(गौरव सैनी)
बाकू (अजरबैजान), 17 नवंबर (भाषा) भारत ने विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने के तौर-तरीकों पर सीओपी29 में गंभीरता से चर्चा न करने के लिए विकसित देशों के प्रति निराशा व्यक्त की और कहा कि वित्तीय एवं प्रौद्योगिकी मदद के बिना जलवायु परिवर्तन से निपटना असंभव है।
शमन कार्य कार्यक्रम (एमडब्ल्यूपी) पर सहायक निकायों की बैठक के समापन सत्र में शनिवार को एक वक्तव्य देते हुए भारत ने कहा कि विकसित देशों ने जलवायु कार्रवाई में बार-बार देरी की है और लगातार लक्ष्य बदले हैं जबकि इन्होंने ऐतिहासिक रूप से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सबसे अधिक योगदान दिया है तथा इनके पास जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने के लिए अधिक संसाधन और क्षमता है।
भारत के उप प्रमुख वार्ताकार नीलेश शाह ने कहा, ‘‘हमने (पिछले सप्ताह के दौरान) विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण मामलों में कोई प्रगति नहीं देखी है। दुनिया का हमारा हिस्सा जलवायु परिवर्तन के कुछ सबसे बुरे प्रभावों का सामना कर रहा है, उन प्रभावों से उबरने या जलवायु प्रणाली में उन परिवर्तनों के अनुकूल होने की हमारी क्षमता बहुत कम है, जिनके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा कि एमडब्ल्यूपी का उद्देश्य मदद करना है, दंडित करना नहीं, तथा इसमें प्रत्येक देश के अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं और परिस्थितियों के आधार पर अपने जलवायु लक्ष्य निर्धारित करने के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए।
भारतीय वार्ताकार ने कहा, ‘‘हम जलवायु कार्रवाई पर चर्चा कैसे कर सकते हैं, जब जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में हमारी चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं, जबकि हमारे लिए कार्रवाई करना असंभव होता जा रहा है।’’
भारत ने कहा कि जलवायु कार्रवाई करने की सर्वाधिक क्षमता वाले विकसित देशों ने ‘‘लक्ष्यों में लगातार बदलाव किया है, जलवायु कार्रवाई में देरी की है।’’
भाषा शफीक नेत्रपाल
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