भारत के रूस के साथ सैन्य, प्रौद्योगिकी संबंध मजबूत करने के ठोस प्रमाण नहीं: सुलिवन

भारत के रूस के साथ सैन्य, प्रौद्योगिकी संबंध मजबूत करने के ठोस प्रमाण नहीं: सुलिवन

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  • Publish Date - July 21, 2024 / 11:16 PM IST,
    Updated On - July 21, 2024 / 11:16 PM IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 21 जुलाई (भाषा) अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने कहा है कि इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि भारत रूस के साथ सैन्य और प्रौद्योगिकी संबंध मजबूत कर रहा है।

सुलिवन ने कहा कि चीन के लिए ‘कनिष्ठ सहयोगी’ बन चुका रूस जरूरी नहीं कि भविष्य में भारत का ‘विश्वसनीय मित्र’ रहे।

सुलिवन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की रूस यात्रा के बारे में पूछे गए प्रश्नों पर यह टिप्पणी की। सुलिवन कोलोराडो में ‘एस्पेन सिक्योरिटी फोरम’ में सवालों का जवाब दे रहे थे।

अमेरिका के एनएसए ने कहा, ‘‘सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हमें इस बात के ठोस प्रमाण मिले हैं कि भारत रूस के साथ अपने सैन्य और प्रौद्योगिकी संबंधों को गहरा कर रहा है? मुझे उस यात्रा में इस बात के ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं कि यह संबंध गहरा हो रहा है, मुझे उस क्षेत्र में कोई परिणाम देखने को नहीं मिला।’’

सुलिवन से पूछा गया कि ‘‘आप उस समय क्या चिंतित थे जब प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की, जबकि यह मुलाकात उसी समय हुई थी जब राष्ट्रपति जो बाइडन वाशिंगटन में नाटो के नेताओं की मेजबानी कर रहे थे?’’

पुतिन और मोदी के गर्मजोशी से एक दूसरे को गले लगाने के बारे में पूछे जाने पर सुलिवन ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी का विश्व नेताओं का अभिवादन करने का एक खास तरीका है। मैंने इसे करीब से और व्यक्तिगत रूप से देखा है।’’

उन्होंने यह भी कहा कि जो बाइडन प्रशासन कभी नहीं चाहता कि अमेरिका जिन देशों की परवाह करता है, जो उसके साझेदार और मित्र हैं, वे मॉस्को जाकर पुतिन को गले लगाएं।

सुलिवन ने कहा, ‘‘लेकिन भारत के साथ हमारे संबंधों के संदर्भ में, आप जानते हैं, हम प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र और व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनीति में अपार अवसर देखते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम उस रिश्ते को, समानता के आधार पर गहरा करना चाहते हैं। हम जानते हैं कि भारत का रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध है जिसे वे खत्म नहीं करने जा रहे हैं।’’

सुलिवन ने कहा, ‘‘लेकिन हम भारत के साथ इस संबंध की प्रकृति और विशेषताओं के बारे में गहन बातचीत जारी रखना चाहते हैं तथा यह भी कि क्या यह संबंध आगे बढ़ेगा, क्योंकि रूस चीन के और अधिक निकट होता जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चीन का कनिष्ठ साझेदार होने के नाते, यह आवश्यक नहीं है कि भविष्य में किसी आकस्मिक स्थिति या संकट के समय रूस भारत के लिए विश्वसनीय मित्र साबित हो।’’

भाषा आशीष अमित

अमित