पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिक को तलब किया, संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षकों की गाड़ी को निशाना बनाने का लगा रहा आरोप

पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिक को तलब किया, संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षकों की गाड़ी को निशाना बनाने का लगा रहा आरोप

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  • Publish Date - December 19, 2020 / 04:31 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:12 PM IST

इस्लामाबाद, 19 दिसम्बर (भाषा) पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षकों (यूएनएमओ) के एक वाहन को देश के चिरिकोट सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास निशाना बनाए जाने के बाद विरोध दर्ज कराने के लिए शनिवार को भारत के उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया को तलब किया।

भारतीय सेना पर यूएनएमओ को ‘जानबूझकर’ निशाना बनाने का पाकिस्तान सेना द्वारा आरोप लगाये जाने के एक दिन बाद, भारतीय राजनयिक को यहां विदेश कार्यालय (एफओ) में तलब किया गया। भारत ने इस आरोप आरोप को पूरी तरह से झूठा, आधारहीन और तथ्याथ्मक रूप से गलत बताया है।

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एफओ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक जब संघर्षविराम उल्लंघन के पीड़ितों से मिलने के लिए पोलास गांव जा रहे थे, उसी दौरान उनके वाहन को निशाना बनाया गया। उसने कहा कि वाहन क्षतिग्रस्त हो गया लेकिन दोनों यूएनएमओ को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

नई दिल्ली में सैन्य सूत्रों ने इस आरोप को खारिज किया है और कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के वाहन को निशाना बनाने की खबरें सच नहीं हैं।

इस बीच, न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक ने शुक्रवार को इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि हमारे पास जो विवरण हैं उसके अनुसार किसी को चोट नहीं पहुंची है, लेकिन एक घटना में एक वाहन क्षतिग्रस्त हुआ है और मिशन वर्तमान में घटना की जांच कर रहा है।’’

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नई दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि भारतीय सैनिकों द्वारा नियंत्रण रेखा के पास संयुक्त राष्ट्र के वाहन पर हमले के संबंध में पाकिस्तान की ओर से आने वाली खबरें पूरी तरह से गलत, निराधार और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं।

सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार को उस क्षेत्र में भारतीय पक्ष की ओर से कोई गोलीबारी नहीं हुई।

सूत्रों ने कहा कि चूंकि संयुक्त राष्ट्र के वाहनों के आवागमन के बारे में पहले से जानकारी होती है, इसलिए इस तरह की गोलीबारी का कोई सवाल ही नहीं उठता है। सूत्रों ने कहा कि आरोप निराधार हैं।

भारत का कहना है कि भारत और पाकिस्तान में जनवरी 1949 में स्थापित संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) की अब उपयोगिता नहीं रही है और शिमला समझौते एवं उसके बाद नियंत्रण रेखा की स्थापना के परिणामस्वरूप वह अब अप्रासंगिक है।