डकार(सेनेगल), 29 नवंबर (एपी) फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बृहस्पतिवार को पहली बार माना कि 1944 में पश्चिम अफ्रीकी में सैनिकों की फ्रांसीसी सेना द्वारा की गई हत्या नरसंहार थी। मैक्रों ने सेनेगल के प्राधिकारियों को लिखे एक पत्र में यह बात कही।
सेनेगल की राजधानी डकार के बाहरी इलाके में स्थित मछुआरों के गांव थियारोये में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुई हत्याओं की 80वीं बरसी से एक दिन पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति की यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय सामने आई है जब इस क्षेत्र पर फ्रांस का प्रभाव कम हो रहा है।
फ्रांस के 1940 में हुए युद्ध के दौरान फ्रांसीसी सेना की तरफ से लड़ने वाले पश्चिम अफ्रीका के 35 से 400 सैनिकों को फ्रांसीसी सैनिकों ने ही एक दिसंबर 1944 को मार डाला था। फ्रांस के लोगों ने इसे वेतन से जुड़े भुगतान को लेकर किया गया विद्रोह बताया था।
पश्चिमी अफ्रीका के लोग तिरालेउर्स सेनेगलैस नाम की एक इकाई के सदस्य थे, जो फ्रांसीसी सेना में औपनिवेशिक पैदल सेना की एक टुकड़ी थी।
इतिहासकारों के अनुसार, नरसंहार से कुछ दिन पहले वेतन से जुड़े भुगतान को लेकर विवाद था, लेकिन एक दिसंबर को फ्रांसीसी सैनिकों ने पश्चिम अफ्रीकी सैनिकों को घेर लिया और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
सेनेगल के राष्ट्रपति बासिरू डियोमाये फे ने कहा कि उन्हें मैक्रों का पत्र मिला है। फे ने बृहस्पतिवार देर रात संवाददाताओं से कहा कि मैक्रों के इस कदम से ‘नई शुरुआत होनी चाहिए’ ताकि ‘थियारोये की इस दर्दनाक घटना के बारे में पूरी सच्चाई’ सामने आ सके। उन्होंने कहा, ‘हम लंबे समय से इस कहानी को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं और हमें विश्वास है कि इस बार फ्रांस की प्रतिबद्धता संपूर्ण, स्पष्ट और सहयोगात्मक होगी।’
मैक्रों के बयान में कहा गया है, ‘‘फ्रांस को यह स्वीकार करना चाहिए कि उस दिन, अपने पूर्ण वैध वेतन का भुगतान करने की मांग करने वाले सैनिकों और राइफलमैन के बीच टकराव से घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हुई, जिसके परिणामस्वरूप नरसंहार हुआ।’’
यह पत्र सेनेगल के विधायी चुनावों के कुछ सप्ताह बाद आया है, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी पीएएसटीईएफ ने पूर्ण बहुमत हासिल किया था। इस जीत ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति फेय को अभियान के दौरान किए गए महत्वाकांक्षी सुधारों को पूरा करने के लिए स्पष्ट जनादेश दिया, जिसमें देश में भारी निवेश करने वालीं फ्रांस सहित अन्य विदेशी कंपनियों से अधिक आर्थिक स्वतंत्रता हासिल करना शामिल है।
फ्रांस के इस पूर्व उपनिवेश में अब भी लगभग 350 फ्रांसीसी सैनिक हैं जो मुख्य रूप से सहायक की भूमिका में हैं।
एपी संतोष पवनेश
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