लेबनान हिजबुल्ला का लंबे समय से नेता रहा नसरल्ला की इजराइली हमले में मौत

लेबनान हिजबुल्ला का लंबे समय से नेता रहा नसरल्ला की इजराइली हमले में मौत

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  • Publish Date - September 28, 2024 / 09:24 PM IST,
    Updated On - September 28, 2024 / 09:24 PM IST

बेरूत, 28 सितंबर (एपी) लेबनान के चरमपंथी समूह हिजबुल्ला को पश्चिम एशिया में एक शक्तिशाली अर्धसैनिक एवं राजनीतिक ताकत में तब्दील करने में अहम भूमिका अदा करने वाला संगठन का सरगना हसन नसरल्ला इजराइली हवाई हमले में मारा गया है। वह 64 साल का था। चरमपंथी संगठन ने यह जानकारी दी।

नसरल्ला ने 2006 में इजराइल के खिलाफ हिजबुल्ला के युद्ध का नेतृत्व किया था। उसी के नेतृत्व में समूह पड़ोसी देश सीरिया के क्रूर संघर्ष में शामिल हुआ था। बेरूत के दक्षिणी उपनगर हरेत हरेक पर इजराइली हवाई हमले में संगठन का सरगना मारा गया और जहां वह रह रहा था, हमले में वहां कई बहुमंजिला इमारतें ढह गईं।

हिजबुल्ला ने एक बयान में कहा, ‘‘हिजबुल्ला के महासचिव सैयद हसन नसरल्ला अपने साथी महान शहीदों में शामिल हो गए हैं, जिनका उन्होंने 30 वर्षों तक एक जीत से दूसरी जीत तक नेतृत्व किया था।’’

समूह ने कहा, ‘‘वह ‘‘यरूशलम के रास्ते पर शहीद हो गए’’।

नसरल्लाह ने 1992 में इजराइली मिसाइल हमले में अपने पूर्ववर्ती की मौत के बाद हिजबुल्ला की कमान संभाली थी और तीन दशक तक संगठन का नेतृत्व किया। उसके नेतृत्व संभालने के पांच साल बाद अमेरिका ने हिजबुल्ला को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था।

लेबनान के विभिन्न हिस्सों में हजारों पेजर और वॉकी-टॉकी में धमाके कर मुख्य रूप से हिजबुल्ला के सदस्यों को निशाना बनाया गया, जिनमें 39 लोगों की मौत हो गयी थी और लगभग 3,000 लोग घायल हो गए थे।

लेबनान ने इसके लिये इजराइल को दोषी ठहराया, लेकिन इजराइल ने न जिम्मेदारी ली न ही इसका खंडन किया। नसरल्ला ने जवाबी कार्रवाई करने का संकल्प लिया था।

लेबनान के अधिकारियों के मुताबिक लेबनान पर इजराइली हमलों में पांच दिनों में 700 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें कम से कम 150 महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

नसरल्ला ने धमकी दी थी कि उसकी ओर से बमबारी जारी रहेगी और इजराइली उत्तर में अपने घरों को तब तक वापस नहीं लौट सकेंगे जब तक कि गाजा में इजराइल का अभियान समाप्त नहीं हो जाता।

नसरल्ला को उसके समर्थक करिश्माई और निपुण रणनीतिकार मानते थे। उसने हिजबुल्ला को इजराइल के कट्टर दुश्मन के रूप में परिवर्तित किया और ईरान के शीर्ष धार्मिक नेताओं और हमास जैसे फलस्तीनी आतंकवादी समूहों के साथ गठबंधन को मजबूत किया।

वह अपने लेबनानी शिया अनुयायियों का आदर्श तथा अरब एवं इस्लामी जगत के लाखों लोगों के बीच सम्मानित था। उसे सैय्यद की उपाधि दी गई थी जो एक सम्मानजनक उपाधि थी जिसका उद्देश्य शिया धर्मगुरु के वंश को दर्शाना था, जो इस्लाम के संस्थापक पैगम्बर मुहम्मद तक जाती है।

नसरल्ला की छवि लेबनान भर में समूह के गढ़ के पोस्टर-बैनर दिखाई देती है। विशेष रूप से दक्षिणी बेरूत में जहां हिजबुल्ला का मुख्यालय है। उसकी तस्वीर न केवल लेबनान में बल्कि सीरिया और इराक जैसे देशों में भी दुकानों में दिखाई देती है।

ताकतवर होने के बावजूद नसरल्ला अपने जीवन के अंतिम वर्षों में इजराइली हमले के डर से अधिकतर समय छिपकर रहा और उपग्रह मोबाइल फोन से तकरीर दी।

नसरल्लाह के नेतृत्व में हिजबुल्ला ने 2006 में 34 दिनों के युद्ध के दौरान इजराइल के साथ गतिरोध की स्थिति पैदा कर दिया था। उसे उस युद्ध का नेतृत्व करने का श्रेय दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप 18 साल के कब्जे के बाद 2000 में दक्षिणी लेबनान से इजराइली सैनिकों की वापसी हुई। नसरल्ला का सबसे बड़ा बेटा हादी 1997 में इजराइली सेना के खिलाफ लड़ाई में मारा गया था।

सीरिया में 2011 में जब लड़ाई शुरू हुई तो नसरल्ला ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद के बलों का साथ दिया।

नसरल्ला नौ भाई-बहनों में सबसे बड़ा था और उसका जन्म बेरूत के उत्तरी उपनगर शारशाबूक में एक गरीब परिवार में हुआ था। वह 16 साल की उम्र में इराक के पवित्र शिया शहर नजफ गया, जहां ईरान की 1979 की इस्लामी क्रांति के नेता दिवंगत अयातुल्ला खुमैनी उस समय निर्वासन में रहते थे और धर्म की शिक्षा देते थे। बाद में नसरल्लाह ने कौम शहर में पढ़ाई की थी।

नसरल्ला हिजबुल्ला के संस्थापकों में से एक था। पार्टी का गठन ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड के सदस्यों द्वारा किया गया था, जो 1982 की गर्मियों में इजराइली सेना से लड़ने के लिए लेबनान आए थे।

नसरल्ला के परिवार में उसकी पत्नी फातिमा यासीन, तीन बेटे जवाद, मोहम्मद-महदी और मोहम्मद अली और एक बेटी जैनब हैं। साथ ही कई पोते-पोतियां भी हैं।

एपी धीरज रंजन

रंजन