लद्दाख। LAC पर भारत और चीन के बीच लद्दाख में गतिरोध जारी है। चीनी सेना के जवान गलवान क्षेत्र में 3 स्थानों पर भारतीय इलाके में घुस आए हैं। चीनी सैनिक पैंगोंग सो झील से सटे फिंगर एरिया में बंकर बना रहे हैं। इसके पीछे चीन का बेहद ही खास मकसद है, इसी कारण चीन भारत को भारतीय क्षेत्र में ही सड़क नहीं बनाने दे रहा।
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जानकारों के अनुसार लद्दाख यूरेनियम, ग्रेनाइट, सोने और रेअर अर्थ जैसी बहुमूल्य धातुओं से भरा हुआ है। प्राचीन काल में 10 हजार ऊंटों और घोड़ों के जरिए लद्दाख के रास्ते चीन से व्यापार होता था। लेह के रास्ते ये ऊंट और घोड़े चीन के यारकंद, सिनकिआंग और तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक जाते थे। इस दौरान दोनों देशों के बीच बड़े पैमाने पर व्यापार होता था।
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लद्दाख के गलवान क्षेत्र में जिस जगह पर भारत और चीन के बीच यह विवाद चल रहा है, उसके ठीक बगल में स्थित गोगरा पोस्ट के पास ‘गोल्डेन माउंटेन’ है। दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों की वजह से इस इलाके में अभी ज्यादा सर्वे नहीं हुआ लेकिन माना जाता है कि यहां सोने समेत कई बहुमूल्य धातुएं छिपी हुई हैं। यही नहीं लद्दाख के कई इलाकों में उच्च गुणवत्ता वाले यूरेनियम के भंडार मिले हैं। इससे परमाणु बिजली और परमाणु बम भी बनाए जा सकते हैं।
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लद्दाख की चट्टानों को भूगर्भविज्ञानी खनिज पदार्थों से समृद्ध बताते हैं।जर्मनी की प्रयोगशाला में वर्ष 2007 में चट्टानों के नमूनों की जांच में यह पाया गया था कि इनमें 5.36 प्रतिशत यूरेनियम है। यह पूरे देश में अन्य जगहों से मिले यूरेनियम से ज्यादा है। लद्दाख भारतीय और एशियाई प्लेट के बीच में स्थित है। यही पर 50 से 60 मिलियन साल पहले दोनों प्लेटों के बीच टक्कर के बाद हिमालय का निर्माण हुआ था।
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इस चट्टान से 0.31 – 5.36 प्रतिशत तक यूरेनियम और 0.76 – 1.43 प्रतिशत तक थोरियम मिला था। यह यूरेनियम कोहिस्तान, लद्दाख और दक्षिणी तिब्बत तक फैला हुआ है। इससे पहले चीन अरुणाचल प्रदेश में ऊपरी सुबंसिरी जिले से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर सोने और रेअर अर्थ की खुदाई कर चुका है। यह सोना उसे तिब्बत के युलमेड गांव में मिला है।
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रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन को इस इलाके से काफी सोना, चांदी और रेअर अर्थ मिला था। इसकी कुल कीमत करीब 60 अरब डॉलर है। इसको निकालने के लिए चीन ने अरुणाचल सीमा से सटकर कई सुरंगे और संचार के उपकरण लगाए हैं। यहां हजारों ट्रकों पर ओर को लादकर फैक्ट्री तक ले जाया जाता है। चीन ने पूरे इलाके में सड़कों का जाल और एयरपोर्ट भी बनाया है, जहां हजारों लोग काम कर रहे हैं।