भारतीय जलवायु नीति में नेताओं के रूप में महिलाओं को समर्थन देने वाली रणनीति का अभाव: रिपोर्ट

भारतीय जलवायु नीति में नेताओं के रूप में महिलाओं को समर्थन देने वाली रणनीति का अभाव: रिपोर्ट

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  • Publish Date - November 15, 2024 / 04:04 PM IST,
    Updated On - November 15, 2024 / 04:04 PM IST

बाकू, 15 नवंबर (भाषा) भारत की राष्ट्रीय जलवायु नीति में समेकित, लैंगिक समानता पर आधारित ऐसी जलवायु वित्त रणनीति का अब भी अभाव है जो जलवायु परिवर्तन से निपटने संबंधी प्रयासों में नेताओं के रूप में महिलाओं को व्यापक समर्थन देती हो। एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि लिंग-केंद्रित नीतियां बनाने की दिशा में प्रगति के बावजूद जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर भारत की प्रतिक्रिया खंडित बनी हुई है।

‘ग्लोबल काउंसिल’ द्वारा समर्थित अनुसंधान और सार्वजनिक नीति परामर्श कंपनी ‘चेज इंडिया’ की रिपोर्ट इस अंतर को रेखांकित करती है तथा महिलाओं को निष्क्रिय लाभार्थियों के बजाय जलवायु लचीलेपन में केंद्रीय भूमिका निभाने वालों के रूप में स्थापित करने के लिए समन्वित, लिंग-आधारित जलवायु वित्त ढांचा बनाए जाने का आह्वान करती है।

यह रिपोर्ट बृहस्पतिवार को अजरबैजान की राजधानी में सीओपी29 जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत की गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जैसे कार्यक्रमों ने 10 करोड़ 30 लाख से अधिक ग्रामीण महिलाओं को खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन सुलभ कराया है और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने लाखों महिलाओं को स्थायी आजीविका में शामिल किया है तथा इस तरह के कार्यक्रम लिंग आधारित नीतियों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं।

इसमें कहा गया है कि हालांकि, ये उपलब्धियां सीमित समन्वय के कारण अक्सर बाधित होती हैं, जिससे महिला-केंद्रित जलवायु प्रयासों का समग्र प्रभाव कम हो जाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इन प्रयासों के बावजूद, विभिन्न मंत्रालयों के अलग-अलग काम करने के कारण ऐसी नीतियों का प्रभाव अक्सर खंडित रहता है और भारत की राष्ट्रीय जलवायु नीति में अब भी ऐसी समेकित, लिंग-संवेदनशील जलवायु वित्त रणनीति का अभाव है, जो जलवायु नेताओं के रूप में महिलाओं को अधिक व्यापक रूप से समर्थन दे सके।’’

इन कमियों को दूर करने के लिए रिपोर्ट में भारत के लिए विशेष रूप से तैयार की गई सिफारिशें पेश की गई हैं।

इसमें जलवायु से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व वाली पहलों के लिए विशेष रूप से समर्पित जलवायु वित्त निधि की व्यवस्था करने की वकालत की गई है, जो हरित और निम्न-कार्बन उत्सर्जन वाली परियोजनाओं में महिला उद्यमियों का समर्थन करती हो।

इसके अतिरिक्त, इसमें जमीनी स्तर पर लक्षित वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों को लागू करने का सुझाव दिया गया है ताकि ग्रामीण महिलाओं को जलवायु अनुकूलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आवश्यक संसाधनों से जोड़ा जा सके।

‘चेज इंडिया’ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यप्रभा सदाशिवन ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापित लोगों में 80 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां हैं इसलिए उन्हें पर्याप्त वित्तीय सहायता के अभाव में पर्यावरणीय विनाश और आर्थिक असुरक्षा दोनों का सामना करना पड़ता है।’’

भाषा सिम्मी संतोष

संतोष