भारतीय कथा साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए 25 हजार डॉलर का नया आईजीएफ आर्चर-अमीश पुरस्कार

भारतीय कथा साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए 25 हजार डॉलर का नया आईजीएफ आर्चर-अमीश पुरस्कार

  •  
  • Publish Date - June 25, 2024 / 12:58 PM IST,
    Updated On - June 25, 2024 / 12:58 PM IST

(तस्वीर के साथ)

(अदिति खन्ना)

लंदन, 25 जून (भाषा) जाने-माने लेखक लॉर्ड जैफ्री आर्चर और अमीश त्रिपाठी ने समकालीन भारतीय कथा साहित्य में प्रतिभाओं और भारतीय कथा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली कहानी कला को प्रोत्साहित करने के लिए 25,000 डॉलर के एक नए साहित्यिक पुरस्कार का आगाज किया है।

‘आईजीएफ आर्चर-अमीश अवॉर्ड फॉर लिटरेचर’ की घोषणा सोमवार को की गयी। दोनों लेखक इस घोषणा के लिए ब्रिटेन स्थित इंडिया ग्लोबल फोरम (आईजीएफ) के उद्घाटन पर एक साथ आए।

पुरस्कार के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया इस साल शुरू होगी और 2025 में अगले आईजीएफ लंदन सम्मेलन में पुरस्कार के विजेता की घोषणा की जाएगी।

‘केन एंड एबेल’ और ‘द क्लिफ्टन क्रॉनिकल्स’ जैसी सबसे अधिक बिकने वाली किताबों के जाने-माने ब्रिटिश लेखक लॉर्ड आर्चर ने कहा, ‘‘पुरस्कार काफी महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे लेखक की रचनाधर्मिता को एक पहचान देते हैं और साथ ही यह भरोसा दिलाते हैं कि लेखन कर्म को अपने दिन रात समर्पित करने वाला लेखक अकेला नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेखन बहुत एकांतवादी प्रक्रिया है जहां आप पूरी तरह अपनी दुनिया में खोए रहते हैं। इसलिए जब दुनिया आपको किसी पुरस्कार के जरिए पहचानती है तो यह आपकी प्रतिभा की पहचान होती है।’’

हिंदू पौराणिक कथाओं पर केंद्रित कृतियों के लिए मशहूर अमीश त्रिपाठी ने इस साहित्यिक पुरस्कार के बारे में कहा, ‘‘यह ऐसा पुरस्कार है जिसका उद्देश्य कहानी कहने की कला को प्रोत्साहित करना है। यह इसे उन अन्य पुरस्कारों से काफी अलग बनाएगा जो संभवत: उन लेखकों को पुरस्कृत करते हैं जिनकी किताबें उबाऊ होती है लेकिन वे अच्छी भाषा का इस्तेमाल करते हैं जबकि उनमें कोई कहानी नहीं होती।’’

इस पुरस्कार के विजेता को आईजीएफ के विभिन्न मंचों पर बुलाया जाएगा जहां वह दुनियाभर के दर्शकों के सामने अपने काम को पेश कर सकता है और अपनी रचनात्मक यात्रा के बारे में बता सकता है।

आईजीएफ के संस्थापक मनोज लाडवा ने कहा, ‘‘पश्चिमी देशों के लोग भारत के बारे में क्या सोचते हैं और भारतीय क्या पढ़ते हैं तथा अपने देश को कैसे देखते हैं, इसके बीच काफी अंतर है। इसलिए आईजीएफ इस पुरस्कार से इस अंतर को मिटाना चाहता है।’’

भाषा गोला नरेश

नरेश