Nepal Protest: अब इस देश में भी उठी हिंदू राष्ट्र की मांग, सड़कों पर उतरे लोग, पुलिस से झड़प में दो लोगों की मौत, प्रदर्शनकारी बोले- राजशाही शासन की भी हो वापसी 

अब इस देश में भी उठी हिंदू राष्ट्र की मांग, सड़कों पर उतरे लोग, Now the demand for a Hindu nation has arisen in Nepal too, people took to the streets

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  • Publish Date - March 29, 2025 / 09:15 AM IST,
    Updated On - March 29, 2025 / 11:18 AM IST
HIGHLIGHTS
  • काठमांडू में राजशाही समर्थक प्रदर्शन के दौरान हिंसा में दो लोगों की मौत और 30 लोग घायल हुए।
  • प्रदर्शन के दौरान कर्फ्यू और सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुईं, जिसमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे।
  • नेपाल में राजशाही की बहाली को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच तीव्र मतभेद और विरोध देखा गया।

काठमांडू: Nepal Protest: नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा राजनीतिक दल के कार्यालय पर पथराव और हमला किए जाने से दो लोगों की मौत हो गई और 30 अन्य लोगों के घायल होने के बाद शुक्रवार को सेना को बुलाया गया और काठमांडू के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया। जिला प्रशासन ने पहले शाम 4:25 बजे से रात 10 बजे तक कर्फ्यू लगाया था, बाद में इसे शनिवार सुबह सात बजे तक बढ़ा दिया। कुछ इलाकों में किसी को भी घूमने-फिरने की अनुमति नहीं दी गई। अधिकारियों ने बताया कि झड़प के दौरान गोली लगने से काठमांडू के 29 वर्षीय सबिन महराजन की अस्पताल में मौत हो गई।

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Nepal Protest: तिनकुने क्षेत्र में एक इमारत से विरोध प्रदर्शन का वीडियो शूट करते समय एवेन्यूज टेलीविजन के फोटो पत्रकार सुरेश रजक की मृत्यु हो गई। यह वह स्थान है जहां राजतंत्रवादियों ने सुरक्षा कर्मियों के साथ झड़प की थी और सुरक्षा अवरोधकों को तोड़ने का प्रयास किया था। एवेन्यूज़ टीवी के एक सूत्र के अनुसार, आग लगने के तुरंत बाद रजक लापता हो गए थे। बाद में, पुलिस को इमारत की चौथी मंजिल पर बुरी तरह से जला हुआ शव मिला, जिसके बारे में संदेह है कि वह रजक का है। पुलिस ने बताया कि शव की आधिकारिक पहचान अभी नहीं हो पाई है।  अधिकारियों ने बताया कि घायलों में से लगभग आधे पुलिसकर्मी थे। झड़प के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने एक घर को जला दिया, आठ वाहनों को आग के हवाले कर दिया, बानेश्वर में सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट के कार्यालय पर हमला किया, चाबाहिल में भटभटेनी सुपरमार्केट को लूट लिया और कांतिपुर टेलीविजन तथा अन्नपूर्णा पोस्ट अखबार के कार्यालयों में तोड़फोड़ की। काठमांडू जिला प्रशासन ने शांतिनगर पुल और मनोहरा नदी पुल के बीच कर्फ्यू की घोषणा की, जिसमें कोटेश्वर, तिनकुने, हवाई अड्डा क्षेत्र, बनेश्वर चौक और गौशाला शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि टिकट दिखाने पर लोगों को हवाई अड्डे तक जाने की अनुमति दी गई। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें और राष्ट्रीय ध्वज लेकर राजतंत्रवादियों ने तिनकुने क्षेत्र में प्रदर्शन किया, जिससे पुलिस के साथ झड़प हुई।

