(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, 28 सितंबर (भाषा) भारत ने शनिवार को पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि सीमा-पार आतंकवाद की पड़ोसी देश की ‘नीति’ कभी सफल नहीं होगी और उसके ‘कृत्यों के निश्चित तौर पर परिणाम मिलेंगे’।
विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 79वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कई देश अपने नियंत्रण से परे परिस्थितियों के कारण पीछे छूट जाते हैं, लेकिन कुछ देश जानबूझकर ऐसे फैसले लेते हैं, जिनके परिणाम विनाशकारी होते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान है।’’
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने और पाकिस्तानी राजनयिक की ओर से जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल किए जाने के एक दिन बाद जयशंकर ने उसपर कड़ा प्रहार करते हुए महासभा में कहा कि इस्लामाबाद के ‘‘कुकृत्यों’’ का असर अन्य देशों, विशेषकर पड़ोस पर भी पड़ता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब यह राजनीति अपने लोगों में इस तरह की कट्टरता पैदा करती है, तो इसकी जीडीपी को केवल कट्टरपंथ और आतंकवाद के रूप में इसके निर्यात के संदर्भ में ही मापा जा सकता है।’’
जयशंकर ने पाकिस्तान की कड़ी निंदा करते हुए कहा, ‘‘आज हम देख रहे हैं कि दूसरों पर जो मुसीबतें लाने की कोशिशें उसने (पाकिस्तान ने) की, वे उसके अपने समाज को निगल रही हैं। वह दुनिया को दोष नहीं दे सकता। यह केवल कर्म है।’’
उन्होंने कहा कि दूसरों की भूमि पर कब्जा करने वाले एक असफल राष्ट्र को उजागर किया जाना चाहिए और उसका मुकाबला किया जाना चाहिए।
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने कल इसी मंच पर कुछ अजीबोगरीब बातें सुनीं। इसलिए मैं भारत की स्थिति को पूरी तरह स्पष्ट कर देना चाहता हूं। पाकिस्तान की सीमा-पार आतंकवाद की नीति कभी सफल नहीं होगी और उसके सजा से बचने की कोई उम्मीद नहीं है। इसके विपरीत, कृत्यों के निश्चित रूप से परिणाम होंगे।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच अब केवल एक ही मुद्दा सुलझाया जाना शेष है कि पाकिस्तान अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करे और आतंकवाद के प्रति अपने दीर्घकालिक जुड़ाव को तिलांजलि दे।’’
जयशंकर ने यह भी कहा कि आतंकवाद विश्व की सभी मान्यताओं के विपरीत है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों का दृढ़ता से विरोध किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने में भी राजनीतिक कारणों से बाधा नहीं डाली जानी चाहिए।’’
जयशंकर की यह टिप्पणी पाकिस्तान के मित्र चीन द्वारा भारत और अमेरिका जैसे उसके सहयोगियों की ओर 1267 के तहत पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों को नामित करने के लिए प्रस्तुत प्रस्तावों पर बार-बार अड़ंगा डालने की पृष्ठभूमि में आई है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को आमसभा को संबोधित करते हुए जम्मू एवं कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने अपने 20 मिनट से अधिक के भाषण में अनुच्छेद 370 और हिज्बुल आतंकवादी बुरहान वानी का जिक्र किया था।
भाषा धीरज सुरेश
सुरेश