दमिश्क, 29 जनवरी (एपी) सीरिया में मंगलवार को नागरिक सुरक्षा कार्यकर्ताओं ने दमिश्क के ग्रामीण क्षेत्र में दो अलग-अलग तहखानों से 26 से अधिक लोगों के जले हुए शव बरामद किए। ये शव पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के कथित अत्याचारों के पीड़ित लोगों के माने जा रहे हैं।
इन सामूहिक कब्रों का पता चलना दिसंबर में असद सरकार के पतन के बाद से उजागर हो रही सामूहिक कब्रों की बढ़ती संख्या में इजाफा है। ऐसा माना जा रहा है कि शवों में पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, तथा उन पर गोली लगने और जलने के निशान हैं।
सीरिया के स्वयंसेवी नागरिक सुरक्षा समूह व्हाइट हेलमेट्स के सदस्य ने सबनेह कस्बे में दो संपत्तियों के तहखानों से इन टूटे-फूटे, जले हुए कंकालों को बाहर निकाला। सुरक्षा सूट पहने इन कार्यकर्ताओं ने हर शव को चिह्नित किया और कोडिंग के बाद शवों को बैग में डालकर, ट्रकों के माध्यम से फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया।
व्हाइट हेलमेट्स के बचावकर्मी अबेद अल-रहमान मव्वास ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) को बताया कि 28 नवंबर के बाद से संगठन ने 780 से अधिक शवों का पता लगाया है। इनमें से ज्यादातर की पहचान अज्ञात है। कुछ शव उथली कब्रों में थे, जिन्हें स्थानीय लोगों ने या जानवरों ने खोदकर उजागर किया। शवों को फॉरेंसिक विशेषज्ञों के पास भेजा गया है ताकि उनकी पहचान, मृत्यु का समय और कारण निर्धारित किया जा सके और शवों को उनके परिवारों को सौंपा जा सके।
स्थानीय निवासी मोहम्मद अल-हेराफे ने बताया कि 2016 में जब वह अपने परिवार के साथ वापस आए, तब घर में सड़ते शवों की दुर्गंध भरी हुई थी। उन्हें तहखाने में शव मिले, लेकिन उन्होंने सरकार से डरकर इसकी सूचना नहीं दी।
उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते थे कि यह सरकार का ही किया हुआ था, इसलिए कुछ नहीं कह सके। ’’
असद सरकार पर यह आरोप लगते रहे हैं कि उसने हवाई हमले, यातनाएं, फांसी और सामूहिक गिरफ्तारियां कर अपने शासन को बनाए रखा और विरोधियों का बलपूर्वक दमन किया।
एक अन्य तहखाने से शव निकालने वाले अम्मार अल-सलमो ने कहा कि शवों की पहचान के लिए विस्तृत जांच की जरुरत होगी।
स्थानीय निवासी मोहम्मद शिबत ने बताया कि उन्होंने 2012 में अपना इलाका छोड़ा और 2020 में लौटे, तब उन्हें तथा उनके पड़ोसियों ने शवों की जानकारी दी, लेकिन किसी ने कार्रवाई नहीं की।
संयुक्त राष्ट्र सीरिया जांच आयोग की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि सामूहिक कब्रों के फॉरेंसिक विश्लेषण से लापता लोगों की सच्चाई सामने आ सकती है।
रिपोर्ट में 2000 से अधिक गवाहों और 550 से अधिक यातना पीड़ितों की गवाही के आधार पर बताया गया कि कैसे असद शासन के दौरान जेलों में कैदियों को बिजली के झटके, जलाने, नाखून उखाड़ने, बलात्कार, यौन हिंसा, मानसिक और शारीरिक यातनाओं से मारा जाता था।
असद सरकार के आठ दिसंबर को पतन के बाद, सैकड़ों परिवार अपने प्रियजनों को ढूंढने के लिए जेलों और मुर्दाघरों में भटक रहे हैं। हालांकि, कई लोग वर्षों बाद रिहा हुए, लेकिन हजारों अब भी लापता हैं।
एपी
राखी रवि कांत