जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा एक ‘सकारात्मक कदम’: पूर्व विदेश मंत्री

जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा एक ‘सकारात्मक कदम’: पूर्व विदेश मंत्री

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  • Publish Date - October 6, 2024 / 05:54 PM IST,
    Updated On - October 6, 2024 / 05:54 PM IST

(एम जुल्करनैन)

लाहौर, छह अक्टूबर (भाषा) पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस्लामाबाद दौरे को ‘सकारात्मक कदम’ करार देते हुए कहा कि इससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव कम करने में मदद मिल सकती है।

भारत ने 15 और 16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाने वाले प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई जयशंकर द्वारा किये जाने की शुक्रवार को घोषणा की। जयशंकर ने हालांकि पाकिस्तान के अपने दौरे के दौरान द्विपक्षीय वार्ता की संभावनाओं से इनकार किया।

डॉन समाचार पत्र ने रविवार को कसूरी के हवाले से एक खबर में बताया, “जयशंकर का दौरा बहुपक्षीय है लेकिन इससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव कम करने में मदद मिल सकती है।”

जनरल परवेज मुशर्रफ की सरकार में 2002 से 2007 तक पाकिस्तान के विदेश मंत्री रहे कसूरी ने कहा कि दोनों देशों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “बातचीत फिर से शुरू करने से लोगों के बीच संपर्क बहाल करने में मदद मिलेगी और सड़क, रेल तथा हवाई संपर्क बहाल करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।”

समाचार पत्र की खबर के मुताबिक, कसूरी ने सुझाव दिया कि पश्चिमी एशिया में भारी तनाव के समय पाकिस्तान और भारत को तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता था।

पश्चिमी एशिया में इजरायल, गाजा और लेबनान के लोगों को निशाना बना रहा है।

उन्होंने कहा, “अतीत में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के समय यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) के राजदूत ने भूमिका निभाने का दावा किया था।”

कसूरी ने कहा कि दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं और उनके पास शक्तिशाली सेनाएं है, इसलिए क्षेत्र में तनाव कम करना उनके आपसी हित में है। समाचार पत्र ने पूर्व मंत्री के हवाले से कहा, “इस स्थिति में दोनों देशों को जिम्मेदारी और समझदारी से काम करने की जरूरत है। यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, जिसमें क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सोच-समझकर कदम उठाने की जरूरत है।”

कसूरी ने कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव को देखते हुए भारत एक निम्न स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेज सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान-भारत संबंधों का अनुमान लगाना मुश्किल है और ये कभी भी बदल सकते हैं जैसा कि अतीत में कई मौकों पर हुआ है।

भाषा जितेंद्र रंजन

रंजन