(जेम्स हिघम पर्यटन के प्रोफेसर, ग्रिफिथ विश्वविद्यालय; या-येन सुन एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ बिजनेस, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय)
मेलबर्न, 11 दिसंबर (द कन्वरसेशन) वैश्विक पर्यटन से बढ़ते उत्सर्जन के लिए लगभग पूरी तरह से जिम्मेदार 20 देश हैं, और इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के प्रयास अनुपयोगी साबित हो रहे हैं।
यह हमारे नए अनुसंधान का मुख्य निष्कर्ष है, जो आज ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। यह अब तक पर्यटन उत्सर्जन का सबसे कठोर और व्यापक विश्लेषण है।
अध्ययन कई आंकड़ों का एक साथ विश्लेषण करता है, जिसमें 11 वर्षों (2009-2020) में 175 सरकारों द्वारा सीधे प्रकाशित किए गए आंकड़े भी शामिल हैं। यह संयुक्त राष्ट्र-समर्थित ‘स्थायी पर्यटन के माप’ ढांचे का उपयोग करता है और राष्ट्रीय स्तर पर एकत्र पर्यटन व्यय और उत्सर्जन तीव्रता के आंकड़ों को प्राप्त करता है।
व्यापक संदर्भ को देखते हुए निष्कर्षों से आगे की गंभीर चुनौतियों का पता चलता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक कुल मिलाकर वर्तमान वैश्विक उत्सर्जन के मुकाबले 42 प्रतिशत की कमी (और 2035 तक 57 प्रतिशत) की आवश्यकता है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित करने का लक्ष्य चूक जाएंगे।
लेकिन वैश्विक पर्यटन उत्सर्जन वैश्विक अर्थव्यवस्था की दोगुनी दर से बढ़ रहा है। हमारे अध्ययन के मुताबिक, 2009 और 2019 के बीच, उत्सर्जन में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 2009 में 3.7 गीगाटन (वैश्विक उत्सर्जन का 7.3 प्रतिशत) से बढ़कर 2019 में 5.2 गीगाटन (वैश्विक उत्सर्जन का 8.8 प्रतिशत) हो गया।
कोविड-19 महामारी के कारण 2020-2021 में वैश्विक पर्यटन उत्सर्जन में नाटकीय रूप से कमी आई, लेकिन इसके बाद पूर्व-महामारी के स्तर पर वापसी तेजी से हुई।
प्रौद्योगिकी सुधार के बिना पर्यटन-संबंधी उत्सर्जन में भारी वृद्धि हो रही है और 2009 से 2019 तक यह 3.5 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा। तुलनात्मक रूप से, उस अवधि में सामान्य रूप से वैश्विक आर्थिक विकास 1.5 प्रतिशत प्रति वर्ष था। यदि यह वृद्धि दर जारी रही, तो अगले दो दशकों में वैश्विक पर्यटन से उत्सर्जन दोगुना हो जाएगा।
पर्यटन के लिए खर्च प्रत्येक डॉलर के मुकाबले कार्बन उत्सर्जन की दर वैश्विक अर्थव्यवस्था के औसत से 30 प्रतिशत अधिक है, और सेवा क्षेत्र की तुलना में चार गुना अधिक है।
बढ़ते उत्सर्जन का प्राथमिक कारक पर्यटन मांग में उच्च वृद्धि है। तेजी से बढ़ने वाला कार्बन फुटप्रिंट मुख्य रूप से विमानन (21 प्रतिशत), पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों का उपयोग (17 प्रतिशत), और बिजली आपूर्ति (16 प्रतिशत) जैसी उपयोगिताओं से है।
प्रौद्योगिकीय दक्षता की धीमी गति की वजह से इसका लाभ मांग में वृद्धि के आगे छोटा पड़ गया है।
विमानन क्षेत्र की प्रत्यक्ष पर्यटन उत्सर्जन में हिस्सेदारी करीब 50 प्रतिशत है जिससे यह वैश्विक पर्यटन उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है। दशकों के वादों के बावजूद, वैश्विक हवाई परिवहन प्रणाली में नयी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन में कमी करना असंभव साबित हुआ है।
उत्सर्जन में 20 देश सबसे अधिक जिम्मेदार
हमारे अनुसंधान के मुताबिक देशों के बीच उत्सर्जन वृद्धि में चिंताजनक असमानताएं सामने आईं। 2009 और 2019 के बीच पर्यटन उत्सर्जन में 60 प्रतिशत वृद्धि के लिए केवल तीन देश अमेरिका, चीन और भारत जिम्मेदार थे। 2019 तक, ये तीन देश अकेले कुल वैश्विक पर्यटन उत्सर्जन के 39 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार थे।
कुल वैश्विक पर्यटन उत्सर्जन का तीन-चौथाई हिस्सा केवल 20 देशों द्वारा उत्सर्जित किया जाता है जबकि शेष 25 प्रतिशत उत्सर्जन बाकी के 155 देश करते हैं। उल्लेखनीय रूप से, अब सबसे अधिक यात्रा करने वाले और सबसे कम यात्रा करने वाले देशों के बीच प्रति व्यक्ति पर्यटन कार्बन ‘फुटप्रिंट’ में सौ गुना का अंतर है।
