भारत और अमेरिका के बीच गठजोड़ की असीमित संभावनाएं : प्रधानमंत्री मोदी

भारत और अमेरिका के बीच गठजोड़ की असीमित संभावनाएं : प्रधानमंत्री मोदी

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  • Publish Date - June 23, 2023 / 12:38 AM IST,
    Updated On - June 23, 2023 / 12:38 AM IST

वाशिंगटन, 22 जून (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच गठजोड़ की असीमित संभावनाएं हैं और दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में दोनों देश वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए योगदान दे सकते हैं।

मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों एवं समग्र वैश्चिक सामरिक गठजोड़ में एक नया अध्याय जुड़ा है।

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि भारत के साथ यह साझेदारी दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी में से एक है जो इतिहास में किसी भी समय अधिक मजबूत, करीबी और अधिक गतिशील है।

बाइडन के साथ संयुक्त प्रेस संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज का दिन भारत और अमेरिका के संबंधों के इतिहास में एक विशेष महत्व रखता है। आज की हमारी चर्चा और महत्वपूर्ण निर्णयों से हमारी समग्र वैश्चिक सामरिक गठजोड़ में एक नया अध्याय जुड़ा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत और अमेरिका के बीच गठजोड़ की असीमित संभावनाएं हैं। हमारे संबंधों का सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ लोगों के बीच सम्पर्क है। 40 लाख से अधिक भातरतीय मूल के लोगों ने अमेरिका के विकास में योगदान दिया है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र है और ये वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि में योगदान दे सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे विश्वास है कि इन मूल्यों के आधार पर हम दुनिया की आकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं।’’

भारत के अर्टेमिस संधि में शामिल होने का फैसले की घोषणा के बारे में मोदी ने कहा कि हमने अंतरिक्ष सहयोग में नया कदम आगे बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने राष्ट्रपति बाइडन के साथ कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुयी।

उन्होंने कहाकि भारत-अमेरिका का व्यापार और निवेश साझेदारी, दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है तथा आज अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम दोनों सहमत हैं कि हमारी सामरिक प्रौद्योगिकी गठजोड़ को सार्थक करने में गवर्नेंस, कारोबार और अकादमिक संस्थानों का साथ आना बहुत महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच करीबी रक्षा सहयोग हमारे आपसी विश्वास और साझा रणनीति प्राथमिकताओं का प्रतीक है।

मोदी ने कहा कि पुराने समय के क्रेता-विक्रेता संबंध को पीछे छोड़कर आज हम प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण, सह-विकास और सह-उत्पादन की तरफ बढ़ चुके हैं।

अमेरिका के साथ भारत के प्रगाढ़ होते रिश्तों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि व्हाइट हाउस में इतनी बड़ी संख्या में भारतीय लोगों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि भारतीय अमेरिकी हमारे संबंधों की असली ताकत हैं।

मोदी ने कहा कि इन संबंधों को और गहरा करने के लिए हम अमेरिका द्वारा बेंगलुरू और अहमदाबाद में वाणिज्य दूतावास खोलने के निर्णय का स्वागत करते हैं।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और अमेरिका कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम सहमत हैं कि सीमापार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा यह हमारी साझा प्राथमिकता है। हम एकमत हैं कि इस क्षेत्र का विकास और सफलता पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा कि कारोबार और निवेश में अमेरिका-भारत गठजोड़ न केवल दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी अहम है।

एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि लोग कहते है नहीं, बल्कि भारत एक लोकतंत्र है और जैसा कि राष्ट्रपति बाइडन ने कहा है, भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है।

मोदी ने कहा, ‘‘लोकतंत्र हमारे रगों में है। लोकतंत्र को हम जीते है। हमारे पूर्वजों ने संविधान के रूप में शब्दों में ढ़ाला है। जब हम लोकतंत्र को जीते हैं तब भेदभाव की बात ही नहीं आती । हमारी सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के सिद्धांत पर चलती है। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में कोई भेदभाव नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं सभी के लिए है और इसमें जाति, पंथ, धर्म आदि को लेकर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होता है।

मोदी ने कहा कि कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष से ग्लोबल साऊथ के देश विशेष रूप से पीड़ित हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मत है कि इन समस्याओं के समाधान के लिए सभी देशों का एकजुट होना अनिवार्य है। हम शांति की बहाली के लिए हरसंभव योगदान देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।’’

वहीं, जलवायु परिवर्तन से संबंधित पीटीआई-भाषा के सवाल का जवाब देते हुए बाइडन ने कहा कि मुझे लगता है कि यह मानवता के लिए अस्तित्वगत खतरा है, जबकि प्रधानमंत्री ने कहा कि हम भारत को हरित ऊर्जा केंद्र बनाने के लिए काम कर रहे हैं ।

भाषा दीपक दीपक रंजन

रंजन