दिमाग घुमाने वाले, खून चूसने वाले: विचित्र होने के बावजूद परजीवी पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण

दिमाग घुमाने वाले, खून चूसने वाले: विचित्र होने के बावजूद परजीवी पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण

  •  
  • Publish Date - January 2, 2025 / 04:42 PM IST,
    Updated On - January 2, 2025 / 04:42 PM IST

(यूआन रिची, डीकिन विश्वविद्यालय)

मेलबर्न, दो जनवरी (द कन्वरसेशन) परजीवी, जोंबी, जोंक – इन शब्दों का प्रयोग अक्सर लोगों का निर्दयी तरीके से वर्णन करने के लिए किया जाता है, लेकिन हममें से कई लोग पिस्सू, जूं या खटमलों का जिक्र होते ही घबरा जाते हैं। ऐसे अवांछित ‘‘मेहमानों’’ से सामना होना वास्तव में एक दुःस्वप्न हो सकता है, जो हमारे बालों, त्वचा और यहां तक कि बिस्तर तक में छुपे होते हैं।

कुछ परजीवी भयानक विकृतियां और बीमारियां पैदा करते हैं, जिससे लाखों लोग और वन्यजीव या तो विकलांग हो जाते हैं या मारे जाते हैं। वहीं, कुछ अन्य परजीवी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं या खाद्य श्रृंखलाओं का आधार बनते हैं।

परजीवियों को अक्सर परेशानी देने वाले की तरह देखा जाता है और गलत समझा जाता है। लेकिन जितना अधिक हम इनके विकास की विचित्रताओं का अध्ययन करते हैं, उतना ही हम पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और उनके साथ हमारे जटिल संबंधों को पहचान पाते हैं। वे पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक हैं।

वन्यजीवन पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक पारिस्थितिकीविद् के रूप में, मैंने परजीवियों के प्रति अपने आकर्षण और उनके असाधारण जीवन के महत्व को साझा करने के लिए यह लेख लिखा है।

परजीवी क्या है : ये अपने भोजन, विकास और प्रजनन के लिए जीवित जीवों पर निर्भर रहते हैं। वे किसी जीव के शरीर के बाहर (बाह्य परजीवी) या अंदर (अंतः परजीवी) रह सकते हैं। बिन बुलाए मेहमान होने से कहीं ज्यादा, परजीवी आम तौर पर अपनी मर्जी से आते हैं और ‘‘मेजबान’’ के खर्च पर भोजन करते हैं, और उसके कुछ हिस्से को या पूरा खा जाते हैं।

परजीवी किसी शरीर में कम या अधिक समय तक रह सकते हैं, कुछ मामलों में कई वर्षों तक भी, और खास बात यह भी है कि ज्यादातर समय तक किसी का ध्यान इन पर नहीं जाता।

उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति अपने मस्तिष्क में फीता कृमि नामक परजीवी के साथ चार साल से अधिक समय तक जीवित रहा। इस परजीवी के बारे में तब पता चला, जब सिरदर्द और अन्य परेशानियां बर्दाश्त से बाहर हो गए। कई मामलों में, परजीवी जानलेवा तक साबित हो सकते हैं।

फीता कृमि जैसे अंतःपरजीवी अक्सर सीधे आकार के होते हैं, जिससे वे अन्य जीवों के अंदर तंग जगहों में भी रह सकते हैं। इस तरह ये वर्षों तक भी शरीर में बने रहते हैं।

दुनिया के सबसे व्यापक परजीवियों में से एक ‘टोक्सोप्लाज्मा गोंडी’ है। कुछ अनुमान बताते हैं कि हर तीन में से एक व्यक्ति इससे प्रभावित है। इस परजीवी का मुख्य रूप से निशाना बिल्लियां हैं। घरेलू बिल्लियां अक्सर इससे संक्रमित होती हैं, जिनके मल के माध्यम से ये परजीवी फैलता है।

इसके संभावित ‘‘लाभ’’ भी हैं। शोध से पता चलता है कि टोक्सोप्लाज्मा संक्रमण, जो आत्मविश्वास और जोखिम लेने की क्षमता को बढ़ा सकता है, उद्यमशीलता और व्यवसाय से संबंधित गतिविधियों में वृद्धि से भी जुड़ा हो सकता है। इसी अध्ययन में पाया गया कि जिन देशों में टोक्सोप्लाज्मा की दर अधिक है, वहां नए व्यवसाय से संबंधित विफलता के बारे में व्यक्तियों की चिंता का अनुपात कम था।

(द कन्वरसेशन)

शफीक मनीषा

मनीषा