शीर्ष 20 में से, अमेरिका (एक विदेशी गंतव्य के रूप में, साथ ही यात्रा करने वाले इसके नागरिकों) में 2019 में पर्यटन क्षेत्र में सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश था और इसने करीब एक गीगाटन कार्बन उत्सर्जित किया। यह कुल वैश्विक पर्यटन कार्बन उत्सर्जन का 19 प्रतिशत था जो 3.2 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रहा है।
अमेरिका द्वारा 2019 में पर्यटन से उत्सर्जित कार्बन वहां के प्रति निवासी तीन टन के बराबर था। इसी के साथ वह वैश्विक स्तर पर उच्चतम प्रति व्यक्ति पर्यटन उत्सर्जन के मामले में 12वें स्थान पर है।
ब्रिटेन एक गंतव्य के रूप में 128 मेगाटन (कुल का 2.5 प्रतिशत) के साथ विश्व में पर्यटन जनित कार्बन उत्सर्जन में सातवें स्थान पर है। 2019 में, ब्रिटेन के निवासियों ने प्रति व्यक्ति 2.8 टन उत्सर्जन किया। इसी के साथ वैश्विक स्तर पर इस मामले में उसका 15वां स्थान है।
ऑस्ट्रेलिया पर्यटन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन के मामले में दुनिया में 14वें स्थान पर है और वह 82 मेगाटन कार्बन उत्सर्जित करता है। 2019 में यहां के निवासी पर्यटन मद में प्रति व्यक्ति 3.4 टन (वैश्विक स्तर पर 8वां) कार्बन उत्सर्जित करते थे। यह ऑस्ट्रेलिया आने वाले और यहां से दुनिया के अन्य हिस्सों में जाने वाले के लिए लंबी दूरी की हवाई यात्रा से होने वाले उच्च उत्सर्जन को रेखांकित करता है।
न्यूजीलैंड ने 2019 में प्रति व्यक्ति 3.1 टन प्रति की दर से (वैश्विक स्तर पर 10वां स्थान) पर्यटन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जित किया। ऑस्ट्रेलिया की तरह, लंबी दूरी की अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर निर्भरता एक ऐसी समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
पर्यटन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम करने के तरीके
पहली बार, इस साल के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी29) में पर्यटन को शामिल किया गया। संयुक्त राष्ट्र पर्यटन ने हमारे अध्ययन का समर्थन किया और स्वीकार किया कि पर्यटन अब कुल वैश्विक उत्सर्जन में 8.8 प्रतिशत का योगदान देता है।
इसने बताया कि सीओपी 29 ‘‘एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जब महत्वाकांक्षा को मूर्त रूप मिलता है, और दृष्टि हमारे ग्रह के बेहतर भविष्य के लिए सकारात्मक परिवर्तन के लिए प्रतिबद्धता में बदल जाती है’’।
लेकिन हमारे अनुसंधान रेखांकित करते हैं कि एक ओर पर्यटन में वृद्धि और दूसरी ओर प्रौद्योगिकी दक्षता का पूर्ण लाभ लेने में विफलता, पर्यटन कार्बन शमन में भारी बाधाएं उत्पन्न करती है।
इसके बावजूद, हमने वैश्विक पर्यटन उत्सर्जन को स्थिर करने और कम करने की दिशा में चार तरीकों की पहचान की है:
सबसे अधिक उत्सर्जन वाले क्षेत्र की पहचान करने के लिए पर्यटन कार्बन उत्सर्जन को मापें। हमारा अनुसंधान विमानन, ऊर्जा आपूर्ति और वाहन उपयोग सहित उच्च उत्सर्जन वाले पर्यटन उप-क्षेत्रों का प्रमाण देते हैं। इन केंद्रीय क्षेत्रों को 2050 तक 10 प्रतिशत वार्षिक उत्सर्जन कटौती पथ पर आगे बढ़ना होगा।
अत्यधिक पर्यटन विकास से बचें और सतत विकास सीमाओं की पहचान करें। राष्ट्रीय पर्यटन ‘डीकार्बोनाइजेशन’ रणनीतियों को अब 20 सबसे अधिक उत्सर्जन वाले पर्यटन स्थलों में तत्काल विकास लक्ष्यों को परिभाषित और कार्यान्वित करना चाहिए।
घरेलू और छोटी दूरी के बाजारों पर ध्यान केंद्रित करें और लंबी दूरी के बाजारों को हतोत्साहित करें। हवाई यात्रा की मांग में वृद्धि को सक्रिय रूप से प्रबंधित करना सबसे स्पष्ट पहला कदम है, जिसमें लंबी दूरी की हवाई यात्रा की मांग को विनियमित करना शामिल है।
कार्बन उत्सर्जन की सामाजिक लागत को शामिल करके देशों के बीच असमानता को दूर करना और लंबी दूरी की हवाई यात्रा में निरंतर वृद्धि की वर्तमान प्रवृत्ति को नियंत्रित करना पर्यटन के लिए अधिक सामाजिक रूप से न्यायसंगत दृष्टिकोण है जो इन असमानताओं को दूर करने के लिए आवश्यक है।
हमारे अनुसंधान का मौलिक उद्देश्य नीति निर्माताओं और उद्योग जगत के नेताओं को वैश्विक उत्सर्जन पर पर्यटन के प्रभाव के बारे में अधिक स्पष्टता देना है। इसके बाद चुनौती तत्काल पर्यटन से होने वाले उत्सर्जन को विनियमित करने के लिए साक्ष्य-आधारित नीति और विनियमन विकसित करने की है।
द कन्वरसेशन धीरज नेत्रपाल
नेत्रपाल
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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