नई दिल्ली । पाकिस्तान की रीढ़ की हड्डी माने जानेवाले चीन ने पाकिस्तान को तगड़ा झटका दिया है। चीन और सऊदी अरब ने भी अब पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के पक्ष का समर्थन किया है। जून महीने में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक से पहले चीन और सऊदी ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने और फंडिंग रोकने को लेकर कड़ा संदेश दिया है। पेरिस प्लेनरी की फाइनेंशियल एक्सन टास्ट फोर्स (FATF) में तुर्की को छोड़कर चीन और सऊदी अरब समेत सभी 39 सदस्यों ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए जून तक बचे हुए 13 एक्शन प्लान पर काम करने को कहा है। पाकिस्तान को आतंकी संगठनों के प्रमुखों की गिरफ्तारी की समझाइश भी दी गई है। पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में रहने या उससे बाहर करने का औपचारिक फैसला शुक्रवार को आएगा।
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फ्रांस की राजधानी पेरिस में राजनायिक और FATF के सदस्यों ने इस बात पर ध्यान देने को कहा है कि किस तरह पाकिस्तान FATF की तकनीकी प्रक्रिया का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहा है। ये बात तुर्की के राष्ट्रपति तयिप इरडोगन और मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहम्मद सलमान के बयान से साबित हो गई है। दरअसल FATF के एक दिन पहले इरडोगन ने साफ कर दिया था कि तुर्की ब्लैक लिस्ट से निकलने में पाकिस्तान की मदद करेगा। वही महातिर ने पाकिस्तान की आतंक से लड़ने को लेकर तारीफ की थी।
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बता दें कि मंगलवार को आतंकवाद के ज्वलंत मुद्दे पर पाकिस्तान को करारा झटका लगा। एफएटीएफ के सब-ग्रुप ने आतंकवाद की वित्तीय मदद रोकने में विफल रहने पर पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में बने रहने देने की सिफारिश की है। हालांकि, आखिरी फैसला शुक्रवार को किया जाएगा। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखने को लेकर किया गया निर्णय एफएटीएफ के इंटरनेशनल को-ऑपरेशन रिव्यू ग्रुप (आईसीआरजी) की बैठक में लिया गया। पीटीआई सूत्रों ने बताया कि आईसीआरजी बैठक में एफएटीएफ के सब ग्रुप ने पाक को ‘ग्रे सूची’ में ही रखने को कहा है। शुक्रवार को जब एफएटीएफ में यह मुद्दा आएगा, तब इसपर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान से धनशोधन और आतंक वित्तपोषण के दोषियों को दंडित करने के लिए सख्त कानून की जरुरत बताई है। आतंकवादियों को आर्थिक मदद रोकने की दिशा में काम करने वाली संस्था एफएटीएफ की बैठक पेरिस में 16 फरवरी से शुरू हुई और यह 21 फरवरी तक चलेगी। इसमें इस बात की समीक्षा की जा रही है कि पाकिस्तान ने आतंक वित्तपोषण और धनशोधन पर लगाम के लिए उसे सौंपी गई 27 सूत्रीय कार्ययोजना पर किस हद तक अमल किया है।