पाकिस्तान सरकार ने पश्तून राजनीतिक दल को प्रतिबंधित किया

पाकिस्तान सरकार ने पश्तून राजनीतिक दल को प्रतिबंधित किया

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  • Publish Date - October 6, 2024 / 09:19 PM IST,
    Updated On - October 6, 2024 / 09:19 PM IST

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, छह अक्टूबर (भाषा) पाकिस्तान सरकार ने जातीय पश्तून समुदाय के अधिकारों की पैरोकारी करने वाले राजनीतिक दल पश्तून तहफुज मूवमेंट (पीटीएम) को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार देते हुए रविवार को प्रतिबंधित कर दिया।

गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘संघीय सरकार के पास यह मानने के कारण हैं कि पीटीएम देश की शांति और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली कुछ गतिविधियों में संलिप्त है… सरकार पीटीएम को प्रतिबंधित संगठन के रूप में प्रथम अनुसूची में सूचीबद्ध करती है।’’

पीटीएम अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कबायली क्षेत्र में सक्रिय है और अक्सर पाकिस्तानी सेना की कटु आलोचना किया करता है।

अधिसूचना में, आतंकवाद-रोधी अधिनियम, 1997 की धारा 11बी के तहत इस पार्टी को ‘‘गैर-कानूनी’’ घोषित किया गया है।

मंजूर पश्तीन के नेतृत्व में यह समूह कुछ वर्षों से सक्रिय है और इसका नेतृत्व अफगान सीमा से लगे कबायली क्षेत्र की समस्याओं के लिए पाकिस्तानी सेना को दोषी ठहराता है।

पीटीएम की शुरुआत मई 2014 में महसूद तहफुज आंदोलन के रूप में हुई थी, जब छात्रों के एक समूह ने वजीरिस्तान और कबायली क्षेत्र के अन्य हिस्सों से बारूदी सुरंगों को हटाने की पहल के रूप में इसका गठन किया था।

पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि यह समूह देश के भीतर और बाहर, खास तौर पर अफगानिस्तान में सक्रिय राष्ट्र-विरोधी तत्वों का प्यादा बन गया है। हालांकि, पीटीएम ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया है।

पिछले वर्ष दिसंबर में, पीटीएम प्रमुख पश्तीन को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया था जब उनके सुरक्षा कर्मियों ने कथित तौर पर पुलिस पर गोलीबारी की थी।

वर्ष 2019 में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। यह याचिका उत्तरी वजीरिस्तान में सुरक्षा बलों और पीटीएम प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में तीन लोगों की मौत और पांच सैनिकों के घायल होने के एक दिन बाद दायर की गई थी।

इसके बाद, अस्मा जहांगीर कांफ्रेंस में पश्तीन के भाषण के बाद 2022 में, उन पर आतंकवाद के आरोपों में मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने उस भाषण में पाकिस्तानी सेना की आलोचना की थी

भाषा सुभाष नरेश

नरेश