काठमांडू, 27 नवंबर (भाषा) नेपाली कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बुधवार को कहा कि नेपाल बीआरआई व्यवस्था के तहत चीन से अनुदान और तकनीकी सहायता स्वीकार कर सकता है, लेकिन ऋण नहीं।
नेपाली कांग्रेस (एनसी) नेता और पूर्व वित्त मंत्री प्रकाश शरण महत की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री के पी ओली की दो दिसंबर से शुरू होने वाली चीन यात्रा से कुछ दिन पहले आई है।
नेपाली कांग्रेस नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के अध्यक्ष ओली के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।
‘नेपाल के लिए बीआरआई के रणनीतिक निहितार्थ’ विषय पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुये महत ने कहा कि नेपाल बीआरआई व्यवस्था के तहत चीन से अनुदान और तकनीकी सहायता स्वीकार कर सकता है, लेकिन ऋण नहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पहले से ही अतीत में लिए गए विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय ऋणों के बोझ तले दबे हुए हैं, इसलिए हम विकास सहायता के नाम पर नया ऋण नहीं ले सकते।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि नेपाल सड़कों और संपर्क के लिए बीआरआई के तहत चीन से सहायता मांग सकता है, लेकिन उसकी प्राथमिकता अनुदान या तकनीकी सहायता होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले अपने राष्ट्रीय हित पर विचार करने के साथ-साथ अपनी आवश्यकता का आकलन करने की भी जरूरत है।’’
नेपाल और चीन ने मई 2017 में बीआरआई के की पहली रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इसके तहत एक भी परियोजना कार्यान्वित नहीं हुई है। स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार, ओली की चीन यात्रा के दौरान दोनों देश बुनियादी ढांचा परियोजना पर सहयोग के लिए एक और रूपरेखा पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। विवाद या टकराव की स्थिति में यह (नई रूपरेखा) 2017 के समझौते पर हावी रहेगी।
हालांकि, पूर्व विदेश मंत्री और सीपीएन-यूएमएल के वरिष्ठ नेता प्रदीप ग्यावली ने कहा कि यह निर्णय लेने का उचित समय नहीं है कि चीन से ऋण लिया जाए या बीआरआई के तहत अनुदान मांगा जाए।
भारत बीआरआई का विरोध करता रहा है। बीआरआई चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक प्रिय परियोजना है, जिसका उद्देश्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण में निवेश के साथ चीन के वैश्विक प्रभाव में वृद्धि करना है। नई दिल्ली ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के निर्माण को लेकर बीजिंग के खिलाफ विरोध जताया है। सीपीईसी बीआरआई की प्रमुख परियोजना है।
भाषा रंजन पवनेश
पवनेश