चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधि उल्कापिंड के प्रभाव या गर्मी की वजह से हो सकती है, अध्ययन की जरूरत: इसरो

चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधि उल्कापिंड के प्रभाव या गर्मी की वजह से हो सकती है, अध्ययन की जरूरत: इसरो

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  • Publish Date - September 6, 2024 / 08:19 PM IST,
    Updated On - September 6, 2024 / 08:19 PM IST

नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) चंद्रयान-3 के भूकंप-संकेतक उपकरण से प्राप्त आंकड़ों के इसरो के प्रारंभिक विश्लेषण में कहा गया है कि चंद्रमा की मिट्टी में भूकंपीय गतिविधि अतीत में उल्कापिंडों के प्रभाव या स्थानीय गर्मी से संबंधित प्रभावों के कारण हो सकती है।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि डेटा से अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।

पत्रिका ‘इकारस’ में प्रकाशित शोधपत्र चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (इल्सा) द्वारा दर्ज किए गए 190 घंटों के आंकड़ों के अवलोकन का सारांश है।

‘इल्सा’ उन पाँच प्रमुख वैज्ञानिक उपकरणों में से एक है, जिन्हें चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर और ‘प्रज्ञान’ रोवर अपने साथ लेकर गए थे। ‘चंद्रयान-3’ ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की थी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि भूकंप का पता लगाने वाले इल्सा को 2 सितंबर, 2023 तक लगातार संचालित किया गया, जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया और वापस पैक कर दिया गया। इसके बाद लैंडर को प्रारंभिक बिंदु से लगभग 50 सेंटीमीटर दूर एक नए बिंदु पर स्थानांतरित कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि इल्सा ने चंद्र सतह पर लगभग 218 घंटे काम किया, जिसमें 190 घंटों का डेटा उपलब्ध है।

अध्ययन के लेखकों ने लिखा, ‘‘हमने 250 से अधिक विशिष्ट संकेतों की पहचान की है, जिनमें से लगभग 200 संकेत रोवर की भौतिक गतिविधियों या वैज्ञानिक उपकरणों के संचालन से जुड़ी ज्ञात गतिविधियों से संबंधित हैं।’’

लेखकों ने लैंडर या रोवर की गतिविधियों से नहीं जोड़े जा सके 50 संकेतों को ‘‘असंबद्ध घटनाएं’’ माना।

उन्होंने लिखा, ‘‘इल्सा द्वारा दर्ज किए गए असंबद्ध संकेत संभवतः उपकरण की निकटवर्ती सीमा पर सूक्ष्म उल्कापिंडों के प्रभाव, मिट्टी पर स्थानीय तापीय प्रभाव, या लैंडर उप-प्रणालियों के भीतर तापीय समायोजन के कारण हो सकते हैं।’’

सूक्ष्म उल्कापिंड एक बहुत छोटा उल्कापिंड या उल्कापिंड का अवशेष होता है, जिसका व्यास आमतौर पर एक मिलीमीटर से भी कम होता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी पाया कि अपने संचालन के दौरान इल्सा ने तापमान में (माइनस) 20 डिग्री सेल्सियस से लेकर (प्लस) 60 डिग्री सेल्सियस तक व्यापक परिवर्तन भी दर्ज किया।

उन्होंने कहा कि इल्सा के डेटा के संभावित स्रोतों को समझने के लिए विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।

इल्सा चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र से भूकंपीय डेटा रिकॉर्ड करने वाला पहला तथा चार दशक पूर्व नासा के अपोलो मिशन के बाद चंद्रमा पर जमीनी हलचल रिकॉर्ड करने वाला दूसरा उपकरण है।

भाषा नेत्रपाल अविनाश

अविनाश