इमरान की गिरफ्तारी के बाद चुनाव कराने में ‘कोई बड़ी बाधा नहीं’ : पाकिस्तानी विश्लेषक

इमरान की गिरफ्तारी के बाद चुनाव कराने में ‘कोई बड़ी बाधा नहीं’ : पाकिस्तानी विश्लेषक

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  • Publish Date - August 5, 2023 / 11:02 PM IST,
    Updated On - August 5, 2023 / 11:02 PM IST

(एम जुल्करनैन)

लाहौर, पांच अगस्त (भाषा) पाकिस्तान के प्रमुख राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को दोषी ठहराने और तीन साल की सजा होने के बाद सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और उसके साथ खड़ी सेना के लिए चुनाव कराने की ‘‘सबसे बड़ी बाधा’’ दूर हो गई है।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (70) को इस्लामाबाद की अदालत द्वारा तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में ‘कदाचार’ का दोषी करार देने और तीन साल कारावास की सजा सुनाए जाने के कुछ देर बाद ही लाहौर स्थित जमन पार्क आवास से गिरफ्तार कर लिया गया।

अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘खान को राष्ट्रीय खजाने से हासिल लाभ को जानबूझकर और इरादतन छिपाने के भ्रष्ट आचरण का दोषी पाया गया है। तोशाखाना से लिए गए तोहफों के बारे में सूचना मुहैया करने में उन्होंने धोखेबाजी की। उनकी बेईमानी संदेह से परे साबित हुई है।’’

राजनीतिक विश्लेषक हसर अस्करी रिजवी ने खान की गिरफ्तारी के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि ऐसा लगता है कि अब चुनाव में देरी कराने का कोई कारण नहीं बचा है। उन्होंने कहा, ‘‘सत्तारूढ़ पीएमएल-एन और सेना लगता है कि एक ही पन्ने पर हैं।’’

रिजवी ने कहा कि चुनाव में जनगणना के मुद्दे पर कुछ महीनों की देरी हो सकती है, अन्यथा अब कोई और ‘बड़ी बाधा’ नहीं है।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल में कहा था कि चुनाव डिजिटल जनगणना 2023 के आधार पर कराए जाएंगे।

पंजाब में पीएमएल-एन के एक नेता ने पहचान गुप्त रखते हुए कहा कि खान की गिरफ्तारी से आम चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘पीएमएल-एन और सेना को आशंका थी कि जब तक खान आजाद रहेंगे चुनाव में उन्हें रोकना आसान नहीं होगा। इसलिए चुनाव तक उनकी गिरफ्तारी जरूरी थी…अन्यथा चुनाव में देरी तय थी।’’

स्तंभकार नदीम फारूक प्राचा ने कहा, ‘‘कथित ‘इमरान खान परियोजना’ को उसी सेना द्वारा व्यवस्थागत तरीके से नष्ट किया गया जिन्हें 2011 में उसी सेना ने सर-आंखों पर चढ़ा सत्ता तक पहुंचाया।’’

खान ने 1996 में अपली पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) बनाई लेकिन 2011 तक एक छोटी पार्टी बनी रही।

प्राचा ने कहा कि 2011 में सेना ने खान की लाहौर में विशाल रैली करने में मदद की और पीएमएल-एन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बाद तीसरी संभावित पार्टी के तौर पर पेश किया।

भाषा धीरज नेत्रपाल

नेत्रपाल