पाकिस्तान में शादमान चौक लाहौर का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने की याचिका खारिज

पाकिस्तान में शादमान चौक लाहौर का नाम बदलकर भगत सिंह के नाम पर रखने की याचिका खारिज

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  • Publish Date - January 17, 2025 / 08:05 PM IST,
    Updated On - January 17, 2025 / 08:05 PM IST

(एम. जुल्करनैन)

लाहौर, 17 जनवरी (भाषा) पाकिस्तान की एक अदालत ने शादमान चौक लाहौर का नाम बदलकर स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा स्थापित करने से जुड़ी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

अदालत के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शम्स महमूद मिर्जा ने आज भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान की उस याचिका का निस्तारण कर दिया, जिसमें शादमान चौक लाहौर का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और उन्हें फांसी दिए जाने की जगह पर उनकी प्रतिमा स्थापित करने का अनुरोध किया गया था।”

न्यायाधीश ने मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन लाहौर और फाउंडेशन के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी।

फाउंडेशन के अध्यक्ष एडवोकेट इम्तियाज रशीद कुरैशी ने कहा कि वह लाहौर उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।

इससे पहले लाहौर के नगर निगम ने लाहौर उच्च न्यायालय को बताया था कि उसने शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और उस जगह पर उनकी प्रतिमा स्थापित करने की प्रस्तावित योजना रद्द कर दी है, जहां उन्हें 94 साल पहले फांसी दी गई थी।

महानगर निगम ने अदालत में कहा, “शादमान चौक लाहौर का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने और वहां उनकी प्रतिमा स्थापित करने की लाहौर शहर जिला सरकार की प्रस्तावित योजना को कोमोडोर (आर) तारिक मजीद द्वारा की गई एक टिप्पणी के आलोक में रद्द कर दिया गया है।”

इम्तियाज रशीद कुरैशी ने अदालत की अवमानना ​​याचिका में जिला प्रशासन, लाहौर के उपायुक्त, पंजाब के मुख्य सचिव और नगर जिला प्रशासन के प्रशासक को पक्षकार बनाया था। याचिका में कहा गया था कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शाहिद जमील खान ने पांच सितंबर 2018 को संबंधित अधिकारियों को शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने के लिए कदम उठाने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन अदालत के आदेश को अब तक लागू नहीं किया गया है।

लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शम्स महमूद मिर्जा ने याचिकाकर्ता के वकील की अनुपलब्धता के कारण अवमानना ​​याचिका की सुनवाई 17 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी थी।

तेईस वर्षीय भगत सिंह को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में, मुकदमा चलाए जाने के बाद 23 मार्च 1931 को लाहौर में फांसी दे दी गई थी।

ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सॉन्डर्स की हत्या के आरोप में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। सुखदेव और राजगुरु को भी ब्रिटिश सरकार ने फांसी दी थी।

भाषा

जोहेब सुभाष

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