐसे लोग अपने रोजमर्रा के जीवन के बारे में बहुत सारे झूठे प्रमाण और रोमांचक विवरण प्रस्तुत करते हैं ताकि खुद को वास्तविक दिखा सकें और लोगों से जुड़ सकें।

ऐसे धोखेबाज अपनी तरफ लोगों को आकर्षित करने के लिए पहले से गढ़ी गई कहानी का उपयोग करते हैं, जिसमें महत्वपूर्ण वित्तीय सफलता की बात कही जाती है या खुद को विधुर या अनाथ बताया जाता है। कई मामलों में विदेश में काम करने की बात कही जाती है।

ऐसे लोग झूठी प्रशंसा में माहिर होते हैं और वे आपसे कह सकते हैं कि आपकी मुस्कान बहुत सुंदर है।

मस्तिष्क की चोट वाले लोगों को ज्यादा जोखिम क्यों होता है?

प्रत्येक 45 में से एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति को कार दुर्घटना या मस्तिष्काघात के दौरान मस्तिष्क की चोट लगी होती है। मस्तिष्क की चोट का प्रभाव अलग-अलग हो सकता है, लेकिन यह अनुभूति, भावनाओं, व्यवहार और तंत्रिका संबंधी कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। परिणामस्वरूप, लोग खुद की देखभाल करने, काम करने, सामाजिक संपर्क बनाने और जटिल निर्णय लेने की अपनी क्षमता में बदलाव का अनुभव कर सकते हैं।

शर्मिंदगी की स्थिति:

जब फर्जीवाड़ा सामने आता है तो परिवार, मित्र और पुलिस एवं बैंक जैसी सेवाएं आपको जिम्मेदार ठहराते हुए उपहास के साथ प्रतिक्रिया दे सकती हैं। मस्तिष्क की चोट वाले लोगों के परिवार और चिकित्सक पीड़ितों की धन या इंटरनेट तक पहुंच को कम कर सकते हैं।

द कन्वरसेशन वैभव नरेश

नरेश