नई दिल्ली। टेरर फंडिंग मामले में पाकिस्तान को फिलहाल ग्रे लिस्ट में ही रखा गया है। एफएटीएफ ने माना है कि पाकिस्तान अब भी आतंक को पनाह दे रहा है। पाकिस्तान ने अपने यहां संचालित टेरर कैंप पर पूरी तरह कार्रवाई नहीं की है। हालांकि पाकिस्तान के लिए अच्छी बात ये रही कि उसे ब्लैकलिस्टेड नहीं किया। लेकिन ग्रे लिस्ट बरकरार रहने पर पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय फंड और सहायता लेने के लिए कटोरा उठाना ही पड़ेगा।
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पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए अपनी आवाम के साथ दुनिया से झूठ बोल रहा है। हाल में खुलासा हुआ था कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी मसूद अजहर पाकिस्तान सेना की सुरक्षा में छिपा है जबकि पाकिस्तान कह रहा है कि मसूद लापता है।
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पेरिस में चल रही एफएटीएफ की अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आइसीआरजी) की बैठक में सिफारिश की गई है कि पाकिस्तान फिलहाल ग्रे लिस्ट में बना रहेगा। उसे काली सूची में डालने के आसार अभी नहीं हैं। लेकिन पाकिस्तान पर अंतिम फैसला तीन दिन बाद तब लिया जाएगा जब एफएटीएफ अपनी अहम बैठक करेगा।
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फिलहाल उसकी बैठकें एक हफ्ते से जारी हैं। इसी दौरान अपने बचाव में पाकिस्तान ने आतंकी सरगना हाफिज सईद को आतंकी फंडिंग के दो मामलों में कुल 11 साल कैद की सजा सुना दी है। पाकिस्तानी अदालत का यह दिखावटी फैसला एफएटीएफ और पश्चिमी देशों को खुश करने के लिए लिया गया है।
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भारत ने पिछले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह स्थापित कर दिया है कि पाकिस्तान नियमित रूप से लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों को हर तरह की मदद करता है। यह सभी आतंकी संगठन पाकिस्तान की ही शह पर भारत के खिलाफ काम करते हैं। इसलिए भारत ने एफएटीएफ से अपील की है कि वह पाकिस्तान के खिलाफ सख्ती बरते।