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हजारों राजतंत्रवादियों ने नेपाल में राजतंत्र की बहाली की मांग करते हुए ‘राजा आओ देश बचाओ’, ‘भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद’ और ‘हमें राजतंत्र वापस चाहिए’ जैसे नारे लगाए। प्रधानमंत्री के. पी. ओली ने देश में व्याप्त अशांति पर चर्चा करने के लिए एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई। गृह मंत्रालय के एक बयान में सार्वजनिक संपत्ति को जलाने और तोड़फोड़ की निंदा की गई और कहा गया कि प्रदर्शनकारी अपनी स्वतंत्रता का नाजायज फायदा उठा रहे हैं। मंत्रालय ने कहा, ‘इस तरह की हिंसा के लिए आयोजक खुद जिम्मेदार हैं।’ मंत्रालय ने कहा कि सरकार कानून का उल्लंघन करने वालों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है। जब प्रदर्शनकारियों ने प्रतिबंधित क्षेत्र न्यू बानेश्वर की ओर बढ़ने का प्रयास किया, तो पुलिस ने प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के लिए कई युवाओं को हिरासत में लिया। नेपाल के राजनीतिक दलों ने 2008 में संसद की घोषणा के माध्यम से 240 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर करके तत्कालीन हिंदू राष्ट्र को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य में बदल दिया था। राजशाहीवादी तब से राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं, जब से पूर्व राजा ने लोकतंत्र दिवस (19 फरवरी) पर प्रसारित अपने वीडियो संदेश में समर्थन की अपील की थी। राजशाही समर्थक कार्यकर्ताओं ने नौ मार्च को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में एक रैली भी की, जो देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक स्थलों का दौरा करने के बाद पोखरा से त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे थे। इसके बाद कुछ समर्थकों ने ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर भी दिखाई। इस बीच, सोशलिस्ट फ्रंट के नेतृत्व में हजारों राजशाही विरोधी भृकुटीमंडप में एकत्र हुए और “गणतंत्र व्यवस्था अमर रहे”, ‘भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई करो’ और ‘राजशाही मुर्दाबाद’ जैसे नारे लगाए। राजशाही विरोधी मोर्चे में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट जैसे राजनीतिक दल भी शामिल हुए।

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सीपीएन-मोइस्ट सेंटर के प्रमुख पुष्पकमल दाहाल प्रचंड ने यहां भृकुटीमंडप में हजारों लोगों की मौजूदगी में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि राजशाही समर्थकों को नेपाली लोगों और राजनीतिक दलों के उदारवादी रवैये को कमजोरी नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व राजा अपने पिछले कुकर्मों के कारण एक साधारण नागरिक बनकर रह गए हैं। उन्होंने ज्ञानेंद्र से कहा कि वे वही गलती न दोहराएं, कहीं ऐसा न हो कि वह सब कुछ खो दें।

नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शन क्यों हुए?

नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शन इस लिए हुए क्योंकि प्रदर्शनकारी राजतंत्र की बहाली की मांग कर रहे थे। वे पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का समर्थन करते हुए देश में राजशाही को पुनः स्थापित करना चाहते हैं।

नेपाल में काठमांडू में कर्फ्यू क्यों लगाया गया?

काठमांडू में कर्फ्यू इसलिए लगाया गया क्योंकि राजशाही समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह कदम शांति बनाए रखने के लिए उठाया गया था।

काठमांडू में घातक प्रदर्शन के दौरान कितने लोग घायल हुए?

काठमांडू में हुए प्रदर्शन के दौरान लगभग 30 लोग घायल हुए, जिनमें से आधे पुलिसकर्मी थे।

क्या राजशाही की बहाली के लिए नेपाल में राजनीतिक दलों के बीच मतभेद हैं?

हां, नेपाल में राजनीतिक दलों के बीच राजशाही की बहाली को लेकर मतभेद हैं। कुछ दल राजशाही समर्थक हैं, जबकि अधिकांश दल इसे समाप्त कर लोकतांत्रिक गणराज्य के पक्षधर हैं।

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का क्या रुख है?

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने राजशाही की बहाली के लिए अपने समर्थकों से समर्थन मांगा है और उन्होंने हाल ही में लोकतंत्र दिवस पर अपने वीडियो संदेश में इस मुद्दे पर बात की थी।