(ललित के झा)
वाशिंगटन, 19 मार्च (भाषा) दो शीर्ष डेमोक्रेटिक सांसदों ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भारत में कृषि कानूनों के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों और पत्रकारों के साथ किए जा रहे व्यवहार का मुद्दा उठाने का अनुरोध किया है। सांसदों ने हालांकि कहा कि नए कृषि कानूनों पर आगे कैसे बढ़ना है, इस पर कोई निर्णय भारत के नागरिक और वहां की सरकार ही करेगी।
ब्लिंकन को लिखे पत्र में सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष बॉब मेनेंडेज और सीनेट में बहुमत के नेता चक शूमर ने बृहस्पतिवार को बाइडन प्रशासन से अनुरोध किया कि वह भारत में किसानों के साथ हो रहे व्यवहार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के साथ बातचीत करें। उन्होंने कहा कि ये किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं।
गौरतलब है कि मुख्यत: पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान टीकरी, सिंघु और गाजीपुर समेत दिल्ली के कई सीमा बिंदुओं पर 28 नवंबर से डेरा डाले हुए हैं। वे तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं।
हालांकि सरकार ने उन आरोपों को खारिज किया है कि वह एमएसपी और मंडी व्यवस्था को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
भारत ने इस पर भी जोर दिया है कि किसानों के प्रदर्शन को भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के परिदृश्य में देखा जाना चाहिए और विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि कुछ समूह अपने निजी हितों के लिए देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।
मेनेंडेज और शूमर ने ब्लिंकन को लिखे संयुक्त पत्र में कहा, ‘‘भारत, अमेरिका का दीर्घकालीन सामरिक साझेदार है जिसका श्रेय हमारे कई साझा मूल्यों और व्यापक भारतीय अमेरिकी समुदाय को जाता है। इन मजबूत संबंधों के चलते किसान प्रदर्शनों पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर हम गंभीर चिंता जताते हैं।’’
उन्होंने बाइडन से अपने भारतीय समकक्ष के साथ बातचीत में बोलने की आजादी और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की महत्ता का मुद्दा उठाने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि विदेश विभाग के अधिकारी भी विभिन्न स्तर पर यह मुद्दा उठाएं।
विदेश मंत्री बनने के बाद ब्लिंकन ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से कई बार बातचीत की है। फोन पर हुई इन बातचीत से यह संकेत नहीं मिलता कि ब्लिंकन ने अपनी पार्टी के दबाव के बावजूद यह मुद्दा उठाया हो।
शूमर और मेनेंडेज ने कहा कि केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन ने प्रदर्शन वाले इलाकों में इंटरनेट बंद करने, पानी और बिजली की आपूर्ति बंद करने का आदेश दिया और प्रदर्शनों पर रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों के काम में बाधा डाली।
सीनेटर ने कहा, ‘‘भारत के नागरिक और सरकार यह तय करेंगे कि इन कानूनों पर आगे का रास्ता कैसे तय करना है और यह फैसला शांतिपूर्ण बातचीत तथा सभी के विचारों का सम्मान करते हुए लिया जाना चाहिए।’’
भाषा गोला मनीषा
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