(माइकल प्लैट, पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय)
पेनसिल्वेनिया, चार नवंबर (द कन्वर्सेशन) अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए जैसे-जैसे चुनाव का दिन नजदीक आ रहा है और कमला हैरिस तथा डोनाल्ड ट्रंप के बीच तर्क-वितर्क बढ़ते जा रहे हैं, चुनाव विशेषज्ञ तथा पंडित नतीजे की भविष्यवाणी करने के लिए सुराग ढूंढ़ने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं।
लेकिन क्या होगा यदि उत्तर राजनीतिक डेटा या चुनाव अभियान की रणनीतियों में नहीं, बल्कि मानव मस्तिष्क के प्रारंभिक हिस्से की मूल प्रवृत्ति में निहित हो?
रीसस मकाक बंदरों पर मेरे द्वारा किए गए नए शोध से पता चलता है कि जब मतदान जैसे निर्णयों की बात आती है, तो लोग उतने तर्कसंगत नहीं होते जितना वे विश्वास करना चाहते हैं।
लेकिन इंसानों के पास एक तर्कसंगत मस्तिष्क भी होता है जो बिना सोचे-समझे प्रतिक्रियाओं पर भरोसा करने के बजाय सोच-समझकर सबूत इकट्ठा कर सकता है और उनकी तुलना कर सकता है।
ऐसा क्यों लगता है कि तर्कसंगत मस्तिष्क को उन स्थितियों में प्रारंभिक प्रवृत्ति द्वारा अपहृत कर लिया जाता है जहां तर्कसंगतता लोगों के लिए बेहतर साबित होगी। यह कई कारणों में से एक है जिसकी वजह से मैं और तंत्रिका विज्ञान संबंधी मेरे सहकर्मी पिछले 25 वर्षों से ‘रीसस मकाक’ (एक बंदर) का अध्ययन कर रहे हैं।
ये बंदर उल्लेखनीय तौर पर आनुवंशिक, शारीरिक और व्यावहारिक रूप से मनुष्यों के समान हैं। इन समानताओं ने शोधकर्ताओं को अविश्वसनीय चिकित्सा सफलताएं हासिल करने की अनुमति दी है, जिसमें पोलियो, एचआईवी/एड्स और कोविड -19 के लिए टीकों का विकास, साथ ही पार्किंसंस रोग और अन्य तंत्रिका संबंधी विकारों के लिए गहन उपचार शामिल है।
प्रथम प्रभावों की शक्ति
पिछले शोध से पता चला है कि वयस्क मानव और स्कूलों में प्रारंभिक रूप से शिक्षारत लोग समान रूप से उम्मीदवार की तस्वीरों के त्वरित प्रदर्शन के बाद चुनाव परिणामों के बारे में सटीक रूप से बात कह सकते हैं। बहुत सारे साक्ष्य इस विचार का समर्थन करते हैं कि हमारा प्रारंभिक मस्तिष्क हमें शारीरिक उपस्थिति के आधार पर जल्दी से पहला प्रभाव बनाने के लिए प्रेरित करता है।
लेकिन शोधकर्ता अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि यह पूर्वाग्रह क्यों बना हुआ है। रीसस मकाक पर नए शोध ने कुछ उत्तर प्रदान किए हैं।
अध्ययन रिपोर्ट पत्रिका ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी’ में समीक्षाधीन है। हमने बंदरों को अमेरिकी गवर्नर और सीनेट चुनावों से उम्मीदवारों की तस्वीरें दिखाईं, और उन्होंने पूरी तरह से दृश्य विशेषताओं के आधार पर परिणामों के बारे में सटीक प्रतिक्रिया दी।
विशेष रूप से, बंदरों ने विजेता की तुलना में हारने वाले को देखने में अधिक समय बिताया।
बंदरों की इस दृष्टि से न सिर्फ चुनाव परिणामों के बारे में, बल्कि उम्मीदवारों के वोट शेयर के बारे में भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
निःसंदेह, मतदाता मकाक नहीं हैं। लेकिन हमारे अंतरंग ‘प्राइमेट’ रिश्तेदारों के साथ लोगों द्वारा साझा की जाने वाली अंतर्निहित मूल प्रवृत्ति अब भी सूक्ष्मता से हमारे निर्णयों को आकार दे सकती है।
इन प्राचीन संकेतों की भूमिका को स्वीकार करने से लोगों को मतदान केंद्र में अपनी शक्ति का प्रयोग करने के बारे में अधिक जागरूक बनने में मदद मिल सकती है। जैसे-जैसे लोकतंत्र विकसित होता है, वैसे-वैसे मनुष्यों की समझ भी विकसित होनी चाहिए कि इसके साथ कैसे जुड़ना है।
(द कन्वरसेशन)
नेत्रपाल संतोष
संतोष