नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों में शामिल रहने के मामले में एक व्यक्ति गिरफ्तार

नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों में शामिल रहने के मामले में एक व्यक्ति गिरफ्तार

नेपाल में राजशाही समर्थक प्रदर्शनों में शामिल रहने के मामले में एक व्यक्ति गिरफ्तार
Modified Date: April 11, 2025 / 08:57 pm IST
Published Date: April 11, 2025 8:57 pm IST

(शिरीष बी प्रधान)

काठमांडू, 11 अप्रैल (भाषा) नेपाल में पुलिस ने शुक्रवार को एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसके बारे में उसका दावा है कि राजधानी काठमांडू में 28 मार्च को हुए राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के पीछे इसी व्यक्ति का हाथ था। इन प्रदर्शनों में दो लोगों की मौत हो गई थी।

नेपाल पुलिस ने एक बयान में कहा कि काठमांडू के तिनकुने में हुए हिंसक प्रदर्शनों में शामिल दुर्गा प्रसाई को उसके अंगरक्षक के साथ भारत की सीमा से लगे झापा जिले से गिरफ्तार किया गया। प्रसाई पर राज्य अपराध और संगठित अपराध का आरोप लगाया गया है।

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काठमांडू जिला अदालत ने नेपाल पुलिस को प्रसाई को आवश्यक पूछताछ के लिए 12 दिन की हिरासत में रखने की अनुमति दे दी है।

खबरों के अनुसार, प्रसाई को असम में स्थानीय पुलिस ने पकड़ा था और नेपाल पुलिस को सौंप दिया, जो उसे झापा ले आई, जहां उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया।

खबर में यह दावा भी किया गया कि नेपाल और भारत के बीच वर्तमान में कोई प्रत्यर्पण संधि प्रभावी नहीं है, इसलिए प्रसाई की असम में गिरफ्तारी का खुलासा नहीं किया गया।

पुलिस ने पहले राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के महासचिव धवल शमशेर राणा और उपाध्यक्ष रवींद्र मिश्रा सहित पांच दर्जन से अधिक लोगों को विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

पिछले महीने हुए हिंसक प्रदर्शनों में एक फोटो पत्रकार समेत दो लोगों की मौत हो गई थी और 110 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

राजशाही की बहाली और नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर काठमांडू और देश के कुछ दूसरे हिस्सों में आरपीपी सहित राजशाही समर्थकों ने कई विरोध प्रदर्शन किए हैं।

पुलिस ने काठमांडू जिला न्यायालय के आदेश पर आरपीपी के नेता राणा, मिश्रा और अन्य के खिलाफ राज्य अपराध और संगठित अपराध के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है और उन्हें न्यायिक हिरासत में ले लिया है।

आरपीपी राजशाही समर्थक प्रदर्शनों के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की तुरंत रिहाई की मांग कर रही है।

नेपाल के राजनीतिक दलों ने संसद में एक घोषणा के जरिये 2008 में 240 साल पुरानी राजशाही को खत्म कर दिया था और उस समय के हिंदू राष्ट्र को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य में बदल दिया था।

भाषा वैभव सुरेश

सुरेश


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