इजराइल में हमास के हमले का एक साल पूरा, कई कार्यक्रमों का आयोजन, युद्ध जारी

इजराइल में हमास के हमले का एक साल पूरा, कई कार्यक्रमों का आयोजन, युद्ध जारी

  •  
  • Publish Date - October 7, 2024 / 12:09 PM IST,
    Updated On - October 7, 2024 / 12:09 PM IST

तेल अवीव, सात अक्टूबर (एपी) इजराइल के इतिहास में सबसे घातक, हमास के सात अक्टूबर को किए हमले के एक साल पूरे होने पर सोमवार को देशवासी रैली निकाल रहे हैं और शोक समारोह आयोजित कर रहे हैं। इस हमले ने गाजा में युद्ध को जन्म दिया और इजराइलियों को कभी न भूलने वाला घाव दे दिया।

एक प्रमुख यहूदी अवकाश वाले दिन सीमा पार से किए गए इस हमले ने इजराइलियों के सुरक्षित होने के भरम को तोड़ दिया और नेताओं तथा सेना में उनके विश्वास को हिला कर रख दिया।

इस हमले की गूंज एक साल बाद भी सुनायी दे रही है। गाजा में युद्ध आक्रामक हो गया है, इजराइल हिजबुल्ला के खिलाफ एक नया युद्ध लड़ रहा है और ईरान के साथ संघर्ष गहरा रहा है जिससे इस क्षेत्र के और खतरनाक संघर्ष की ओर बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।

युद्ध की तबाही झेल रहे गाजा में कोई औपचारिक स्मारक कार्यक्रम की योजना नहीं है।

इजराइलियों के सैकड़ों मृतकों, आतंकवादियों के कब्जे में कई बंधकों और उन्हें बचाने के लिए मारे गए या घायल हुए सैनिकों की याद में देशभर में समारोहों, कब्रिस्तानों और स्मारक स्थलों पर लोगों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद है।

एक साल पहले आज ही के दिन सुबह ठीक साढ़े छह बजे जब हमास ने हमला शुरू किया था तो नोवा संगीत महोत्सव में मारे गए लोगों के परिवारजन उस स्थल पर एकत्रित हुए जहां करीब 400 लोगों को गोली मार दी गयी थी और कई अन्य लोगों को बंधक बना लिया गया था।

उसी वक्त गाजा में अब भी आतंकवादियों के चंगुल में फंसे लोगों के परिवार के सदस्य प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के यरुशलम आवास के बाहर एकत्रित हुए और दो मिनट के सायरन के दौरान खड़े रहे जो नरसंहार की स्मृति दिवस पर निभायी जाने वाली परंपरा को दर्शाता है।

इस हमले को रोकने में सरकार की नाकामी और बंधकों की वापसी न होने से गुस्साए लोग तेल अवीव में एक अलग कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

इस हमले के बाद गाजा में शुरू हुए युद्ध में 41,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं, क्षेत्र की 23 लाख की आबादी में से ज्यादातर लोग विस्थापित हो गए हैं और एक मानवीय संकट पैदा हो गया है। इस युद्ध ने गाजा में जगह-जगह तबाही के निशान छोड़े हैं।

एपी मनीषा

मनीषा